आज भी कृष्ण और सुदामा है बस फर्क इतना है की तब द्वापर था और अब कलियुग ,!!
लोग कहते है की खून के रिश्ते कभी नही टूटते है ,और खास कर भाई बहन का पर आज के ज़माने में यह बात गलत साबित होती है ,
🌺खिलौने जो आज भी जिंदा है🌺 आज मायके में बोहोत दिनों बाद मैने अपनी पुरानी पेटी खोली और मां से कहा - "आप ने अब भी मेरे खिलौने कितने संभाल के रखे हैं। " और मन ही मन सोचने लगी कि एक मायका ही होता है जो अपनी बिटिया के सारे निर्जीव खिलौनों को
एक बच्चे का माता-पिता होना अपने आप में एक बेहद खास अनुभव है। जैसे ही एक औरत गर्भ धारण करती है वैसे ही परवरिश की यात्रा शुरू हो जाती हैं। आपके परिवार में भी आपकी नानी,दादी, मां आदि जैसे कई अनुभवी लोग होंगे जो आपको कदम कदम पर सलाह देते होंगे। काफी हद त
इस कहानी में एक लड़के की बात की गई है जिसका नाम जीगर है। ये कहानी गुजरात राज्य के एक छोटे से गाँव की है जिसकी वस्ति करीब पाँच हजार की है। इस कहानी का मुख्य पात्र जीगर जिसका सोचना है कि लड़के कुछ भी करे चलेगा लेकिन लड़कियाँ दूध सी धुली होनी चाहिए। जीगर
“सुक्का” अपने नाम से ही एक फजुलियत बिखेरता किरदार| सुक्का होने को तो कभी के प्रसिद्द साहूकार रतन शर्मा का पोत्र था| रतन शर्मा का ब्याज का बड़ा काम था अंग्रेजो के ज़माने से| उनके दो पुत्र थे बड़े चन्द्र दत्त और छोटे सोमदत्त| चन्द्र दत्त पढ़-लिख कर अध्यापक
अन्ततः कहानी संग्रह ग्यारह कहानियों का संग्रह है। यह सभी कहानियाँ मौलिक हैं तथा आज के सामाजिक परिवेश के धरातल से जुड़ी हैं।
किताब के बारे में इस कहानी के मुख्य पात्र है, विजय और प्रमिला | विजय बचपन से ही गाँव में बहुत शरारती और मस्ती किया करता था | यहाँ तक कि गाँव के बड़े-बुजुर्ग भी उसे बिगड़ा हुआ लड़का ही समझते थे | गाँव में कोई भी लड़का कुछ गलती किया करता था तो बस उदाहरण क
यह राजा सिंह का चतुर्थ कहानी संग्रह है जिसे के. एल.पचौरी प्रकाशन,इंद्रपुरी गाज़ियाबाद द्वारा प्रकाशित किया गया है.इस कहानी संग्रह मे 10 कहानियां संग्रहीत है जो सदमजीक ससरोकरों और स्त्री विराश से जुड़ी हुई है.... कहानिया 1. कम्युनिस्ट 2. दादा 3.
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
हम याद आएंगे पहले प्यार के चुंबन की तरह सावन और जेठ के धूप की तहर... मबुआ और नशा की तरह नशा और मौसम में झरी की तरह मौसम और चौखट की तरह पहले प्यार के चुंबन की तरह,,पहले प्यार के चुंबन की तरह..
एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा. संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर
ये कहानी है पारिवारिक रिश्तों में आते उतार-चढ़ाव और उनमें पनपते मतभेदों की !
रोमनाथ को एक दिन अपने रिक्से की सीत पर एक नोटों से भरा बंडल मिलता है। जिसे वह थाने में जमा करवा देता है। पर उसके बाद उस पर जी खयानतदारी का इल्जाम लग जाया है।
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
धनहीन जीवन -एक अभिशाप____ वास्तव में धनहीनता एक अभिशाप ही है क्योंकि बिना धन का इंसान क्या कर सकता है।ना ही वो अपनी जरुरतें पूरा कर पायेगा और ना ही अपने परिवार का भरण पोषण कर पायेगा। और जब ये सब कुछ इंसान से दूर हो जाते है तो वो इंसान एक अपाहिज या म