एक व्यंग ....पोस्ट से पहले में आप सभी महिला मित्रो को स्पस्ट कर देना चाहता हु यह वर्तमान पर एक व्यंग मेरा महिलाओ के सन्मान को ठेश पहुचना उदेश्य नही नारी शक्ति के अलग-अलग रूपों का जब भी ज़िक्र होता है तो हम यह चर्चा करना भूल जाते हैं कि कैसे युगों-युगों से भारतीय महिलाएं सर्दियों के मौसम में बिना स्वेटर और शॉल के शादियां अटैंड करती आ रही हैं ! मैरिज गार्डन के ओपन लॉन की सर्द हवा में जहां पांच मिनट में ही मर्दों के दांत आरिफ लोहार के चिमटे की तरह किटकिटाने लगते हैं, वहां ये वीर बालाएं डेढ़ सौ रुपये एक्सट्रा देकर बनवाए ब्लाउज के डीप यू कट को दिखाने के लिए स्वेटर तक नहीं पहनतीं ! खुद मेहनती होने के कारण जानती हैं कि 2 घंटे लगाकर मेहंदी वाले लड़के ने बांह पर जो बांका-टेढ़ा बूटा बनाया है, सेल में खरीदी ढाई सौ की शाल पहनकर मैं उसका बेड़ागर्क कैसे कर सकती हूं ! फिर भले ही जगत बाऊजी आलोकनाथ वहां आकर उसके कंधे पर अपनी लोई क्यूं न डाल दें, ये रिक्शे में बिठाकर उन्हें भी वहां से बस स्टैंड के लिए रवाना कर देंगी ! उसे ज़ुकाम लगवाकर एक हफ्ते तक रजाई के कवर से अपना नाक पौंछना मंज़ूर है, मगर ये मंज़ूर नहीं कि मम्मी का काला स्वेटर पहनकर उसके नीचे लहंगे की मैचिंग का बाजूबंद छिपा ले ! कम वक्त में उस मासूम के सामने यूपीए सरकार से भी ज़्यादा चुनौतियां रहती हैं ! चार घंटे के फंक्शन में उसे अपनी तीनों ड्रेसें पहननी होती हैं ! हर नई ड्रेस पहनने से पहले ये भी कंफर्म करना होता है कि पुरानी वाली सभी ने देखी या नहीं, फिर चेंज करने के बाद यहां-वहां मोरनी बन घूमकर ये भी काउंट करना पड़ता है कि मेरी अदाओं से घायल लोगों का आंकड़ा आख़िर कहां तक पहुंचा ? चूंकि सजना-संवरना दूसरों के लिए होता है और स्वेटर न पहनना बहादुरी का काम है इसलिए मेरी गुज़ारिश है कि बाकी बहादुरों के साथ-साथ अगली 26 जनवरी से हर साल ऐसी वीरांगनाओं का भी सम्मान होना चाहिए ! कैसा लगेगा जब घोषणा होगी- पिंकी कुमारी, जिन्होंने अदम्य साहस, अटूट इच्छाशक्ति और अद्भुत पराक्रम का परिचय देते हुए भीषण शीतलहर के बीच इस सीज़न सात शादियां बिना स्वेटर और शॉल के अटेंड की ! ये सम्मान लेने के लिए हम मंच पर उनके पति को बुलाना चाहेंगे क्योंकि वो खुद निमोनिया की शिकार होने के चलते अस्पताल में भर्ती हैं !!.......उत्तम विद्रोही