शीर्षक- हिय/हृदय/दिल आदि,
“मुक्तक”
शिकायत हिमायत भरी है हिया में
लगी आग जलती कवायत हिया में
हृदय वेदना में तड़फता विलखता
विरह वदगुबानी बढ़ाए हिया में॥-1
संगदिल दिल में सजाते न पत्थर
तंगदिल दिल से उड़ा देते पत्थर
पत्थर की प्रचलन दिलों को दुखाए
दिल दिल से कहता चलाएं न पत्थर॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी