(शीर्षक- पृथ्वी, भू, धरणी, धरा, अचला, वसुंधरा, धरती, भूमि, क्षिति, उर्वी, मही, जमीन, धरित्री, वसुधा, रत्नगर्भा)
( मापनी- 1222, 1222, 1222) "मुक्तक" धरा भारत की, पृथ्वी लोकी शान दुनिया में इसे पहचान बड़ बहुमान दुनिया में हिदायत दे रही चंडी सुनो चीना . . अकड़ मत, मत करो अब घात दुनिया में।।-1 मही मेरी महकती है इसे जानो मित्रों सह तनिक भी तूफान मत ठानो फिसलती है पहाड़ी लपस जाओगे उठो पहले निशाना बैर मत तानो।।-2 महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी