पर्यावरण के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए हमने कई पहलू देखे| वन, पानी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संवर्धन के कई प्रयासों पर संक्षेप में चर्चा भी की| कई व्यक्ति, गाँव तथा संस्थान इस दिशा में अच्छा कार्य कर रहे हैं| लेकिन जब हम इस सारे विषय को इकठ्ठा देखते हैं, तो हमारे सामने कई अप्रिय प्रश्न उपस्थित ह
"बाग़ बिन पर्यावरण"बुजुर्गों ने अपने हाथों से बाग़ लगाया था गाँव के चारों ओर, याद है मुझे। मेरा गांव बागों सेघिरा हुआ एक सुन्दर सा उपवन था।कहीं से भी निकल जाओं, फलों से मन अघा जाता था। महुआ, जामुन मुफ़्त में मिल जाते थे तोआम, आवभगत के रसीले रस भर देते थे। शीतल हवा हिलोरें मारती थी तो बौर के खुश्बू, हर
इस्राएल की बात हमने पीछले लेख में की| इस्राएल जल संवर्धन का रोल मॉडेल हो चुका है| दुनिया में अन्य ऐसे कुछ देश है| जो देश पर्यावरण के सम्बन्ध में दुनिया के मुख्य देश हैं, उनके बारे में बात करते हैं| एनवायरनमेंटल परफार्मंस इंडेक्स ने दुनिया के १८० देशों में पर्यावरण की स्थिति की रैंकिंग की है| देशों म
एक आकलन के अनुसार, यदि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति एक औसत अमेरिकीजितना संसाधन उपभोग करे तो हमारी पृथ्वी जैसे तीन और ग्रहों की ज़रुरत पड़ेगीअर्थात कुल चार ग्रह. ब्रिटेन के टीवी चैनल आईटीवी पर स्टीफन हॉकिन्स ने आगाह कियाकि जलवायु परिवर्तन करीब सात करोड़ साल पहले के क्षुद्र ग्रहों के उस टकराव से भीज
इस्राएल! एक छोटासा लेकिन बहुत विशिष्ट देश! दुनिया के सबसे खास देशों में से एक! इस्राएल के जल संवर्धन की चर्चा करने के पहले इस्राएल देश को समझना होगा| पूरी दुनिया में फैले यहुदियों का यह देश है| एक जमाने में अमरिका से ले कर युरोप- एशिया तक यहुदी फैले थे और स्थानिय लोग उन्हे अक्सर 'बिना देश का समाज' क
पर्यावरण संरक्षण सर्वोत्तम मानवीय संवेदना सुशील शर्मा मनुष्य और पर्यावरण का परस्पर गहरा संबंध है।अग्नि , जल, पृथ्वी , वायु और आकाश यही किसी न किसी रूप में जीवन का निर्माण करते हैं, उसे पोषण देते हैं। इन सभी तत्वों का सम्मिलित , स्वरूप ही पर्यावरण है। पर्यावरण संरक्षण पाँच स्तरों पर सम्भव होगा-1- मान
विश्व का एक मात्र उदारण जो पेड़ों के लिये अपनी कीमती जान देना वह् 363 अमर शहीद विशनोई जो अमृता देवी की अगवाई में हुआ जोधपुर नरेश ने किले की चिनाई के लिए चुना पकाने के लिए लकड़ी लाने का आदेश् दिया उनके सैनिक लकड़ी लेने के लिए निकले तो खेजड़ली गांव में बहुत खेजड़ी के पेड़ देखे तो उसे काटने लगे यह देख विशनोई
दिन पर दिन बढती जा रही हमारी वैज्ञानिक प्रगति और नए संसाधनों से हम सुख तो उठा रहे हैं लेकिन अपने लिए पर्यावरण में विष भी घोल रहे हैं . हाँ हम ही घोल रहे हैं . प्रकृति के कहर से बचने के लिए हम अब कूलर को छोड़ कर किसी तरह से ए सी खरीद कर ठंडक का सुख उठाने लगे हैं लेकिन उ
पर्यावरण यानी वातावरण । पृथ्वी और इसके कक्ष में आने वाली हवा, पानी, समुद्र, पहाड़ियां, पेड़ों से भरे जंगल, मिट्टी, झील, झरने जानवर, सौरमंडल इत्यादि पर्यावरण के विभिन्न अंग हैं। पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए। इसे सदा साफ और स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य है। पशु-पक्षी और हम सब के जीने के लिए ऑकसीजन बहुत
आज हमारी जिन्दगी की रफ्तार इतनी तेचज हो गयी है कि हम प्रकृति को अनदेखा किए जा रहे है आज हमारे पास प्रकृति को देखने तक की फुर्सत नही लेकिन जब प्रकृति अपने ऊपर होने वाले जुल्म का विरोध करती है तो हम सभी उसको कोसते है अतः मेरी आप सभी पाठको से विनती है कि दिन मे कम से कम 1 घण्टा जरूर समय निकाले और इ