जब भारत की आम जनता , राजनेता और मीडिया ईवीएम की गडबडी, और अलवर में स्थित गौरक्षकों द्वारा पहलू खां की हत्या के मामले को लेकर लीन थे उस समय एक व्यथित खबर थीपड़ोसी देश पाकिस्तान में एक निर्दोष भारतीय कुलभूषण जाधव को एजेंट बताकर फांसी की सजा सुनाई जा रही थी.जाधव पर पाकिस्तान में भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के लिए काम करने का आरोप लगा है. हालाँकि भारत सरकार द्वारा इन आरोपों का लगातार खंडन करने के बावजूद भी पाकिस्तान ने कुलभूषण को मौत की सजा सुना दी है. भारतीय नौसेना के पूर्व कमांडर, कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सेना ने कोर्ट मार्शल की कारवाई में जासूसी करने, तोड़फोड़ की कारवाई और ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट के तहत सजा सुनाई है. यह सजा पाकिस्तान की उस सेना ने सुनाई जिस पर बलूचिस्तान से 18 हजार लोगों को गायब करने के आरोप है. करीब 5 हजार लोग जेलों में बंद है जिनमें सिर्फ दो सौ लोगों को ही क़ानूनी मदद मांगने की अपील दायर करने का मौका दिया गया.दरअसल कुलभूषण अपनी कार्गो कंपनी चलाता था और उसी सिलसिले में ईरान व्यापार के लिए गया था जहां से अगवा कर लिया गया. बलूचिस्तान से गिरफ्तारी दिखाए जाने के बाद से भारत कुलभूषण से मिलने की उसे वियना समझोते के तहत क़ानूनी मदद देने की इजाजत मांग रहा है लेकिन इजाजत देने की बजाए एकतरफा सजा सुना दी गई. वैसे इस खबर का टीवी चैनलों प्रिन्ट मीडिया के माध्यम से भरपूर विश्लेषण हो चूका है. कुलभूषण अभी जिन्दा है या नहीं इस पर भी उपापोह की स्थिति बरकरार मानी जा रही है. संसद में राजनेता एक स्वर में पाक के इस नापाक फैसले की निंदा भी कर रहे है. पर सवाल यह कि संसद की निंदा और मीडिया के शोर से क्या पाकिस्तान जाधव को छोड़ देगा?