महिला सशक्तिकरण आज के समय में एक ऐसा शब्द है जिसे हम आये दिन अखबारों, टेलीविजन इत्यादि में देखते तथा सुनते रहते है|पर क्या आजादी के 70 साल पूरे होने के बाद भी देश को महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है? क्या महिला सशक्तिकरण आज के समय में बस एक र
सुर्ख अंगारे से चटक सिंदूरी रंग का होते हुए भी मेरे मन में एक टीस हैं.पर्ण विहीन ढूढ़ वृक्षों पर मखमली फूल खिले स्वर्णिम आभा से, मैं इठलाया,पर न मुझ पर भौरे मंडराये और न तितली.आकर्षक होने पर भी न गुलाब से खिलकर उपवन को शोभायमान किया.मुझे न तो गुलदस्ते में सजाया गया और न ही माला में गूँथकर द
व्यक्ति क्या चाहता है, सिर्फ दो पल की खुशी और दफन होने के लिए दो गज जमीन, बस... इसी के सहारे सारी जिन्दगी कट जाती है। तमन्नाएं तो बहुत होती है, पर इंसान को जीने के लिए कुछ चन्द शुभ चिन्तक की, उनकी दुआओं की जरूरत होती है।आज सभी के पास सब कुछ है मग
क्या कभी आपने समंदर किनारे बैठ कर उसकी आती जाती लहरों को ध्यान से देखा हैं .सागर दिन में तो बिलकुल शांत और गंभीर होता है. ऐसा लगता है जैसे अपने अंदर अनको राज छुपाये ,अपना विशाल आँचल फैलाये एक खामोश लड़की हो जिसने सारे जहान के दर्द और सारी दुनिया की गन्दगियो को अपने दामन मे समेट रखा है. ले
माँ …मुझे मौत दे दो ???? मर्म की चीख जागरुकता लेख क्यों आज हर माँ को यह कहने की स्थिति में पहुँचा दिया है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया न दीजो' और एक बेटी को यह कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि… 'अगले जन्म मुझे बिटिया ना कीजो' आज देश में जो हालात हैं छोटी-छोटी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं उनको यूँ क
परिचय--- बाबा नागार्जुन हिंदी और मैथिलि साहित्य के वो विलक्षण व्यक्तित्व हैं जिनकी-- काव्यात्मक प्रतिभा के आगे पूरा साहित्य जगत नत है | इन का जन्म 30 जून 1911 को बिहार के दरभंगा जिले के ''तौरानी''नामक गाँव में मैथिलि ब्राह्मण परिवार में हुआ |संयोग ही रहा क
हिंदी साहित्य में कबीर भक्ति काल के प्रतिनिधि कवि के रूप में जाने जाते हैं | इसके अलावा वे भारत वर्ष के सांस्कृतिक और अध्यात्मिक जीवन को ऊर्जा देने वाले प्रखर प्रणेता हैं | उनकी ओजमयी फक्कड वाणी आज भी प्रासंगिक है | कौन है ज
आकाश की दूसरी शादी हो चुकी है, पहली शादी उसने 21 साल की उम्र में ही कर ली थी। घरवालों की मर्जी के खिलाफ लव मैरिज की थी। पहली पत्नी का नाम राधा था। 2 साल पहले ही राधा चल बसी। cancer हो गया था उसे, आकाश अपनी लाख नामुमकिन कोशिशों के बाद भी अपन
उम्र के तीसरे पड़ाव में हूँ मैं .बचपन और जवानी के सारे खुबसुरत लम्हो को गुजर कर प्रौढ़ता के सीढ़ी पर कदम रख चुकी हूँ .तीन पीढ़ियों को देख लिया है या यूँ कहे की उनके साथ जी लिया है. बदलाव तो प्रक्रति का नियम है इसलिए घर परिवार, संस्कार और समाज में भी निरंतर बदलाव होत
एयरटेल अब गा रहा है ‘जिंदगी बरबादि हो गिया.’ उसकी साख बढ़ाने के लिए एक लड़की रात दिन एक किए हुए है. जिसे ‘एयरटेल गर्ल’ कहते हैं. दूसरी लड़की है पूजा. जिसने एयरटेल को तबाह कर रखा है. उसने मुस्लिम कस्टमर सर्विस वाले को हटाकर हिंदू भेजने की मांग की थी. ये ट्वीट याद होगा.अब ए
" प्यार क्या है " सदियों से ये सवाल सब के दिलो में उठता रहा है और सदियों तक उठता रहेगा .इस सवाल का जबाब देने की सबने अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी की है ." प्यार" शब्द अपने आप में इतना वयापक और बिस्तृत है की इसकी वयाख्या करना बड़े बड़ो के लिए
पड़ोस के अंकल बहोत ही ग़ुस्सा करते है. हमेशा ग़ुस्सेमेंही रहते है . आज सुबह घूमने निकली तो सामने अंकल बेवजह ग़ुस्सा कर रहे थे . मैंने यही पूछा ... क्या हुआ अंकल आज फिर से ग़ुस्सा क्यों .अंकल. ..... अरे वो कब जायेंगे क्या पता,
भयानक साय है ,जिनके न चेहरे हैं , न नाम हैं | जला दिया लोगों को ,ज़िंदा लोगों को, या खुदा!ज़िंदा दिलों की नाज़ुक सी डोर थी, मज़हब की ज़ोर ने इसे भी तोर दिया| सब भाग रहे थे, सब चीख रहे थे, लोग दर्दनाक मारे गए मुर्दा के बीच में भी
शनिवार और रविवार शांति से बिताने के बाद सोमवार सुबह जब आँख खुली तो शोर मचा हुआ था कि "लाल किला बिक गया।" सोशल मीडिया पर पोस्ट पर पोस्ट डालकर हांफते हुए मोदी सरकार के एक अखंड विरोधी को पकड़ा और पूछा, "अब क्या हो गया भाई"?मत पूछो भाई। गज़ब हो गया। लाल किला बिक गया। ताजमहल
इस लेख का प्रारम्भ तुलसी बाबा की एक चौपाई से करता हूँ “जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखि तिन तेसी” इस चौपाई का सार सीधे शब्दों में ये है की मनुष्य जैसा सोचता है वैसी ही सृष्टि का निर्माण वो अपने आस-पास करने लगता है| संसार में अनेक प्रकार के जीव पाए जाते है,जिनमे मानव जीवन को सबसे श्रेष्ठ माना जाता
आसाराम दोषी करार, बिटिया के पिता ने कोर्ट का किया धन्यवादजोधपुर में आसाराम और उसके सहयोगियों को दोषी करार दिए जाने के बाद बिटिया के पिता के चेहरे पर खुशी देखने को मिली। उन्होंने अपने मकान से बाहर आकर मीडिया से कहा कि कोर्ट ने आसाराम और उसके सहयोगियों को दोषी करार दिया
भारत की पहली महिला विदेश मंत्री , दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीति क दल की पहली महिला प्रवक्ता ... इसमें कोई दोराय नहीं है कि सुषमा स्वराज जैसी कोई और विदेश मंत्री पहले भारत
अगर कोई पूछे कि आपने अपनी ज़िंदगी में सबसे क्रूर मज़ाक क्या सुना हैं तो मैं कहूँगा, "भारत का कानून सब भारतीयों के लिए एक बराबर हैं"। आरक्षण कानून, अल्पसंख्यक कानून, निजी कानून होने के बाद भी कोई दावा करे कि कानून सबके लिए एक बराबर हैं तो वो मज़ाक के अलावा कुछ हो ही नही ह
शायद आपने इस किताब को पढ़ा होगा या शायद नहीं भी पढ़ा होगा | खैर मैं तो कहूँगा कि इसे एक बार तो आपको जरूर पढ़ना ही चाहिए | इस किताब की कवर पेज को देखते ही आपके मन में कौतुहल जाग जायेगा कि आखिर इस किताब में क्या है? आप बेचैन होंगे जानने के लिए और इसे पढ़ने के लिए भी |अगर आप बिहार से है, तो आप खुदको शायद