रोमनाथ को एक दिन अपने रिक्से की सीत पर एक नोटों से भरा बंडल मिलता है। जिसे वह थाने में जमा करवा देता है। पर उसके बाद उस पर जी खयानतदारी का इल्जाम लग जाया है।
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
धनहीन जीवन -एक अभिशाप____ वास्तव में धनहीनता एक अभिशाप ही है क्योंकि बिना धन का इंसान क्या कर सकता है।ना ही वो अपनी जरुरतें पूरा कर पायेगा और ना ही अपने परिवार का भरण पोषण कर पायेगा। और जब ये सब कुछ इंसान से दूर हो जाते है तो वो इंसान एक अपाहिज या म
मेरी इस किताब को मैंने लिखा है लेकिन ये आप सब के लिए है । कहानी ज्यादा बड़ी तो नही है लेकिन छोटी भी नही है । इस कहानी में है आलिया लेकिन रणबीर नही है । इस कहानी में शब्द है लेकिन चित्र नही है । इस कहानी का उद्देश्य लोगो का विशुद्ध मनोरंजन करना है और म
पापा से मेरा संसार पापा से मेरा अधिकार ईश्वर का रूप माता पिता दुनिया में यहि स्वीकार पापा जीवन की आधार माँ की ममता अगम अपार जीवन की हर रुप में माता पिता ही घर संसार खुशी के चमन खिलायें भले अपने मुर्छीत हो जाये लाख मुशीबत आये लेकिन घर से सभी दर्द
( अपने बाॅयफेंड अक्षय और अपनी बचपन की दोस्त अक्षरा से खाए धोखे से टूट चुकी रिमझिम अब किसी पर भी भरोसा ना करने का फैसला ले चुकी थी। ) 2 महीने बाद....... गुजरात से मुंबई आने के बाद रिमझिम अपने अतीत से कोई मतलब नही रखना चाहती थी वो रात
कैसे अपने कॉलेज की सबसे शरारती,,हंसमुख और बिंदास लड़की अपनी एक गलती से समाज के और फिर किसी परिवार के उत्पीड़न का शिकार होती है और आख़िर में कैसे अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति से समाज के लिए प्रेरणा बन जाती है,,पढ़िए मेरे धारावाहिक : " मैं तुलसी तेरे आँगन की"
कर्म का लेखा जोखा बहुत समय पहले की बात है एक गांव मे एक बनिये का दुकान था और उसके पडोस एक गरीब किसान का झोपड़ी था एक दिन वहां एक साधु भिक्षा मांगने आया सबसे पहले वह बनिए के निकट गया और बोला भिक्षाम देही पर बनिए ने जवाब म
यह कहानी है ,एक मध्यमवर्गीय परिवार के मनोभावों की महत्वाकांक्षाओं की कुछ सपने पूरे होने की कुछ टूट जाने की कुछ-कुछ जीवन की व्याख्या की तरह
एक जवान विधवा के हालात पर आधारित है ये कहानी।
प्रेम, रोमांच, हॉरर ऒर प्रेरणा से भरी कहानियों की किताब
रात के ३ बजे अचानक से तनु की आंखे खुल गई न जाने क्यों कमरे में ठंड बढ़ गई थी नवंबर की शुरुवात थी और मौसम रात को ठंडा हो जाता था तनु ने उठ के पानी पिया और देखा था खिड़की खुली हुई थिनौर उस में से ही ठंडी हवाएं आ रही थीं, तनु सोच में पड़ गई ये खिड़क
विजय रायपुर शहर से 10 किमी दर एक गांव राखी में एक गरीब किसान से सस्ते में जमीं खरीदकर बहुत खुश था की जल्द ही यहां मी जमीनों की क़ीमत बढेगी और मैं माला माल हो जाऊंगा। पर होता कुछ और है।
बदलाव वह औरत जिसका नाम कमला था । आज तो मुझे किसी भी किमत पर नही छोड़ने वाली थी । क्योंकि सुबह से ही हर किसी इंसान से या गली से गुजरने वाले बच्चे, बूढ़े या जवान से मेरा पता पूछती, फिर रही है क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही मैं उस गली से गुजर रहा था, जिस
एक दिन एक साधू और भिखारी एक मुहल्ले मेँ टकरा जाते हैं।उनके बीच जो संवाद होता है ।उसके बाद वह भिखारी उस मुहल्ले में कभी न गया।
मांग कॉलेज के पिछे वाले ग्राऊंड में बहुत सारे पेड़ों के बीच एक लंबे-चौड़े छाया वाले पेड़ के नीचे सुमन किसी का इंतजार करते हुए बार-बार अपनी कलाई पर बंधी घड़ी को देख रही थी । शायद उसे किसी के आने का बेषब्री से इंतजार था । इसीलिए वह समय को रोकने की ना