गाय के आंसू गाय एक पवित्र जीव है । जिसके बारे में आज भी हमारे बुजुर्ग मिशाल देते हुए कहते हैं वाह, बिल्कुल गऊ के समान सीधा लड़का है । पुराणों में गाय को सभी इच्छाएं पूर्ण करने वाली कामधेनू बताया गया है । जिस गाय का दान सम्पूर्ण फल देने वाली कहा गया
इसमें आपको मालूम होगा कि कोई महिला हो या पुरुष सबको जीने का हक है लेकिन इसके बावजूद भी लोग खुशहाल और समृद्ध नहीं है
शिनरा इओरोई नाम का एक लड़का अपने बाएं हाथ से चित्र बनाकर जीवन बनाने की क्षमता रखता है। एक पत्र लिखने का प्रयास करते समय, जापानी कांजी जीवन में आते हैं क्योंकि वे मूल रूप से चित्रों का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रतीक थे। चिड़िया का प्रतीक बाहर उड़ता
एक दर्द भरी दास्तां। गरीबी इंसान को ना जाने क्या-क्या करने पर विवश कर देती है? बेसहाराओं के लिए समाज का कुत्सित रूप
🌺खिलौने जो आज भी जिंदा है🌺 आज मायके में बोहोत दिनों बाद मैने अपनी पुरानी पेटी खोली और मां से कहा - "आप ने अब भी मेरे खिलौने कितने संभाल के रखे हैं। " और मन ही मन सोचने लगी कि एक मायका ही होता है जो अपनी बिटिया के सारे निर्जीव खिलौनों को
धर्मपुत्र इंसान की गरिमा पर सवाल उठाते हैं। क्या किसी मनुष्य की उपस्थिति उसके परिवार के आधार पर निर्भर करती है या उसने किस प्रकार के शैक्षिक संस्कार प्राप्त किए हैं। यह कहानी हिंदू और मुस्लिम परिवारों की है। जिनका रिश्ता बहुत ही दोस्ताना होता है। हिं
Part1 ये कहानी मेरे परिवार के साथ घटित घटना है, मेरा जन्म श्रीकृष्ण की जन्म स्थली मथुरा मे हुआ। बचपन से ही भक्ति भाव वाला माहौल होने के कारण हमारे सभी कार्य व इच्छाऐ प्रभू को ही पूर्ण रुप से समर्पित थी, मेरी अम्मा (दादी)सुबह जल्दी नहाकर अप
किताब के बारे मे इस कहानी के मुख्य पात्र निर्भय, ईशान, श्रद्धा, संजीत,भार्गवी और संकल्प है | निर्भय का कार मे एक्सीडेंट होने की वजह से हॉस्पिटल मे जान तो बच जाती है मगर दोनों हाथो की हथेलियों को खो देता है , समाज के कुछ लोग उसकी तरफ देखकर कहते है कि
इस किताब का नाम ‘झूठी महबूबा, पागल महबूब है' इस किताब में इक ऐसी महबूबा की कहानी है जो बहुत झूठी होती है लेकिन सच्ची प्रेमी होती है और इक ऐसा महबूब होता है जो बहुत बड़ा पागल होता है उसके प्रेम को और उसके झूट को समझना नहीं पाता है
यह कुदरत भी ना ! हम गरीबों पर ही सारे कहर ढ़ाहती है । छोटा सा तो परिवार है हमारा । अम्मा .. बाबूजी .. रज्जो ... मैं और मेरी फूल सी ढाई वर्ष की बिटिया कमली । सब कुछ कितना अच्छे से चल रहा था । बाबूजी के साथ मिलकर मैं अपनी जमीन के छोटे से टुकड़े प
एक कहानी सत्य घटना पे आधारित हैं।इसमें एक लड़की की शादीशुदा जिंदगी के बारे में बताया गया हैं।
यह कहानी उस महिला के जीवन की है जिसने महज 43 की उम्र मे ही ज़िन्दगी के हर पड़ाव को हस्ते -मुस्कराते हुए पार किया है न जाने उसने कितनी ही विपरीत परिस्थितयो का डटकर मुकाबला किया और आज वो अध्यापिका के पद पर कार्यरत है । इस कहानी से हमे जीवन मे बहुत कुछ
जीवन में हर कोई सफल बनना चाहता है । वह पढ़ लिख कर आगे बढ़ना चाहता हैं । हर कोई किसी न किसी तरीके से अपने जीवन में आगे बढ़ता हैं और हर किसी का कुछ ना कुछ बनने का सपना जरूर होता है जैसे कि कोई डॉक्टर बनना चाहता है । कोई इंजीनियरिंग तो कोई वकील
यह एक सिंधी पारिवारिक कहानी है , उस परिवार की बहु भगवान झुलेला की भक्त है ,वह किस तरह भगवान झूलेलाल की भक्ति से अपना बिखरा जीवन सवारती है,
कहते है कि समय के साथ सब कुछ बदल जाता है, पृथ्वी हो या पाताल, स्वर्ग या यम लोक । समय के अनुसार सब कुछ बदल जाता है। ओर बदल जाते हे वहाँ के लोग। जब पृथ्वी पर इंसान बदल गए तो यम लोक में देव ओर बाक़ी के लोग केसे ना बदलते? इसी कहानी पर आधारित है हमारी यह
क्रोध को हि जितने मे सच्ची मर्दानगी है। क्रोध तो मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर क्रोध का मतलब है दूसरे की गलतियो की सजा खुद को देना। क्रोध समझदारी को घर से फेकने के समन तो। क्रोध मे मनुष्य की आंखे बंद हो जाति है जुबान खुल जाता है क्रोधहिन मनुष्य देवता ह