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‘शहनाई’ का जादू आज भी बरकरार है और समान्यतः हरशुभ अवसर पर उसको बजाया जाता है । 21 मार्च के दिन, उस्तादबिस्मिल्लाह खान को उनके 102वें जन्मदिन पर गूगल ने ‘डूडल’ बनाकर यादकिया गया ।सर्च इंजन गूगल ने डूडल

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बॉलीवुड के बारे में ख़बरों का सबसे बड़ा सोर्स – मायापुरी. लेकिन ये अब पुरानी बात है. नई बात मिलती है सोशल मीडिया पर. मैगज़ीन में छपने में देर लगती है. यहां बन्न से वायरल हो जाती है. खैर, हुआ ये कि पिछले कुछ वक़्त में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर खूब चली. एक महिला खड़ी है. वो कपड़े उतारने या पहनने का काम कर रह

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शामली के अधिवक्ता अनैतिक धरना-प्रदर्शन की राह पर चल पड़े हैं ,जहाँ कैराना में जिला न्यायाधीश की कोर्ट की स्थापना के लिए हाईकोर्ट व् सरकार के कदम बढ़ते हैं तभी शामली के अधिवक्ता अपना काम-काज ठप्प कर धरना प्रदर्शन करने बैठ जाते हैं , 2011 में प्रदेश सरकार न

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व्हिस्की में विष्णु बसे, रम में बसे श्रीराम। जिन में माता जानकी और ठर्रे में हनुमान।।पिछले कुछ दिनों से ये पंक्तियां हर जगह छाई हुई हैं क्योंकि पिछले साल इस महान रचना को दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में बोलकर, कुख्यात बनाने वाले सांसद नरेश अग्रवाल, मुल्ला मुलायम का साथ छोड़ राम भक्तों की टोली

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साल 2011 में जापान में आई टी सुनामी याद है आपको, वही जापान का काफी हिस्सा तबाह हो गया था। उस दौरान सुनामी की ऐसी ऐसी भयावह तस्वीरें मीडिया में आई थीं कि देखने वालों के होश उड़ गए थे। समुद्र की विशालकाय लहरों ने किनारे पर बनी इंसानी बस्तियों को तिनके की तरह बहा दिया था।समुद्र से उठी लहरों का जोर ऐसा

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वर्ष 2001 में सब टीवी का एक कार्यक्रम ऑफिस ऑफिस बहुत लोकप्रिय हुआ था। सरकारी दफ्तरों में ऊपर से नीचे तक फैली हुई कामचोरी और रिश्वतखोरी के ऊपर बने इस कार्यक्रम में एक किरदार सरकारी कर्मचारी पटेल का था जो आम आदमी को दो बातों के लॉजिक के स

सामान्य वर्ग की व्यथा पर कुछ पंक्तिया . मै भी सामान्य वर्ग का दलित हु साहब मुझे भी आरक्षण चाहिए..1.मेरी माँ का सपना है बेटा सरकारी अफसर बने,पिता दिन-रात मेहनत करके उस सपने को बुने, मेरे मात-पिता के सपनो को यू ना जलाइये, मै भी सामान्य वर्ग का दलित हु साहब मुझे भी आरक्ष

महाभारत की पृष्ठभूमि पर कई उपन्यास और कथाएं लिखी गयी .मानवीय चरित्र की सर्वोच्चता और निम्नता का ऐसा कोई आयाम शायद ही हो जिसे महाभारत कार ने किसी न किसी चरित्र के माध्यम से अंकित न किया हो .इसीलिए कहा गया ‘..जो महाभारत में नहीं वह कहीं नहीं ‘ पाश्चात्य प्रभाव से महाभारत को महाकाव्य की श्रेणी में रखा

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ये बात है 2013 की जब श्रीदेवी लखनऊ आई थीं। उन्होंने दुर्गा पूजा में शिरकत की थी लेकिन इस दुर्गा पूजा में उन्होंने होली के रंग भी जमाए थे। लखनऊ के फेस्टिवल मस्ती मूड में डूबीं श्रीदेवी ने यहां जमकर मस्ती की थी। इस दौरान उन्होंने सिंदूर से पीठ पर पति बोनी कपूर का नाम लि

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1 मार्च 2018 को होलिका दहन का पर्व है और सायंकाल सात बजकर सैतीस मिनट पर भद्रा की समाप्ति पर होलिका दहन का मुहूर्त आरम्भ होता है, और उसके बाद आरम्भ हो जाएँगी रंगों की मस्तीभरी बौछारें | होलिका दहन अर्थात सत्य, निष्ठा, विश्वास, आस्था, उदारता आदि सद्भावों की अग्नि में असत्य, अविश्वास, अनास्था, क्रूरता,

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कुछ दिनों पहले ही प्रधानमंत्री जी ने अपने सबसे पसंदीदा विषय "कांग्रेस के काले कारनामे: नेहरू से मनमोहन तक" पर लंबा चौड़ा भाषण संसद में दिया और बैंकों के घाटे की सच्चाई बताने की कोशिश की थी पर तब मीडिया में चर्चा का केंद्र बिंदु उनका रामायण का उल् लेख बन कर रह गया जो

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आज के समाचार पत्रों में एक समाचार के शीर्षक ने सर शर्म से झुका दिया ,शीर्षक था -''शहीद का कोई धर्म नहीं होता ,''शीर्षक सही था और लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू ने बात कही भी सही थी क्योंकि शहीद का केवल एक धर्म होता है ''वतन '' और केवल एक ही मकसद होता है ''वतन के ल

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नया ज़माना आ गया है आज हम वी आई पी दौर में हैं ,पहले हमारे प्रधानमंत्री महोदय साल में बच्चों से मिलने का एक दिन रखते थे और आज प्रधानमंत्री हर वक़्त देश के बच्चों को उपलब्ध हैं और वह भी उन विषयों और समस्याओं के लिए जिसे समझाने व् सुलझाने का काम बच्चों का स्वयं का

टूटते बंधनपाश्चात्य सभ्यता के अनुसरण की होड़ में जो सबसे महत्वपूर्ण बातेंसीखी गई या सीखी जा रही है उनमें जो सर्वप्रथम स्थान पर आता है वह है बंधन मुक्तहोना. जीवन के हर विधा में बंधनों को तोड़कर बाहर मुक्त गगन में आने की प्रथा चलपड़ी है. यहाँ यह विचार का या विमर्श का विषय नहीं है कि यह उचित है या अनुच

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क्रिकेट का खेल तो हमें विरासत में मिला हैं। हमारे दादा जी देखते थे, पापा भी देखते थे तो हम भी देखते हैं। एक समय वो था जब हम अपने दादा जी के साथ टेलीविजन पर मैच देख रहे होते थे और जैसे ही एक भारतीय खिलाड़ी बल्लेबाजी के लिए आता था, दादा जी के मुंह से कुछ आपत्तिजनक

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साक्ष्य अधिनियम की धारा 32 में वे दशाएं बताई गयी हैं जिनमे उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है जो मर गया है या मिल नहीं सकता इत्यादि ,और ऐसे में जो सबसे महत्वपूर्ण है वह है धारा 32 [1 ] जो कि मृत्यु के कारण से सम्बंधित है ,इसमें कहा गया है - ''

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रामायण के सुंदर कांड में एक प्रसंग हैं। हनुमान जब सीता की खोज में लंका की और जा रहे थे तब नागों की देवी सुरसा, राक्षसी का रूप लेकर आई और उन्हें बीच समुन्द्र रोक कर कहा कि मुझे वरदान प्राप्त हैं कि कोई भी मेरे मुख से बचकर नही जा सकता इसलिए तुम्हे भी मेरा भोजन बनना पड़ेगा। हनुमान ने कहा कि एक बार मैं अ

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एक सामान्य सोच है कि यदि हिन्दू विधवा ने पुनर्विवाह कर लिया है तो वह अपने पूर्व पति की संपत्ति को उत्तराधिकार में प्राप्त नहीं कर सकती है किन्तु हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम कहता है कि यदि विधवा ने पुनर्विवाह कर लिया है तब भी वह उत्तराधिकार में प्राप्त संपत्ति से निर

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स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोल्कता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था, उनका असली नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था, वह एक शिक्षित परिवार से थे, उनके पिता कोल्कता हाई कोर्ट में वकील थे, वह बचपन में बेहद शरारती थे लेकिन उनके घर का माहोल बेहद अध्यात्मिक और धार्मिक था, दर्शन, धर्म, इतिहास, सामाजिक विज

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कोई जीना ही जिंदगी समझा , और फ़साना बन गया कोई . अपनी हस्ती मिटाकर ए-अंजुम , अपनी हस्ती बना गया कोई . सुलक्षणा 'अंजुम' द्वारा कही गयी उपरोक्त पंक्तियाँ अक्षरशः सही प्रतीत होती हैं परम पूजनीय ,किसानों के मसीहा ,दलितों के देवता ,चौधरी चरण सिंह जी पर .२३ दिसंबर १९०२ को किसान परिवार में जन्मे चौधरी

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