पुस्तके पढ़ना व लेखन मेरा शोख
हमें यह पहला समझना चाहिए कि शौख माने क्या है ? मेरे विचार में शौख उस कार्य का नाम है जो कोई अपने रोज़ी कोरोबारों से अलग अन्य कोई कार्य अपनी मानसिक तुष्टि एवं तृप्ति के लिए स्वतः चुनकर करते हैं।
पुस्तकों का अध्ययन व लेखन मेरा सब से पसंदीदा शौक है। मुझे जब भी मौका मिलता है मैं अपने पुस्तकें लाकर अध्ययन करता हूँ। अध्ययन से हमें बहुत सारी सीखें आसानी से मिलती है जो भविष्य में हमारे चरित्र की नीव को मजबूत बना देता है। पुस्तक अध्ययन व लेखन का सब से बडा लाभ भाषा क्षमता का विकास है। मन-बुद्धि-चरित्र के विकास के लिए पुस्तक का अध्ययन बहुत जरूरी है ! मेरे प्रसिद्ध लेखको की सूची मे जय शंकरप्रसाद जी , धर्मवीर भारती , रामधारीसिंग दिनकर , आचार्य श्री तुलसी , मुनि श्री तरुण सागर जी , आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी , सुमित्रानंद पंथ, मुंशी प्रेमचंद आदि आदि ...लेखको को मे पढ़ता हु ! कुछ मनन करता हु ! क्यू की मेरी शिक्षा तो ज्यादा नही हुई मगर साहित्य मे बचपन से रुचि रही है ! संजोग ही कहु 2001 मे सुरत मे आया व्यापार के लिए ओर सूरत मे माँ तापी ने इतना प्यार दिया यही का बन कर रह गया ! व्यवसाय मे अपेक्षित सफलता भी अर्जित की ! जब इंटरनेट का उपयोग करने लगा मेरी भतीजी ने कोमल ने मेरी पहली बार मेरी फेसबूक id बनाई संजोग कहे या मेरे भाग्योदय मेरे मित्रता सूची मे मेरे आदरणीय गणपत जी भंसाली सा मेरी मित्रता सूची मे जुड़े ! उनके जब उनके लिखे एक एक शब्दो को मे पढ़ता ओर मेरे ह्रदय मे लेख्नन की महत्वाकांशा जागृत हो उठी ! क्यू की प्यासे को पानी की चाहत होती है ! उनके हर विचारो को पढ़ता ओर सोचता कभी भंसाली सा जेसे महामानव से मेरी मुलाक़ात हो ! समय गुजरता गया एक दिन मुलाक़ात हुई मेने चरण स्पर्श किए ओर मुझे लगा इतना अपनत्व ओर अपनापन मे उन्हे देखता ही रहा ...देखता ही रहा वो मुझे मेरे सहमित्रों के साथ कुछ सलाह दे रहे थे मगर मेरा मन उनकी सादगी अपनत्व की ओर खींचे जा रहा था ! समय गुजरता गया मेरी वर्षो पूरानी महत्वाकांशा लेखन व समाचार पत्र का सम्पादन करना एक साहस मिला होंसला मिला ओर मेने हिम्मत की एक छोटे से 4 पेज के विद्रोही आवाज समाचार पत्र (साप्ताहिक ) की शुरुआत की ! समय समय पर भंसाली सा ने मार्गदर्शन प्रदान किया ! विद्रोही आवाज के आज तक 136 अंको का सफलता पूर्वक प्रकाशन हो चुका है ओर आगे भी होगा ! पत्रकारिता क्षेत्र ने मुझे निडरता , निर्भीकता प्रदान की है मुझे मेरे देश , मातृभूमि के लिए मेरे कृतव्यता का बोध कराया है ! लेख्नन मे मेरा झुकाव बचपन से था ओर जब मे उस काबिल हुआ नित्य अपने ब्लॉग लिखता हु मेरे ब्लॉग के आज तक की सूची मे पाठको की सुची 1 लाख से ऊपर पहुँच गयी मुझे बड़ी खुशी होती है की मे जो आज लिखता हु मेरे मित्र मुझे पढ़ते है समझते है .... आज मे उत्तम विद्रोही उन सभी को नमन करता हु ........... उत्तम जैन ( विद्रोही)
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