टांग खींचना बंद करो .... मैं उत्तम जैन एक आम आदमी हूँ यह आप सभी को विदित है और काफी समय से देश में जो चल रहा है उसे समझने की कोशिश कर रहा था ओर कर भी रहा हूँ सरकार द्वारा काला धन और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए 1000 और 500 के नोट बन्द करने के फैसले से मुझे भ्रष्टाचार और काले धन से मुक्ति की उम्मीद की किरण दिखने लगी थी तो वे कौन लोग हैं जो सरकार का विरोध मेरे नाम यानी ” आम आदमी” के नाम पर कर रहे हैं। मेरा नाम लेकर विरोध करने का अधिकार इन बुद्धिजीवियों/ फेसबुकियों को किसने दिया ? क्या मैं अपनी बात खुद नहीं कर सकता ? मुझे इतना कमजोर यह लोग कैसे समझ सकते हैं कि मैं अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकता ?आम आदमी का नाम लेकर सरकार को ललकारना बन्द करो ! मेरा नाम(आम आदमी बोलकर ) लेकर प्रधानमंत्री जी को घेरना बन्द करो ! शब्दों की परिभाषा बदलकर वाक्यों के खूब मायाजाल रचें हैं आपने ! लेकिन कम से कम आम आदमी को तो बख्श दो ! देश का आम आदमी अगर गाँव में रहता है ,और वो किसान है उसकी कमाई पर कोई टैक्स नहीं है तो उसे तो कोई परेशानी भी नहीं है। देश का आम आदमी अगर मजदूर है तो उसे भी सरकार के इस निर्णय से कोई परेशानी नहीं है । इस देश का आम आदमी अगर चाय की या पान की या फिर ऐसी ही कोई छोटी दुकान चलाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा करता है तो परेशानी उसे भी नहीं है क्योंकि न तो उसके पास कोई काला धन होगा और न हो कोई इन्हें चाय या पान के बदले 1000 या 500 के नोट देता होगा । मंगलवार 8/11/16 की रात 8 बजे जब प्रधानमंत्री जी ने 1000 और 500 के नोट बन्द करने की घोषणा की तो देश का हर आम आदमी खुश था ! तो वे लोग कौन थे जो कि रात 9 बजे से सुबह भोर तक देश के सराफा बाजारों में खरीदारी कर रहे थे ? उनमें मैं तो नहीं था ? अगले ही दिन 10 ता० को इस देश का आम आदमी बैंक से नोट बदलवाने गया था स्थिति सामान्य थी फिर अचानक बैंकों में भीड़ दो दिन बाद कैसे होने लगी जब कि सरकार ने 30 दिसम्बर तक का समय दिया है ? ग्रामीण क्षेत्रों में निकासी और जमा करने की पाबंदी शून्य होने के बावजूद लाइनें क्यों लग रही हैं ? स्कूली विद्यार्थी जिनके खातों में साल में सिर्फ एक बार छात्रवृति के पैसे आते हैं उनके खातों में अचानक 49000 हजार रुपए कहाँ से आ गए ? जन धन खाते जो अभी तक खाली थे उनमें अचानक 9 नवंबर के बाद पैसे क्या आम आदमी ने जमा किए हैं ? अपने नौकरों के खातों में उन्हें 60000 का लालच देकर 2 लाख जमा कराके उनसे 1.40 लाख वापस लेने का काम आम आदमी कर रहा है ? सरकार ने महिलाओं के खाते में 2.5 लाख तक की छूट दी है तो अचानक ही कई बूढ़ी माँ अमीर हो गईं , क्या ये किसी आम आदमी की माँ हैं ।मेरी समझ से तो परे है ! 11 ता० के बाद बैंकों की लाइन अचानक ही लम्बी होती गईं । क्या उस लाइन में आपको कोई भी बड़ा आदमी खड़ा दिखा ? नहीं ना ! जो सवाल आप पूछ रहे हैं आम आदमी भी आपसे वही सवाल पूछ रहा है ।फर्क बस यह है कि आम आदमी सवाल पूछ रहा है क्योंकि वह आपसे जानना चाहता है कि लम्बी कतारें और लम्बा इंतजार उसी के नसीब में क्यों लिखा है और आप सवाल पूछ रहे हैं अपने आप को बचाने के लिए । क्या आपने सोचा है कि गरीब युवक एवं गरीब महिलाएं अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ लाइन में क्या कर रहे ? ये वो गरीब और बेरोजगार आम आदमी है जिसका आज फिर उपयोग हो रहा है , कमीशन बेसिस पर ये बार बार लाइन में लग कर कुछ “ख़ास ” लोगों के नोट बदल रहे हैं। ये खास लोग ही उन्हें लाइन में खड़ा करा रहे हैं कतारें लम्बी करवा रहे हैं और फिर ये ही लोग सवाल भी पूछ रहे हैं। गज़ब की हलचल मची है मेरे व आपके हिंदुस्तान मे ! हर व्यक्ति इधर उधर भाग रहा है कुछ अपनी मेहनत से जमा किए हुए रुपए का समायोजन कर रहा है तो कोई कालधन को ठिकाने लगाने के जुगाड़ मे है ! कुछ भी हो काफी मंथन कर के मे खुद इस नतीजे पर पहुंचा हु मोदी सरकार भले पूर्ण कालेधन पर अंकुश लगा पाये या न पाये मगर काफी हद तक अंकुश लगेगा ....... लेख क - उत्तम जैन प्रधान संपादक विद्रोही आवाज़ ( हिन्दी समाचार पत्र )