चुनाव का मोसम गिरगिटों(राजनेता ) का बदला रंग - उत्तम विद्रोही बेबाक http://vidrohiawaznews.blogspot.com/2017/01/blog-post_98.html
चुनाव का मोसम गिरगिटों(राजनेता ) का बदला रंग - उत्तम विद्रोही बेबाक......चुनावो की घोषणा जेसे ही होती है रहनुमा बनने वाले नेताओ व पार्टी के कुनबे के कथित गरीब , शिष्टाचारी , आदर्शवादी , विनम्र राजनेता ओर उनकी पत्नीया चुनावी समर मे आम जनता के बीच जाकर वोटो का आशीर्वाद मांगने मे पीछे नही रहते इनकी विनम्रता ओर मित्तभाषिता देख मुझे कभी कभी तो रहम जाती है मगर यह राजनेता की प्रजाति है ही स्वार्थपरस्त की आम भोली भाली जनता को बर्गलाने की काला मे माहिर होती है व गिरगिटों की तरह रंग बदलकर मेले कुचले कपड़ो मे वोटो के भगवान को इनकी पत्नीया व इनके चमचे जनता के पेर छूकर आशीर्वाद लेने मे माहिर है ओर तो ओर उन फोटोग्राफ को शोशल मीडिया पर डालकर आंकलन भी अच्छे से कर लेते है काश ये नेता , इनकी पत्नीया ओर इनके चमचे जनता के बीच चुनाव के बाद भी मेले कुचले वोट रूपी भगवान के पास जाती ओर इनका आदर व सन्मान करती ओर पेर छूकर आशीर्वाद मांगते व उनकी हर समस्या का समाधान करते मगर ये तो अपने आदतन मजबूर है क्यू की इनकी जात ही मुझे समझ मे नही आई मगर मेरी सबसे बड़ी शिकायत आम जनतासे है जो कितनी बार चोट खाने के बाद भी नही सुधरती ! वेसे आम जनता मे बुद्धिजीवी ज्यादा नजर आते है क्यू की बहुत से लोग इस बात को लेकर बहस करते दिख रहे है ओर दिखते है कि चुनाव में फलां उम्मीदवार सही कि फलां सही है। मेरे विचार से ये पिछली बार भी हुआ होगा और जब से लोकतंत्र बना है तब से होगा।। अब मुद्दा ये है कि अगर पहले वाले सब सही थे तो विकास क्यों नही हो पाया ।।। और अगर विकास नही हुआ तो इसका मतलब ये सब एक जैसे ही हैं हमने इन्हें प्राथमिकता देकर इन्हें ऊपर पंहुचा दिया।। हम किसी प्रत्याशी का समर्थन करते हैं तो इस शिद्दत से करते हैं कि दूसरे प्रत्याशी को गलत सलत कहने लगते है। इलज़ाम लगाने लगते हैं कि इसने ये नही किया या ये वो नही करेगा जो हमे चाहिए ।। लेकिन इस झंझट में हम ये भूल जाते हैं कि हमने अपने प्रत्याशी से भी तो नहीं पूछा कि वो क्या करेगा ।। और वो इसका फायदा पूरे 5 साल उठाता है। और हम उसे कोसते कोसते 5 साल काट देते हैं । अगली बार फिर चुनाव आता है और हम फिर वही करते हैं जो हमने पहले किया ।।।मतलब गलत प्रत्याशी नहीं हमारी सोच है । तो इस बार इस सोच को बदलें और तय करें कि अपने प्रत्याशी से पूछे कि हम उसे वोट क्यों दें।। उत्तरप्रदेश व पंजाबव गोवा की जनता अभी इस पर मंथन करेगी या नही मे नही जानता जैसे प्राइवेट कंपनी पूछती है कि हम आपको ये जॉब क्यों दें।।। मित्रों जब रिमोट हमारे हाथ में है तो चैनल उनकी पसंद का क्यों देखें।।।।
लेखक - उत्तम जैन ( विद्रोही )
प्रधान संपादक - मालिक -मुद्रक
विद्रोही आवाज ( हिन्दी साप्ताहिक समाचार )