विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास : मानव सभ्यता के आरम्भ से ही प्रकृति के आगोश में पला-बढा और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सचेत रहा है । किन्तु जैसे-जैसे विकास के सोपानों को मानव पार करता गया, प्रकृति का दोहन एवं पर्यावरण से खिलवाड़ रोजमर्रा की चीज हो गई । ऐसे में आज समग्र विश्व में पर्यावरण सुरक्षा चर्चा का विषय बना हुआ है । इसके प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्रसंघ के तत्वाधान में, पूरे विश्व में आम लोगों को जागरुक बनाने के लिए एवं कुछ सकारात्मक पर्यावरणीय कार्यवाही को लागू करने के द्वारा पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने तथा मानव जीवन में स्वास्थ्य और हरित पर्यावरण के महत्व के बारे में वैश्विक जागरुकता को फैलाने के लिए वर्ष 1973 से हर 5 जून को ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई, हालांकि आज भी कुछ लोग, पर्यावरण की सुरक्षा एवं जिम्मेदारी सिर्फ सरकार या निजी संगठनों की मानते है जबकि यह कार्य पूरे मानव समाज की जिम्मेदारी है ।
विश्व पर्यावरण दिवस क्यों मनाया जाता है : हमारे बड़े पर्यावरणीय मुद्दें जैसे भोजन की बरबादी और नुकसान, वनों की अनाप-शनाप कटाई, ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना इत्यादि समस्याओं को बताने के लिए ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को वार्षिक उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत की हुई । पूरे विश्वभर में इस अभियान को प्रभाव में लाने के लिए प्रति वर्ष एक खास थीम (विषय) और नारे के अनुसार उत्सव की योजना बनायी जाती है । पर्यावरण संरक्षण के दूसरे तरीके जैसे- बाढ़ और मिट्टी की कटाई (अपरदन) से बचाने के लिए सोलर-हीटर, सोलर एनर्जी के माध्यम से ऊर्जा उत्पादन, नये जल निकासी तंत्र का विकास करना, इत्यादि के इस्तेमाल के लिए आम लोगों को बढ़ावा देना, सफलतापूर्वक कार्बन उत्सर्जन कम करना, जंगल प्रबंधन पर ध्यान देना, ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव घटाना, बिजली उत्पादन को बढ़ाने के लिए हाइड्रो शक्ति का इस्तेमाल, भूमि पर पेड़ लगाने के द्वारा बायो-ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इसे उत्सव की तरह मनाया जाता है ।
विश्व पर्यावरण दिवस अभियान के लक्ष्य : विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में आम लोगों को जागरुक करना ही इस उत्सव का लक्ष्य है, जिसमें -
* विकसित पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों में एक सक्रिय प्रतिनिधि बनने के साथ ही साथ उत्सव में सक्रियता से भाग लेने के लिए अलग-अलग समाज और समुदाय के आम लोगों को बढ़ावा देते हैं ।
* पर्यावरणीय मुद्दों की ओर नकारात्मक बदलाव रोकने के लिए सामुदायिक लोगों की भागीदारी बहुत जरुरी हैं ।
* सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक सुखी भविष्य का आनन्द लेने के लिए लोगों को अपने आसपास के माहौल को सुरक्षित और स्वच्छ बनाने के लिए प्रोत्साहित करना ।
विश्व पर्यावरण दिवस से जुड़े एक्टिविटी (क्रिया-कलाप) : उत्सव की ओर और अधिक लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग देशों में इस महान कार्यक्रम को मनाने के लिए विभिन्न प्रकार के क्रियाकलापों की योजना बनायी जाती है । सभी पर्यावरण से संबंधित मुद्दों को सुलझाने के लिए पर्यावरण की ओर सकारात्मक बदलाव और प्रभाव लाने के लिए विभिन्न न्यूज़ चैनल समाचार प्रकाशन के द्वारा आम लोगों के बीच उत्सव के बारे में संदेश फैलाने और खबर को देने के लिए उत्सव में पूरी सक्रियता से भाग लेते हैं साथ ही पर्यावरणीय मुद्दों के व्यापक पहुँच की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए परेड और बहुत सारी गतिविधियाँ, अपने आसपास के क्षेत्रों को साफ करना, गंदगी का पुनर्चक्रण करना, पेड़ लगाना, सड़क रैलियों सहित कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिया-कलाप शामिल हैं । प्रकृति के द्वारा उपहार स्वरुप दिए गए वास्तविक रुप में अपने ग्रह को बचाने के लिए उत्सव के दौरान सभी आयु वर्ग के लोग सक्रियता से शामिल होते हैं । बहुत सारी गतिविधियों के द्वारा जैसे स्वच्छता अभियान, कला प्रदर्शनी, पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना, नृत्य क्रियाकलाप, कूड़े का पुनर्चक्रण, फिल्म महोत्सव, सामुदायिक कार्यक्रम, निबंध लेख न, पोस्टर प्रतियोगिया, सोशल मीडिया अभियान और भी बहुत सारे उत्सव में खासतौर से आज के दौर के युवा बड़ी संख्या में भाग लेते हैं । अपने पर्यावरण की सुरक्षा की ओर विद्यार्थीयों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल, कॉलेज और दूसरे शैक्षणिक संस्थानों में भी बहुत सारे जागरुकता अभियान चलाए जा रहें हैं । ऐसे पर्यावरणीय मुद्दों को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए उन्हें जानने देने के साथ ही पर्यावरण के गिरते स्तर के वास्तविक कारण के बारे में आम जनता को जागरुक करने के लिए सार्वजनिक जगहों में विभिन्न कार्यक्रमों को आयोजित करने के द्वारा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्सव मनाया जाता है ।
विश्व पर्यावरण दिवस का थीम और नारे : वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय मुद्दों को बताने में बड़ी संख्या में भाग लेने के लिए पूरे विश्वभर में बड़ी संख्या में लोगों को बढ़ावा देने के द्वारा उत्सव को ज्यादा असरदार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के द्वारा निर्धारित खास थीम पर हर वर्ष का विश्व पर्यावरण दिवस उत्सव आधारित होता है । पिछले वर्ष का विषय था "दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए दौड़ में शामिल हों" और वर्ष 2017 का विषय (थीम) है "विकास हेतु सतत पर्यटन ।"
संयुक्त राष्ट्र
संघ द्वारा वर्ष 2017 को ‘विकास हेतु सतत् पर्यटन’ के लिए अंतरराष्ट्रीय वर्ष घोषित
किया गया है और यह कदम पर्यटन को बढ़ावा देकर गरीबी निवारण, पर्यावरण
संरक्षण एवं जीवन की गुणवत्ता में सुधार हेतु एक सकारात्मक पहल है । उल्लेखनीय है कि
पर्यटन संपोषणीय विकास के तीनों आयामों यथा-आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय हेतु महत्त्वपूर्ण
है –
(i) पर्यटन के विकास में न केवल प्रत्यक्ष रोजगार सृजन होता है अपितु अन्य सहायक गतिविधियों को बढ़ावा भी मिलता है ।
(ii) अंतरराष्ट्रीय संबंधों की मधुरता तथा अंतरराष्ट्रीय विनिमय और क्षेत्रीय संतुलन की दृष्टि से भी यह महत्त्वपूर्ण है ।
(iii) पर्यटन का एक महत्त्व यह भी है कि इससे लोगों के मध्य आपसी समझ में वृद्धि, विभिन्न संस्कृतियों में अंतर्निहित मूल्यों को प्रोत्साहन तथा विभिन्न सभ्यताओं के समृद्ध धरोहरों के प्रति जागरूकता में वृद्धि होती है ।
(iv) निष्कर्षतः सतत् पर्यटन का समग्र प्रभाव विश्व शांति की स्थापना के रूप में होगा और संयुक्त राष्ट्र की यह पहल एजेंडा 2030 के लक्ष्यों की प्राप्ति में एक मील का पत्थर भी सिद्ध होगा ।
पर्यावरण के संरक्षण बाबत विश्व के कई महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों द्वारा अनेक कथन कहे गए है जिनमें मुख्य- मुख्य निम्न है :-
(1) “इन पेड़ों के लिए भगवान ध्यान देता है, इन्हें सूखे, बीमारी, हिम्स्खलन और हजारों तूफानों और बाढ़ से बचाता है । लेकिन वो इन्हें बेवकूफों से नहीं बचा सकता ।”- जॉन मुइर
(2) “भूमि के साथ सौहार्द एक दोस्त के सौहार्द जैसा है; आप उसके दायें हाथ को प्यार करें और बांये हाथ को काट नहीं सकते ।”- एल्डो लियोपोल्ड
(3) “आगे बढ़ने का एक ही रास्ता है, अगर हम अवश्य पर्यावरण की गुणवत्ता को सुधार दें, सभी को शामिल होने के लिए है ।”- रिचर्ड्स रोजरर्स
(4) “सरकार को स्वच्छ पर्यावरण के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए ना कि शासनादेश कैसे ये लक्ष्य लागू करना चाहिए ।”- डिक्सी ली रे
(5) “पृथ्वी हर मनुष्य की जरुरत को पूरा करता है, लेकिन हर व्यक्ति के लालच को नहीं ।”- महात्मा गाँधी
पर्यावरण प्रदूषण संकट और विभिन्न प्रयास : पर्यावरणीय वैश्विक समस्या के निवारण हेतु हम अपने स्तर पर निम्न प्रयासों में सहयोग तो अवश्य ही किया जा सकता है --
(1) निजी वाहनों की बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दें ।
(2) बिजली से चलने वाले वाहनों का प्रयोग करें ।
(3) सीएनजी से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल करें ।
(4) जहां संभव हो बॉयो-डीजल का प्रयोग करें ।
(5) अपने बगीचे और सार्वजनिक स्थानों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं ।
(6) पानी का किफायत से उपयोग करें ।
(7) पवन उर्जा, सौर उर्जा और जल उर्जा से चलने वाले उपकरणों को तरजीह दें ।
(8) बिजली से चलने वाले उपकरणों को जितनी आवश्यकता हो, उतना ही इस्तेमाल करें ।
(9) एयर कंडीशन और इस प्रकार की चीजों का कम से कम इस्तेमाल करें, क्योंकि इससे क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस उत्सर्जित होती है, जो वायुमंडल की ओजोन परत को काफी नुकसान पहुंचाती है ।
(10) नदियों और अन्य जल स्रोतों को प्रदूषित न करें, उनमें कचरा न डालें ।
(11) पॉलीथीन का इस्तेमाल बंद करें । इसकी जगह ईको-फ्रेंडली उत्पाद (कागज के थैले आदि) प्रयोग में लाएं ।
(12) कूड़े को कूड़ेदान में ही फेंकें ।
(13) ‘थ्री आर’ व्यवस्था- रिड्यूस (पर्यावरण के लिए हानिकारक चीजों का इस्तेमाल कम करें), रियूज (चीजों को एक बार की बजाय कई बार इस्तेमाल करें) और रिसाइकल, को बढ़ावा दें ।
(14) एक से ज्यादा व्यक्तियों को एक ही इलाके में जाना (जैसे ऑफिस या किसी कार्यक्रम में) हो तो अलग-अलग वाहनों का इस्तेमाल करने की बजाय शेयरिंग करके सामूहिक रूप से जाएं ।
(15) पटाखे को बाय-बाय कहें । इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण दोनों ही कम होगा ।
(16) लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न करें ।
(17) गैर-जरूरी स्ट्रीट लाइट बंद कर ‘लाइट पॉल्यूषण’ कम कर सकते हैं ।
(18) सामान्य बिजली उपकरणों के स्थान पर सीएफ़एल या एलईडी बल्ब का प्रयोग करें ।
(19)
स्वयं पर्यावरण-साक्षर (इको-लिटरेट) बनें, पर्यावरण को प्रदूषित ना
करें, ना ही दूसरों को करने दें ।
प्रकृति और पर्यावरण, हम सभी को बहुत कुछ देते हैं, पर बदले में कभी कुछ माँगते नहीं । पर हम इसी का नाजायज फायदा उठाते हैं और उनका ही शोषण करने लगते हैं । हमें हर किसी के बारे में सोचने की फुर्सत है, पर प्रकृति और पर्यावरण के बारे में नहीं । यदि पर्यावरण इसी तरह प्रदूषित होता रहे तो क्या होगा... कुछ नहीं । ना हम, ना आप और ना ये सृष्टि । पर इसके बावजूद रोज प्रकृति व पर्यावरण से खिलवाड़ किए जा रहे हैं । हम नित धरती माँ को अनावृत्त किये जा रहे हैं । जिन वृक्षों को उनका आभूषण माना जाता है, उनका खात्मा किये जा रहे हैं । विकास की इस अंधी दौड़ के पीछे धरती के संसाधनों का जमकर दोहन किये जा रहे हैं । वाकई विकास व प्रगति के नाम पर जिस तरह से हमारे वातावरण को हानि पहुँचाई जा रही है, वह बेहद शर्मनाक है । हम सभ्यता का गला घोंट रहें हैं । हम जिस धरती की छाती पर बैठकर इस प्रगति व लम्बे-लम्बे विकास की बातें करते हैं, उसी छाती को रोज घायल किये जा रहे हैं । पृथ्वी, पर्यावरण, पेड़- पौधे हमारे लिए दिनचर्या नहीं अपितु पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनकर रह गए हैं । वास्तव में देखा जाय तो पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो आचरण भी शुद्ध रहेगा । लोग निरोगी होंगे और औसत आयु भी बढ़ेगी । पर्यावरण-रक्षा सामान्य जिम्मेदारी कार्य ही नहीं, बल्कि हमारा नैतिक धर्म है ।
आइए हम सब “स्वच्छ भारत, स्वस्थ्य भारत एवं पर्यावरण मित्र भारत" बनाएँ ।
(डाटा सोर्स : UNO)