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उत्तम( विद्रोही) जैन का श्रीमति सोनिया गाँधी जी के नाम खुला पत्र

4 फरवरी 2017

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विद्रोही आवाज -ब्लॉग , समाचार : उत्तम( विद्रोही) जैन का श्रीमति सोनिया गाँधी जी के नाम खुला पत्र

आदरणीया सोनिया जी,.

सर्वप्रथम तो मैं आपके शीघ्र स्वास्थ्य -लाभ के लिए अपनी शुभकामना प्रेषित करता हूँ क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति दीर्घावधि से चिंताजनक बनी हुई है और जो सूचनाएं मुझे सार्वजनिक संचार माध्यमों से प्राप्त हुई ! वे आपके हितैषियों तथा प्रशंसकों के लिए उत्साहवर्धक नहीं हैं ! ईश्वर की अनुकंपा से आप अतिशीघ्र पूर्ण स्वस्थ हों, मैं यही प्रार्थना करता हूँ । इस देश में आपके शुभचिंतक भी इने-गिने ही हैं और प्रशंसक भी । आपका जन्म इस देश में नहीं हुआ, दूसरे देश में हुआ, इसी बात को आधार बनाकर आपके सभी सदगुणो पर धूलि डाल दी जाती हैं और विशेष रूप से आपकी हिन्दी भाषा पर पूर्ण अधिकार नही होने से मज़ाक भी बनाया जाता है ! आपके विदेश-जन्मा होने के मुद्दे कारण जनता ऐसी सभी बातों पर निष्प्रमाण ही विश्वास कर लेगी । संभवतः उनकी यह धारणा ठीक भी है क्योंकि विगत सामान्य चुनाव में वे ऐसा करके राजनीति क लाभ पाने में सफल रहे हैं । आपके व्यक्तित्व एवं चरित्र की निर्मलता एवं उदात्तता को देखने-परखने और स्वीकार करने वाले आपके ऐसे सच्चे प्रशंसक आज भी भारत में हैं । मैं उन्हीं में से एक हूँ । मे एक उभरता हुआ एक पत्रकार व लेख क हु साथ मे मैं एक अराजनीतिक व्यक्ति हूँ क्यू की वर्तमा्न राजनीति से तो मुझे घिन आती है जो सिर्फ व सिर्फ स्वार्थ परस्त राजनीति है ! लेकिन जब से मे सयाना हुआ राजनीति को समझने की कोशिस की अर्थात दो दशकों से भारतीय राजनीति के उतार-चढ़ावों पर दृष्टि रख रहा हूँ । मैंने आपके व्यक्तित्व में रुचि लेना तब आरंभ किया था जब आपके पति स्वर्गीय राजीव गाँधी भारत के प्रधानमंत्री पद पर आसीन थे ! उस समय आपके पति के मोत जिन्होने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी ओर मीडिया , कथित राजनेता देश के ठेकेदार आपके विदेशी मुद्दे को बार बार उठा रहे है जबकि उस समय आपके साथ साहनुभूति की जरूरत थी मगर आप अपने लिए कही जा रही थी उन बेतुकी बातों का खंडन नहीं करती थीं (वस्तुतः आप सार्वजनिक जीवन से पूर्ण दूरी बनाए रखती थीं), इसीलिए आपके विषय में कई किवदंतियों ने जन्म लिया और मुझ जैसे बहुत से लोग वर्षों तक भ्रमित होते रहे । लेकिन राजीव जी के असामयिक निधन के उपरांत मैंने आपके वास्तविक व्यक्तित्व को पहचानना आरंभ किया और अंततः मैं आपके भीतर छुपी उस संवेदनशील मानवी को देख पाने में सफल हुआ जिससे आज भी इने-गिने लोग ही परिचित हैं । मैं स्वयं एक संवेदनशील मनुष्य हूँ और एक संवेदनशील व्यक्ति ही किसी दूसरे व्यक्ति की संवेदनशीलता को देख-सुन-पहचान सकता है, उसे सराह सकता है ।

सोनिया जी, आप जन्म से चाहे विदेशी हैं किन्तु पहले एक प्रेयसी,फिर पत्नी एवं पुत्रवधू और फिर एक माँ के रूप में आपका जीवन एक आदर्श भारतीय स्त्री जैसा ही रहा है जिसने एक भारतीय पुरुष को अपने जीवन साथी के रूप में स्वीकार किया तथा उसके जीवनकाल में एक आदर्श सहधर्मिणी के रूप में सदा उसके साथ खड़ी रही । अपनी सास इन्दिरा जी के जीवनकाल में आप एक आदर्श पुत्रवधू की भांति सदा उनकी इच्छा एवं दिशानिर्देशों के अनुरूप ही रहीं । आप अपने पति के राजनीति में जाने के पक्ष में नहीं थीं किन्तु जब कालचक्र ने आपके पति को राजनीति में धकेल ही दिया तो आपने अपने पति को अपना सम्पूर्ण नैतिक समर्थन दिया । आप कभी अनावश्यक रूप से सुर्खियों में नहीं आईं तथा अपने पति के प्रधानमंत्रित्व काल में आपने अपने व्यक्तित्व की निजता तथा गरिमा को अक्षुण्ण बनाने रखा । जब आपके पति का असामयिक निधन हो गया तो इस पहाड़ जैसे दुख को अपने हृदय की परिधि में समेटे हुए आपने अपने पितृहीन बालकों का पालन-पोषण स्वयं को भारतीय राजनीति से पूरी तरह से दूर रखते हुए किया । और यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं । यह आपके आत्मबल, दृढ़ इच्छाशक्ति एवं व्यक्तित्व की गहनता का जीताजागता प्रमाण है । जिसे मे व मेरे विचारो के समर्थक सदा नमन करते है !.

आप सादगी में विश्वास रखती हैं एवं आडंबरों से सदैव दूर रहती हैं । इसका प्रमाण मुझे तब मिला था जब आपने अपनी पुत्री का विवाह अत्यंत साधारण ढंग से बिना किसी तड़क-भड़क एवं अपव्यय के किया । १८ फ़रवरी,१९९७ को यह विवाह सम्पन्न हुआ था । पूर्व प्रधानमंत्री की पुत्री का विवाह तो वैभवपूर्वक तथा भरपूर प्रचार के साथ भी किया जा सकता था किन्तु मुझे बहुत आश्चर्य हुआ इस विवाह को गिने-चुने अतिथियों की उपस्थिति में अत्यंत सादा तरीके से सम्पन्न कराया गया था तथा पत्रकारों को भी इस समारोह से दूर रखा गया था ।.

आप कितनी संवेदनशील हैं विदेश मे जन्म लेने के बाद भी आप भारतीय संस्कृति व एक भारतीय नारी जेसे दयाभाव व रागद्वेष युक्त व बलिदान की प्रतिमूर्ति है इसका प्रमाण यह है कि आपने अपने पति की हत्या का षड्यंत्र रचने वालों को मृत्युदंड न दिए जाने के लिए स्वयं भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के॰आर॰ नारायणन को पत्र लिखकर षड्यंत्रकारियों के लिए और विशेषतः नलिनी नाम की षड्यंत्रकारिणी के लिए क्षमादान मांगा था । अपने पत्र में आपने इस बात का संदर्भ दिया था कि नलिनी एक छोटी बच्ची की माता थी और स्वयं अपने पति को खोने की पीड़ा से गुज़रने तथा अपने बच्चों को उनके पिता को खोने की पीड़ा से गुज़रता देखने के कारण आप जानती थीं कि अपने माता या पिता को खो देने पर एक बालक पर क्या बीतती है । मुझे यह देखकर बहुत दुख हुआ था कि आपके इस अत्यंत मानवीय कार्य की भी राजनीतिक व्याख्या ही की गई थी । मुझ जैसे विद्रोही या अराजनीतिक इने-गिने लोग ही आपके इस कार्य के पीछे आपके हृदय में बसी संवेदनशीलता को देख सके, भाँप सके, अनुभूत कर सके । आपके विरोधियों से ही नहीं वरन समस्त भारतवासियों से मेरा प्रश्न है कि आप पर केवल आपके विदेशी मूल के कारण नाना प्रकार से आक्रमण किया जाए जिसमें शालीनता की सारी सीमाएं पार कर दी जाएं, यह किस दृष्टिकोण से उचित है ? काश लोग राजनीति से परे जाकर आपको केवल एक मानवी के रूप में देखें और निर्णय करें कि आपके सदगुणों को अनदेखा करना क्या आपके प्रति अन्यायपूर्ण नहीं है ! क्या आपके विरोधी भी अपने परिवारों में ऐसे ही मानवीय गुणों से युक्त तथा ऐसे ही दृढ़ संकल्प एवं साहस से परिपूर्ण परिपक्व व्यक्तित्व वाली पुत्रवधुएं नहीं चाहेंगे ? इसके विपरीत आपके प्रमुख राजनीतिक विरोधी तथा भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री का कोई कट्टर समर्थक भी अपनी पुत्री के लिए उनके जैसा वर नहीं चाहेगा क्योंकि ऐसा जामाता किस काम का जो अपनी ब्याहता पत्नी को उसका न्यायोचित अधिकार एवं सम्मान न दे ?.

आपने दल एवं सरकार के प्रमुख का पद १९९१ में ही ठुकरा दिया था जो आपके इस प्रकार की लालसाओं से निर्लिप्त होने का प्रमाण था । आगामी कुछ वर्षों में भी आपने स्वयं को अनावश्यक चर्चाओं एवं विवादों से पूरी तरह दूर रखा तथा राजनीति में किसी भी प्रकार की रुचि तब तक नहीं ली जब तक कि आपको नहीं लगा कि आपके परिवार की राजनीतिकविरासत पूरी तरह से नष्ट होने जा रही थी और उसे बचाने का प्रयास करना आपका कर्तव्य था । यदि आपने उस समय दल की बागडोर को न संभाल लिया होता तो सीताराम केसरी के तत्वावधान में इस देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल का अंतिम संस्कार १९९८ में ही हो गया होता । .

वैसे तो आपका भारतीय राजनीति में पदार्पण करना ही आपका सबसे बड़ा त्याग था । उस पर आपने शासन-प्रमुख का पद दो बार ठुकराया । यह आपके त्यागमय स्वभाव तथा चारित्रिक दृढ़ता का परिचायक है । भारतीय संविधान के प्रावधानों के अंतर्गत आपको प्रधानमंत्री के पद पर आसीन होने का पूर्ण अधिकार था जिससे आपको रोका नहीं जा सकता था । लेकिन आपने स्वेच्छा से इस पद के प्रस्ताव को अस्वीकार किया एवं साफ-सुथरी छवि वाले डॉ॰ मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनने का अवसर दिया । फिर भी आप पर आरोप लगाया जाता रहा कि आप एक कठपुतली प्रधानमंत्री की आड़ में स्वयं सत्ता तथा सरकार का संचालन मानो रिमोट कंट्रोल से करती रहीं लेकिन इस बात का कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है यह एक सुनी-सुनाई बात है जिसे बिना किसी आधार के बार-बार दोहराया जाता है । किसी दार्शनिक ने कहा है ‘बार-बार दोहराए गए झूठ को लोग सच मानने लगते हैं’, आपके लिए विभिन्न माध्यमों से बारंबार बोले गए इस झूठ को अब सच का रंग दे दिया गया है । जबकि वस्तुस्थिति यह है कि आपने डॉ॰ मनमोहन सिंह को अपने पद के संचालन एवं कर्तव्य-निर्वहन में पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की थी एवं अपनी ओर से तभी हस्तक्षेप किया था जब आपको जनहित में आवश्यक लगा । भूमि-अधिग्रहण कानून में आपने जनहित में हस्तक्षेप करके यथोचित संशोधन करवाए थे ताकि किसानों एवं आम लोगों की भूमि को बलपूर्वक हड़पा न जा सके । महिला आरक्षण विधेयक चाहे अंतिम रूप में पारित न हो पाया हो लेकिन उसके राज्य सभा की बाधा पार कर लेने में सफल हो जाना भी आपके अनवरत एवं निष्ठावान प्रयासों से ही संभव हो सका था । आप नारी-सशक्तिकरण में आस्था रखती हैं एवं महिलाओं को विधानमंडलों में आरक्षण दिलवाने की आपकी हार्दिक इच्छा थी जो नारी-विरोधी पुरुष-प्रधान राजव्यवस्था ने पूर्ण नहीं होने दी । आपके विश्वासी स्वभाव को जैसे १९९९ में मुलायमसिंह यादव ने छला था, वैसे ही एक दशक से अधिक समय के उपरांत आपके अपने ही दल के सदस्यों ने भी इस संदर्भ में उसके साथ छल ही किया ।.

सोनिया जी, इतिहास विजेताओं द्वारा लिखा जाता है और इसीलिए वह न तो पूर्णरूपेण सत्य होता है और न ही वह पराजितों के साथ न्याय करता है जब इतिहास आपके निर्मल-हृदय पति के साथ न्याय नहीं कर सका और बोफ़ोर्स सौदे की दलाली का मिथ्यारोप उन पर उनके देहावसान के दशकों पश्चात् आज तक लगाया जाता रहा है तो वह आपके साथ न्याय कैसे करेगा ? कौन स्वीकारेगा और मान्यता देगा भारत देश और भारतीय राजनीति में दिए गए आपके सकारात्मक योगदान को ? आपने तो अपने दल के सत्ता में रहते हुए भी किसी राजनीतिक विरोधी पर कोई प्रतिशोधात्मक कार्रवाई नहीं की लेकिन आपके राजनीतिक विरोधी ऐसे उदारमना एवं स्वच्छ मन के नहीं हैं । आपने चुनाव प्रचार एवं राजनीतिक अभियानों में भाषा तथा भंगिमाओं की गरिमा सदा बनाए रखी और व्यक्तिगत आक्षेपों से परहेज़ रखा लेकिन आपके राजनीतिक विरोधी शालीनता की सभी सीमाएं तोड़ते हुए सदा आप पर व्यक्तिगत आक्रमण करते रहे । जब भी इटली से संबंधित कोई तथ्य सामने आता है, आप पर उंगलियाँ उठाई जाने लगती हैं मानो इटली में जन्म लेना कोई अपराध हो अथवा इटली कोई बुरा स्थान या देश हो । भारतीय संस्कृति की दुहाई देने वाले आपके विरोधी इस सनातन भारतीय सामाजिक परंपरा को अपनी राजनीतिक सुविधा के लिए विस्मृत कर देते हैं कि विवाह के उपरांत वधू अपने ससुराल की सदस्या होती है, अपने पितृगृह की नहीं । इस दृष्टि से भी एवं विगत आधी सदी में प्रदर्शित अपने सम्पूर्ण आचरण से भी आप भारतीय ही हैं ।यह विपणन अथवा मार्केटिंग का युग है सोनिया जी तथा आपके वर्तमान प्रमुख राजनीतिक विरोधी मार्केटिंग की कला में निष्णात हैं । इसीलिए वे जनमानस में स्वयं को दुग्ध-धवल सिद्ध करने में एवं आपके दल पर कालिमा के आरोपण में सफल रहे हैं । काठ की हांडी चाहे बार-बार आँच पर न चढ़ सके, एक बार तो चढ़ ही जाती है । मैंने ऊपर ही कहा है कि बार-बार बोला गया झूठ सुनने वालों द्वारा सच मान लिया जाता है । इसीलिए आपके लिए निराधार झूठ इतनी बारंबारता तथा इतनी प्रचंडता के साथ बोले जाते हैं ताकि वे जनता की मानसिकता में गहरे पैठ जाएं और आमजन उन्हें शाश्वत सत्य समझ बैठें । आप कर्मयोगिनी हैं, विपणन-विशेषज्ञा नहीं । इसीलिए संभवतः आप अपने राजनीतिक विरोधियों की कुटिल चालों का उचित प्रत्युत्तर नहीं दे सकतीं । अब आपकी बढ़ती आयु एवं रोगावस्था के कारण भी आप राजनीतिक गतिविधियों हेतु पर्याप्त ऊर्जावान नहीं रहीं । अब आपको शारीरिक तथा मानसिक आराम की आवश्यकता है । मेरा आपको यही परामर्श है कि अब आप दल एवं राजनीति से संबंधित सभी दायित्वों से स्वयं को मुक्त कर लें ।.

सोनिया जी, एक माता के रूप में आपकी स्वाभाविक अभिलाषा होगी कि आपका पुत्र भारत के प्रधानमंत्री के पद पर शोभायमान हो लेकिन आपकी जगह यदि कोई भारतीय मूल की स्त्री भी होती तो एक माता के रूप में उसकी अभिलाषा तो यही होती। माता तो सदा यही चाहती है कि उसकी संतान सफलता की पराकाष्ठा पर पहुँचे । लेकिन सोनिया जी, प्रत्येक कार्यक्षेत्र प्रत्येक व्यक्ति के लिए नहीं होता । आपने यदि अपने पुत्र को २००९ में ही भारत का प्रधानमंत्री बनने के लिए आगे बढ़ा दिया होता तो आपकी अभिलाषा पूर्ण हो गई होती लेकिन आपने राष्ट्रहित में डॉ॰ मनमोहन सिंह को ही द्वितीय अवसर दे दिया और अब आपका पुत्र इस पद तक पहुँच सकेगा, इसकी संभावना अत्यंत क्षीण है । वह अभी भी राजनीति में अपरिपक्व है तथा मुझे तो यही लगता है कि वह भारतीय राजनीति के लिए नहीं बना है । राजनीति के लिए ही उसने विवाह नहीं किया जो कि मेरी दृष्टि में एक बड़ा व्यक्तिगत त्याग है । लेकिन इस त्याग की तो आवश्यकता ही नहीं सोनिया जी । क्या आपकी कामना नहीं होती कि आपके घर में पुत्रवधू के चरण पड़ें, पायल की छमछम एवं नवजात की किलकारियाँ गूँजें, आपको दादी बनने का गौरव प्राप्त हो ? होती है न ? तो फिर अपने पुत्र को विवाह करने के लिए प्रेरित कीजिए । पुरुष का विवाह अधिक आयु में भी संभव है । कई भारतीय राजनेताओं ने भी चालीस वर्ष की आयु पार करने के उपरांत विवाह किया है । वैवाहिक जीवन में प्रवेश करके उसके व्यक्तित्व की परिपक्वता भी बढ़ेगी । बाकी अपने राजनीतिक दल को उसके भाग्य पर छोड़ दीजिए । नियति से कोई नहीं बच सकता सोनिया जी । यदि इस दल की नियति मिट जाना ही है तो यह मिटकर ही रहेगा । आप इसकी भाग्य-नियंता नहीं बन सकती हैं । आयु के इस पड़ाव पर अब आप इसका प्रयास भी न कीजिए । अब आप केवल अपने स्वास्थ्य तथा मानसिक शांति का ध्यान रखिए ।

.शुभकामनाओं सहित ......आपका अपना

उत्तम जैन ( विद्रोही )

प्रधान संपादक - विद्रोही आवाज

विद्रोही आवाज -ब्लॉग , समाचार: उत्तम( विद्रोही) जैन का श्रीमति सोनिया गाँधी जी के नाम खुला पत्र
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भ्रष्टाचार और काले धन से निजात के सुनहरे सपनों मे एटीएम के बाहर ठंड में ठिठुर रहा आम आदमी ------

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प्रेम दिवस ---किसी शायर की ये पंक्तिया...अपना दिल पेश करूं, अपनी वफा पेश करूं कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करुं !जो तेरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं क्यों न तुझको कोई तेरी ही अदा पेश करुं !कहते हैं कि अगर किसी शायर को आप से मोहब्बत हो जाए तो आप कभी मर नहीं सकते...... जीवन मे रिश्ते किसी त

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बदलता बच्चो का परिवेश एक चिंतनीय

16 फरवरी 2017
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बदलता बच्चो का परिवेश एक चिंतनीय मित्रों, आज बहुत दिनों से बच्चो के बदलते परिवेश को देखते हुए मानस पटल पर एक पीड़ा व् चिंतन उभर रहा है ! विचारों का प्रवाह किसी भंवर की तरह फिर मंथन कर रहा है शायद सारी बातें लिखना इतना आसान ना होगा फिर भी कोशिश है कि सम्पूर्ण विचारों का एक

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नेताओ की बद से बदतर होती जुबान ...

19 फरवरी 2017
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चुनाव के मोसम हो या नेताओ की सभा या संसद या विधान सभा लगता नहीं, कि हमें बोलने की कुछ ज्यादा ही आजादी मिल गयी है। ख़ासकर इस चुनावी माहौल में तो हर हद पार कर दी गयी है। हर मर्यादा तोड़ दी गयी है। नहीं किसी की उम्र का लिहाज बचा है नाहीं किसी प

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प्रेम का अहसास

19 फरवरी 2017
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यदि मैं तुम्हे प्रेम करता हूँ,तो सिर्फ प्रेम करता हूँ,मैं प्रेम करता हूँ उस सच्चाई सेजिसे कभी महसूस किया थातुम्हारी आवाज़ में,मैं प्रेम करता हूँ तो उस झूठ से भीजो कभी लज्जित नहीं होता,जो ठहाके लगाता है मेरी न

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जैन मंदिर के बहार बहता नल का पानी मन में उठी जल सरंक्षण की चेतना

19 फरवरी 2017
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प्रत्येक मनुष्य अपनी दिनचर्या के कुछ काम बड़े नियमित और मनोयोग से करता है,यह काम उन्हे अधिक प्रिय हो जाते हैं क्योंकि यह उनका ‘अपना निजी समय’ होता है। कार्य का कार्यवहन काल भले ही छोटा क्यों ना हो, उन्हे पूरी तन्मयता से जिया जा सकता है। मेरी

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शक नामक बीमारी

20 फरवरी 2017
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. उत्तम जैन (विद्रोही ) ब्लॉग: शक नामक बीमारी----शक नामक बीमारी जो स्त्री, पुरूषों में प्रायः होती है लाइलाज है। ऊपर वाला न करे कि यह बीमारी किसी में हो। शक यानि संदेह जिसे डाउट भीं कहते हैं एक ऐसी बीमारी है जो स्त्री-पुरूष के रिश्तों में दरार डालकर दोनों का जीवन दुःखद बन

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स्त्री की योग्यता का पैमाना उसकी प्रतिभा है देह नहीं... स्त्री की योग्यता का पैमाना उसकी प्रतिभा है देह नहीं.....

20 फरवरी 2017
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आज स्त्री द्वारा किये गए कामों के स्थान पर उनकी शक्लों सूरत को वरीयता दी जाती है ………एक तो पुरुष की मानसिकता स्त्री देह तक ही सीमित है …दूसरे मीडिया उसे भुनाता है | ये आग में घी डालने के सामान है जिससे आग बुझेगी नहीं और भड़केगी | जब इतनी योग्य स्त्रियों को भी प्रतिभा के स्थ

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महिलाओं के संस्कारी होने की मांग करना क्या स्त्रीयों की स्वतंत्रता में बाधक है ??

22 फरवरी 2017
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मानव जाति के इतिहास में विभिन्न प्रकार की विभिन्नता की कहानी जुड़ी हुयी है, इस इतिहास में हमने बहुत प्रकार के वर्ग निर्मित किए, जैसे गरीब का, अमीर का, धन के पद के अभाव पर और आश्चर्य की बात यह है कि इस समाज ने जो स्त्री और पुरुष के बीच जो वर्ग का निर्माण किया यह एक अनोखा और

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राजनीती का धर्म या धर्म की राजनीती - एक सोचनीय विषय

22 फरवरी 2017
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वर्तमान समय में और विशेषकर भारत के धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक नेतागण, इस बात की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं कि धर्म को राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए. यह इस लिए प्रबल समस्या बन गई है कि राजनीति के काम में सब जगह धर्मों के अनुयायी अपने-अपने धर्म को राजनीति से जोड़ने की कोशिश

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नैतिकता के प्रतिष्ठाता आचार्य तुलसी ओर अवदान

23 फरवरी 2017
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मेरे जीवन मे गणाधिपति गुरुदेव आचार्य तुलसी तेरापंथ के नवमाचार्य के प्रथम बार दर्शन राणावास चातुर्मास मे किए ! उसके बाद तो बहुत बार दर्शन का लाभ मिला ! गुरुदेव तुलसी के प्रथम दर्शन मे अपनी दादी शोभाग बाई के साथ हुए थे ! जब मे कक्षा 4 मे पढ़ता था ! राणावास चातुर्मास के समय म

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धीरज हो तो गरीबी का दर्द नहीं होता

26 फरवरी 2017
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उत्तम जैन (विद्रोही ) ब्लॉग: धीरज हो तो गरीबी का दर्द नहीं होता

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कोनसी माँ -माँ तो अपराधिन की तरह सर झुकाए एक तरफ कटघरे में खड़ी है

26 फरवरी 2017
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कोनसी माँ -माँ तो अपराधिन की तरह सर झुकाए एक तरफ कटघरे में खड़ी हैमे बहुत बार देखता हु फेसबूक , व्हट्स अप पर सुबह से शुभकामना संदेश माँ के लिए स्तुति, गुणगान और श्रद्धांजलियाँ ,कोई अपनी मृत माँ के लिए मिस यू माँ तो कोई खुद श्रवण कुमार साबित करने मे लगा रहता है ! अच्छा भ

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६८ वा अणुव्रत स्थापना दिवस १ मार्च २०१७ पर विशेष - उत्तम जैन (विद्रोही )

1 मार्च 2017
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आचार्य तुलसी द्वारा अणुव्रत : आचार संहिता बनाई गयी जो 68 वर्ष पूर्व भविष्य को देखकर जो अणुव्रत : आचार संहिता बनाई वह आज वर्तमान मे देखा जाए सबसे जरूरी है ! ...... मैं किसी भी निरपराध प्राणी का संकल्पुर्वक वध नहीं करूँगा |आत्म हत्या नहीं करूँगा |भ्रूण हत्या नहीं करूँगा

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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देना देश में जहर के बीज बोना नही है ?

2 मार्च 2017
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देना क्या देश में जहर के बीज बोना नहीं है? http://virohiawaz.blogspot.com/2017/03/blog-post.html

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वर्तमान की शिक्षा प्रणाली - मेरा दर्द

4 मार्च 2017
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देश को बदलना है तो शिक्षा का प्रारूप बदलो आज एक पुस्तक पर मेरी नजर पड़ी जिसमे लिखा था --जिस शिक्षा से हम अपने जीवन का निर्माण कर सके , मनुष्य बन सके , चरित्र गठन कर सके और विचारो का सामंजस्य कर सके वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है ... स्वामी विवेकानन्द की यह पंक्तिया

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जैन समाज कि- एक कुरीति आरती

4 मार्च 2017
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घर के कार्यों में धर्म का अनुसरण नहीं होता है, किन्तु आरती से जो जीवों का घात होता है वह धर्म के नाम पर होता है ! अतः आरती करना किसी विज्ञ और दयालु पुरुष का ध्येय नहीं हो सकता !"देव धर्मतपस्विनाम् कार्ये महति सत्यपि !जीव घातो न कर्तव्यः अभ्रपातक हेतुमान !!याने,देव, धर्म औ

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कन्या भ्रूण हत्या एक अभिशाप

4 मार्च 2017
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मेरी हत्या न करो माँ मैं तेरा ही अंश हूँ माँ पिताजी को समझा दो माँ पिताजी को मना लो माँमुझे बहुत बार इस तरह की आवाज हर समाज की बेटियो की कानो में गूँजती है ! आप भी महसूस करे जरूर

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कडवे घूंट जीवन के ---

5 मार्च 2017
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हमारी वर्तमान दशा व दिशा सिर्फ अपने कारण से होती है इस दशा मे मुख्य कारण एक चिंता व नकारात्मक भाव है !चिंताओं का विश्लेषण किया जाए तो ४०%- भूतकाल की, ५०% भविष्यकाल की तथा १०% वर्त्तमान काल की होती है ! इस स्वीकार भाव से ही हमारे भाव बदलने शुरू होते हैं। रोग का जन्म ही नका

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नारी शक्ति - भूत - वर्तमान व भविष्य

5 मार्च 2017
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शक्ति की प्रतीक , समानता का अधिकार,कमज़ोर, हर क्षेत्र में आगे इन सभी उपमाओं का प्रयोग समय -समय पर लोग महिलाओं के विवरण देने हेतु विशेषण की तरह प्रयोग करने लगे हैं. जो भी हो यह सत्य है कि आज ही नहीं पूर्व काल से ही महिलाएं किसी भी मायने में पुरुषों से कामजोर नहीं रही है. जि

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नारी का सन्मान

8 मार्च 2017
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भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। किंतु.वर्तमान में जो हालात दिखाई देते हैं, उसमें नारी का हर जगह अपमान होता चल

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रिश्तो का महत्त्व

13 अप्रैल 2017
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रिश्तो का महत्व ---- "कोई टूटे तो उसे सजाना सिखो, कोई रूठे तो उसे मनाना सिखो, रिश्ते तो मिलते हैं मुकद्दर से, बस उसे खूबसूरती से निभाना सिखो।" जन्म के साथ ही अनेक रिश्त

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भूतकाल व् वर्तमान ... बीती ताही बिसार दे

13 अप्रैल 2017
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हममें से अधिकतर लोग क्या भूत के विलाप और भविष्य की चिन्ता में ही जीवन बिता देते है ओर वर्तमान क्षण के सुख से वंचित रह जाते हैं। हम जीवन के सौन्दर्य व आनन्द को भूल जाते हैं। यह सब हमारी मनःस्थिति के कारण होता है।हमारा दृष्टिकोण ऐसा ही होना चाहिए की हमारे पास केवल यही

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हमारा कुलभूषण जाधव दूसरा सरबजीत न बने

13 अप्रैल 2017
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जब भारत की आम जनता , राजनेता और मीडिया ईवीएम की गडबडी, और अलवर में स्थित गौरक्षकों द्वारा पहलू खां की हत्या केमामले को लेकर लीन थे उस समय एक व्यथित खबर थीपड़ोसी देश पाकिस्तान में एक निर्दोष भारतीय कुलभूषण जाधव को एजेंट बताकर फांसीकी सजा सुनाई जा रही थी.जाधव पर पाकिस्तानमे

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गुजरात: फीस नहीं भरने पर स्कूल ने सात साल के बच्चे को बनाया बंधक

16 अप्रैल 2017
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सूरत: गुजरात के सूरत शहर में एक प्राइवेट स्कूल पर एक बेहद ही सनसनीखेज आरोप लगा है, जिसमें स्कूल ने फीस बकाया होने की वजह से एक 7 साल के बच्चे को बंधक बना लिया. मामला पुलिस तक पहुंचा जिसके बाद छात्र को छुड़ाया गया. गुजरात सरकार ने प्राइवेट स्कूलों की फीस पर नियंत्रण लाने क

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सुखी बहु गाँव की

17 अप्रैल 2017
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मे मैं यदा कदा ब्लॉग लिखता हूँ ... विचारो की अभिव्यक्ति व्यक्त करता हूँ ... कहानी कभी लिखी नही प्रथम बार कोशिश की कोई शिक्षाप्रद कहानी लिखू आज की वर्तमान समस्या पर अच्छी लगे हौसला बढाये ....सभी नाम व स्थान काल्पनिक है . शीर्षक - सु

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मेरा देश महान जहा सो में अस्सी बेईमान

19 अप्रैल 2017
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हमारे देश में भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिससे हर भारतीय का सामना जरूर होता है.ये एक राष्ट्रीय महामारी है जिसका कारगर इलाज़ अभी तक कोई नेता कोई समाज सेवी या कोई अधिकारी भी नहीं निकाल पाया है.समाज सेवी अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में २०११ में भारत ने एक बड़ा भ्रष्टाचारविरोधी आंद

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एक किसान का सवाल सरकार से किसान का मूत्र पीना आत्मकथा उत्तम जैन ( विद्रोही ) के माध्यम से

23 अप्रैल 2017
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एक किसान का सवाल सरकार से किसान का मूत्र पीना एक आत्मकथा उत्तम जैन (विद्रोही ) के माध्यम से ---- दो तीन दिन पूर्व मेने किसान की आत्मकथा नामक एक ब्लॉग लिखा था मेरे कुछ मित्रो व प्रशंसकों ने वाह वाह भी किया मुझे वाह वाह या तारीफ करना जितना अच्छा नही लगता उससे अच्छा मुझे ल

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हिन्दी साहित्य विवेचना ओर मेरा प्रेम --

24 अप्रैल 2017
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मेरा अध्ययन वेसे कोई ज्यादा नही मगर मेरा साहित्य पढ्ना पसंदीदा विषय रहा है ! विभिन्न लेखको के साहित्य पढना मेेरा नित्यक्रम है ! मुझे हिन्दी साहित्य लिखना व पढना बहुत अच्छा लगता है ! अँग्रेजी पर मेरा अधिकार नही क्यू की मेरी शिक्षा छोटे गाव मे हिन्दी माध्यम से हुई हा

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पुस्तको से पाठकों की बढ़ती दूरी चिन्तनीय

26 अप्रैल 2017
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मेरे विचार ..

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पुस्तको से पाठकों की बढ़ती दूरी

26 अप्रैल 2017
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पुस्तकों से पाठको की बढ़ती दूरी एक चिंताजंक समस्या http://virohiawaz.blogspot.com/2017/04/blog-post_25.html

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नारी के अवदान और पीड़ा - उत्तम विद्रोहीजकी जुबानी

27 अप्रैल 2017
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भारतीय उपासना में स्त्री तत्व की प्रधानता पुरुष से अधिक मानी गई है नारी शक्ति की चेतना का प्रतीक है। साथ ही यह प्रकृति की प्रमुख सहचरी भी है जो जड़ स्वरूप पुरुष को अपनी चेतना प्रकृति से आकृष्ट कर शिव और शक्ति का मिलन कराती है। साथ ही संसार की सार्थकता सिद्ध करती है। महि

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सफलता की और कदम

29 अप्रैल 2017
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चलते रहे चलते रहे ...ग़मों के कांटे चुभते रहे,फिर भी हम चलते रहे|मिलते रहा सभी से मगर,अपने दायरों में सिमटता रहाफिर भी में चलता रहा !गिरना तो फितरत ही थी,गिर गिर के संभालता रहा |फिर भी में चलता रहा …क्या है तेरा वजूद ‘विद्रोही ’,मौसम से तुम बदलते रहे |फिर भी हम चलते रहे …म

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विश्व मजदुर दिवस ---

1 मई 2017
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मजदूरों के अन्तर्राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है - मजदूर दिवस पर शुभकामना विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस “1 मई” के दिन मनाया जाता है। किसी भी देश की तरक्की उस देश के किसानों तथा कामगारों (मजदूर / कारीगर) पर निर्भर होती है। एक मकान को खड़ा करने और सहारा देन

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उत्तम जैन (विद्रोही ) ब्लॉग: प्रकृति ओर मनुष्य

5 मई 2017
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प्रकृति और मनुष्य

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आचार्य श्री महाश्रमण अवतरण व पटोत्सव

5 मई 2017
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आचार्य श्री महाश्रमण जी के जन्मोत्सव व पटोत्सव पर खूब खूब अभिवंदना गुरुदेव के अवदान व सक्षिप्त जीवन परिचय----प्रभु स्वीकारो म्हारीअभिनंदना आपके ५६वे जन्म दिवस पर शतशत वंदन .जय जय ज्योति चरणजय जय महाश्रमणसंघ पुरुष चिरायु हो‘जिस देश में गंगा बहती है’ उस देश के वासी होने का हमारा गर्वबोध उस समय चकनाचूर

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पाकिस्तान की करतूत

8 मई 2017
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जम्मू कश्मीर की कृष्णा घाटी से नियन्त्रण रेखा पार करने के लिए सीमा सुरक्षा दल के गश्ती दस्ते का ध्यान बटाने के लिए पहले मोर्टार से गोले गये उसकी आड़ में पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम शहीद हुये दो सैनिकों के सिर काट कर ले गयी |शत विक्षत शव को अंतिम विदाई देते समय पूरा देश क

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मोत ....

12 मई 2017
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एक ऐसा विषय जिसकी कल्पना करना या आभास करने से ही मन विचलित हो जाता है कल रात ओमकार तीर्थ प्रणेता 108 आचार्य श्री सूर्यसागर जी का मुझे एक संदेश प्राप्त हुआ उत्तम जी तुम “मोत” इस विषय पर अपनी कलम द्वारा अपने विचारो की अभिव्यक्ति दो बड़ा जटिल विषय मुझे गुरुदेव ने दे दिया ! क्

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धर्म की पीड़ा

30 जुलाई 2017
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आज धर्म के नाम पर जो घिनौने काम किए जाते हैं, क्या उन्हें देखकर आपका दिल सहम जाता है? क्या ऐसे लोगों के बारे में सुनकर आपका खून खौल उठता है जो एक तरफ तो ईश्वर की भक्ति करने का दम भरते हैं, वहीं दूसरी तरफ वे युद्ध में हिस्सा लेते हैं, आतंकवादी हमले करते हैं और बड़े-बड़े घो

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में हु बबली ... एक स्त्री भाग 10

30 जुलाई 2017
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मैं हूँ बबली..............एक स्त्री...2 भाग-10प्रवीण धीरे-धीरे मेरी दुनिया बन रहा था। कहने को नहीं हकीकत में। उसके मम्मी-पापा मेरे पम्मी-पापा, उसका घर मेरा घर, उसकी सम्पत्ति मेरी सम्पत्ति, उसके रिश्तेदार एवं मित्र मेरे सगे सम्बंधी.............बस मैं धागे सी इस चटाई में ग

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धोखा ... एक लघु कथा

2 अगस्त 2017
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''चलो घर से भागकर शादी कर लेते हैं !''महेश के यह कहते ही संगीता का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.भावनाओं और क्रोध दोनों को संयमित करते हुए संगीता कड़े शब्दों में बोली ''वाह ! महेश क्या यही तरीका है अपने सपनों को पूरा करने का ?अगर मेरे माता-पिता समाज के उलाहने सह भी लेंगे तो

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धोखा ... लघु कथा

3 अगस्त 2017
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https://goo.gl/hbbwrFधोखा ''-एक लघु कथा ''चलो घर से भागकर शादी कर लेते हैं !''महेश के यह कहते ही संगीता का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.भावनाओं और क्रोध दोनों को संयमित करते हुए संगीता कड़े शब्दों में बोली ''वाह ! महेश क्या यही तरीका है अपने सपनों को पूरा करने का ?अगर मेरे माता-पिता समाज के उलाहने सह

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बदला ...लघु कथा

3 अगस्त 2017
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राजस्थान के एक छोटे से कस्बे जो उदयपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर भीमाली में रहने वाले घनश्याम की सुमन से नई-नई शादी हुई थी। नव-विवाहिता ने बड़े प्रेम और मनोयोग से पति के लिए भोजन तैयार किया था। पति की मनपसंद मेवों वाली खीर भी बनाई थी। पति के काम से लौटने में कुछ समय बाकी था इसलिए बगल के घर वाल

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बदला ... लघु कथा

4 अगस्त 2017
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लघु कथा ... (नाम ,स्थान काल्पनिक ) राजस्थान के एक छोटे से कस्बे जो उदयपुर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर भीमाली में रहने वाले घनश्याम की सुमन से नई-नई शादी हुई थी। नव-विवाहिता ने बड़े प्रेम और मनोयोग से पति के लिए भोजन तैयार किया था। पति की मनपसंद मेवों वाली खीर भी बनाई

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प्रेम .... जाल ( लघु कथा )

4 अगस्त 2017
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प्रेम .... जाल .... ( लघु कथा ) गुप्ता साहब की बिटिया अंजली बड़ी सुंदर थी पढ़ने मे भी काफी तेज थी गुप्ता साहब अपनी बिटिया अंजली के लिए एक अच्छा लड़का तलाश कर रहे थे एक दिन गुप्ता जी ने अंजली से कहा बेटा तेरे लिए एक लड़का देखा है वह इंजीनियर है अच्छे परिवार है अंजली ने तपाक

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१९९२ के बाद रेलवे बोर्ड में उठा सूरत की ट्रेन का मुद‌्दा

5 सितम्बर 2017
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सूरत.सूरत में पिछले चार महीनों में रेल संघर्ष समिति के दो बड़े आंदोलनों ने आखिरकार रेलवे बोर्ड का ध्यान उत्तर भारतीयों की समस्या की तरफ खींचा है। बोर्ड द्वारा निर्देशित पैसेंजर सर्विस कमेटी (पीएससी) ने 20 साल में पहली बार गंभीरता के साथ सूरत और आसपास में रहने वाले करीब 20

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लेखक की हत्या पर राजनीति ओर मीडिया की चुप्पी

8 सितम्बर 2017
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उत्तम जैन (विद्रोही ) ब्लॉग: लेखक की हत्या पर राजनीति ओर मीडिया की चुप्पी

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