*शिल्प : पहली और तीसरी पंक्तियों में १२ मात्राएँ यानि २२११२२२और दूसरी पंक्ति में १० मात्राएँ यानि २११२२२ होती हैं. तीनों पंक्तियों में सारे गुरु ( २ ) भी आ सकते हैं.* माहिया ` पंजाब का प्रसिद्ध लोग गीत है . यूँ तो इसमें श्रृंगार रस के दोनों पक्ष संयोग और वियोग का समावेश होता लेकिन अब अन्य रस भी शामिल किये जाने लगे हैं . इस छंद में नायक और नायिका (प्रेमीऔर प्रेमिका) की अमूमन नोंक - झोंक होती है . यह तीन पंक्तियों का छंद है . इसे ` टप्पा` भी कहते हैं.....
*◆माहिया छंद◆*
तू चितचोर नहीं रे
भौरा उड़ आया
उपवन कली खिली रे।।
महकती रात रानी
पवन उड़ाए गंध
नासिका नथ बिरानी।।
आस पास नहि कोई
वक्त की बात है
समय सुलह गति सोई।।
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी