यदि मैं तुम्हे प्रेम करता हूँ,
तो सिर्फ प्रेम करता हूँ,
मैं प्रेम करता हूँ उस सच्चाई से
जिसे कभी महसूस किया था
तुम्हारी आवाज़ में,
मैं प्रेम करता हूँ तो उस झूठ से भी
जो कभी लज्जित नहीं होता,
जो ठहाके लगाता है मेरी नादानी पर,
प्रेम छूकर धीमे से कान में आने वाली
ध्वनि है, सागर की लहरों
का शोर भी है प्रेम,
महसूस करो इसे ढूँढो मत,
तुम्हारा रोज़ बदलने वाला चेहरा
नहीं है प्रेम,
प्रेम शाश्वत है, सदा रहता है,
परिस्थितिजन्य नहीं है प्रेम,
ये मेरे रुदन में है, और तुम्हे याद
कर लजाने वाली हंसी में भी है,
तुम लज्जित मत रहो यदि दे नहीं पाए
मेरे निश्छल प्रेम के बदले अपना
शर्तरहित प्रेम
क्योंकि लेन- देन नहीं है प्रेम,
मेरे लिए प्रेम केवल एहसास है
जो जोड़े रखता है सदैव मुझे तुमसे,
तुम भी जुडो मुझसे ऐसी
प्रत्याशा नहीं है प्रेम,
नहीं पूछता कभी कि ऐसे
क्यों हो तुम,
सारे उत्तर छिपे हैं मेरी भावनाओं में
जान जाता हूँ सब स्वयं,
प्रश्न नहीं है प्रेम,
मत करो प्रेम की तुलना चाँद से
प्रेम प्रदीप्त सूर्य है
नहीं घटता या बढ़ता है,
चाँद नहीं है प्रेम,
प्रेम मेरे कोरों से गिरी अश्रु की
वो बूंद नहीं जो समां गयी मेरे आँचल में,
तुम्हारे अधरों पर सदा रहने वाला
स्मित हास्य हैं प्रेम,
प्रेम अक्षय है रहेगा तब भी
जब मैं नहीं रहूगा
यह नहीं सिमटा है मेरे हृदय में
मेरे लिए अनहद नाद है प्रेम
--- उत्तम जैन (विद्रोही )