बांगला देश और भारत की सीमा से जुडी कहानी।बोर्डर पार करती तीन लोगों की कहानी।
क्रोध को हि जितने मे सच्ची मर्दानगी है। क्रोध तो मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर क्रोध का मतलब है दूसरे की गलतियो की सजा खुद को देना। क्रोध समझदारी को घर से फेकने के समन तो। क्रोध मे मनुष्य की आंखे बंद हो जाति है जुबान खुल जाता है क्रोधहिन मनुष्य देवता ह
में गुजरात के एक छोटे से शहर सुरत में रहता हु ,में अपने घर मैं अपनी मां और अपनी एक बड़ी बहन के साथ रहता हु ,पिताजी का तो बोहत साल पहले ही कैंसर की वजन से मृत्यु हो गया था उसके बाद घर मैं सिर्फ मैं और मेरी मां और मेरी बड़ी बहन सिर्फ हम तीनो लोग ही रहत
रहिमन इस संसार में भांति भांति के लोग। यह बात शत प्रतिशत सत्य है, इस संसार में हम प्रतिदिन भिन्न भिन्न प्रकार के लोगो से मिलते हैं।कुछ हमारी समझ में आते हैं और कुछ हमारी समझ के परे होते हैं, जो हमारी समझ के परे होते हैं , हम उन्हें अजब, गजब , पागल या
"मॉर्निंग टाइम R.R. hostal जबलपुर" फ़ोन रिंग होता है तो लड़की सोए हुए कॉल रिसीव करती है हेलो......!!! उधर से कोई कुछ बोलता है की थोड़ी देर बातें सुनकर लड़की उछलकर बेड से बाहर आ जाती है,,,!! क्या मम्मा क्यों करती हैं आप ये सब...? जब हम इसके लिए तैय
प्रिय पाठकगण, अगर आप इस किताब को पढ़ना शुरू कर चुके हैं तो मैं शत-प्रतिशत दावे के साथ कह सकता हूँ कि आप कभी ना कभी निकम्मेपन का शिकार रह चुके हैं। निकम्मापन सिर्फ एक बीमारू शब्द ही नही हैं बल्कि ये अपने आप मे एक सम्पूर्ण सुनियोजित उपाधि हैं जो आप पर थ
एक ऐसे भाई की कहानी जो अपने पिता को दिए हुए वचन को निभाते हुए अपने छोटे भाई को गलत रास्ते से हटाकर सही रास्ते पर ले आता है...
कृष्णकांत और रमाकांत चचेरे भाई थे उनके बीच प्रगाढ दोस्ती थी । वे लगभग 24 घंटे साथ बिताते थे।धमधा ग्राम के वे निवासी थे और उनकी खेती की ज़मीन वहां से 5किमी दूर ग्राम धर्मपुरा में थी। वे दौनों अपने खेत को रेघ में दे देते थे और दिन भर दौनों धमधा मेँ
दोस्तों यह किताब मेरे जीवन के निजी अनुभवों की एक झलक है इसमें समाज से जुड़े हुए अनुभवों को कागज के पन्नों पर उकेरा गया है तथा कुछ संस्मरण कुछ स्मृतियां कुछ कविताएं मैंने इस किताब में डालने की कोशिश की है जोकि मार्मिक है सामाजिक है और ऐसा लगेगा कि यह
यह कहानी है, शेर के दो जुड़वा शावकों की, जो अपने निवास स्थान जंगल से चुरा लिए जाते है । जहाँ एक शावक को अत्याधिक हिंसक और उतेजक बना कर सरकस में रखा गया था । वही छोटा शावक राजकुमारी को उपहार में दे दिया जाता है। पर एक छोटा सा माजकराजकुमारी के साथ साथ द
यह कुदरत भी ना ! हम गरीबों पर ही सारे कहर ढ़ाहती है । छोटा सा तो परिवार है हमारा । अम्मा .. बाबूजी .. रज्जो ... मैं और मेरी फूल सी ढाई वर्ष की बिटिया कमली । सब कुछ कितना अच्छे से चल रहा था । बाबूजी के साथ मिलकर मैं अपनी जमीन के छोटे से टुकड़े प
जाने वाले को कभी रोक नहीं सकते हैं वास्तव में ये बहुत दु:खद घटना है लेकिन कभी - कभी मुझे लगता है कि तय समय पर ना लौटना उससे भी दु:खद होता है एक समय के बाद सब कुछ बदल जाता है जिस शहर में हम रहते हैं वो भी कल छुट जायेगा, यह भी हो सकता है जो लोग हमारे द
पुस्तक में अनेक तरह के मनभावक वाक्य लिखे है जो जमीनी हक्कीत से जुड़े हुए है आपके ओर मेरे सांझे है
14 कहानियों का संग्रह है पचास के पार कहानियां - 1. छत्रछाया. 2.चीफ द बॉस 3. एक हम सफर 4. घरेलू पति. 5. गिरगिट का जाल 6. कमरे का अभिशाप 7. लाल का पतन. 8. मिस चक्रव्यूह 9.मिस्टर लक्ष्मण 10. पचास के पार 11. प्रारम्भ 12. प्रत
शंकर लाल अग्रवाल भिलाई के एक बड़े व्यापारी है। उनके घर में एक बार डकैती पड़ जाती है । चार डकैतों ने एक ठंड की रात उनके घर डकैती डालकर उनके घर से 5 लाख रुपये ले जाते हैं । डकैती के बाद जब शंकर अग्रवाल घटना का विशलेषण करते हैं तो उन्हें लगता है
आज की कहानी बहुत ही मोटिवेशनल है | दीपक नाम का एक लड़का था जो की फूटबाल बहुत ही अच्छा खेलता था , लेकिन उसका मन कही एक जगह तो लगता ही नहीं था | वह वही काम बहुत ज्यादा करता था , जो दूसरे लोग करते थे | कभी वह फूटबाल खेलता था और कभी वह क्रिकेट खेलता था ,