यह कहानी है, शेर के दो जुड़वा शावकों की, जो अपने निवास स्थान जंगल से चुरा लिए जाते है । जहाँ एक शावक को अत्याधिक हिंसक और उतेजक बना कर सरकस में रखा गया था । वही छोटा शावक राजकुमारी को उपहार में दे दिया जाता है। पर एक छोटा सा माजकराजकुमारी के साथ साथ द
एक ऐसे भाई की कहानी जो अपने पिता को दिए हुए वचन को निभाते हुए अपने छोटे भाई को गलत रास्ते से हटाकर सही रास्ते पर ले आता है...
एक जवान विधवा के हालात पर आधारित है ये कहानी।
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
जामुन का पेड़ “रवि...., रवि बेटे अन्दर आओ ।“ “आया मां, जरा यह पेड़ और लगा दूं ।” “क्या रवि बेटे तुम भी दिन भर पेड़ लिए फिरते हो ।” झल्लाते हुए मां ने कहा । “देखिए ना मां, आज मेरी इस छोटी सी बगिया में फिर से कितने सुन्दर फूल खिले हैं ।” “हां फूल तो
विजय रायपुर शहर से 10 किमी दर एक गांव राखी में एक गरीब किसान से सस्ते में जमीं खरीदकर बहुत खुश था की जल्द ही यहां मी जमीनों की क़ीमत बढेगी और मैं माला माल हो जाऊंगा। पर होता कुछ और है।
मौत खरीदता युवक एक बार मैं एक ट्रेन से कहीं बाहर से आ रहा था । अचानक एक 15-16 साल का लड़का मेरे पास हांफता हुआ आया और मेरे पास आकर खाली सीट देखकर कहने- भाई आप कौन हैं ? क्या इस सीट पर मैं बैठ सकता हूं । हां भाई, आईये, बैठिये । मगर आप अपना नाम तो ब
ये दोस्त दोस्तो की हे रितिक ओर विक्की जो सच्छे दोस्त थे जो किसी वजह से अलग हो गए पर ऐसा किया हुआ उनके बीच जो अलग हो गए /एक दिन की बात है जो रितिक ने उसे देखा उसने सोचा यही मेरा सच्चा दोस्त हे उसने इससे दोस्ती करने के लिए बहुत कोसिस की ओर आख़िर कर वो
इस किताब का नाम ‘झूठी महबूबा, पागल महबूब है' इस किताब में इक ऐसी महबूबा की कहानी है जो बहुत झूठी होती है लेकिन सच्ची प्रेमी होती है और इक ऐसा महबूब होता है जो बहुत बड़ा पागल होता है उसके प्रेम को और उसके झूट को समझना नहीं पाता है
यह कुदरत भी ना ! हम गरीबों पर ही सारे कहर ढ़ाहती है । छोटा सा तो परिवार है हमारा । अम्मा .. बाबूजी .. रज्जो ... मैं और मेरी फूल सी ढाई वर्ष की बिटिया कमली । सब कुछ कितना अच्छे से चल रहा था । बाबूजी के साथ मिलकर मैं अपनी जमीन के छोटे से टुकड़े प
एक कहानी सत्य घटना पे आधारित हैं।इसमें एक लड़की की शादीशुदा जिंदगी के बारे में बताया गया हैं।
यह कहानी उस महिला के जीवन की है जिसने महज 43 की उम्र मे ही ज़िन्दगी के हर पड़ाव को हस्ते -मुस्कराते हुए पार किया है न जाने उसने कितनी ही विपरीत परिस्थितयो का डटकर मुकाबला किया और आज वो अध्यापिका के पद पर कार्यरत है । इस कहानी से हमे जीवन मे बहुत कुछ
जीवन में हर कोई सफल बनना चाहता है । वह पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहता हैं । हर कोई किसी न किसी तरीके से अपने जीवन में आगे बढ़ता हैं और हर किसी का कुछ ना कुछ बनने का सपना जरूर होता है जैसे कि कोई डॉक्टर बनना चाहता है । कोई इंजीनियरिंग तो कोई वकील
यह एक सिंधी पारिवारिक कहानी है , उस परिवार की बहु भगवान झुलेला की भक्त है ,वह किस तरह भगवान झूलेलाल की भक्ति से अपना बिखरा जीवन सवारती है,