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कोई तो मेरे दिल का मोल दो।

की बैठा हूँ बाजार में कोई तो मेरा दिल का मोल दो टूटा हुआ है दिल मेरा कोई तो उसको जोड़ दो। वो कहते है बिकते है बाजार मे हजारो दिल तुम्हारे जैसे उसने तोड़ा है दिल मेरा कोई तो उसका दिल तोड़ दो।।

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1 फरवरी 2022
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कुछ अनकहे अल्फ़ाज़

झुकी आंखे जब हया हो जाए नयनों में ही जब जुबा हो जाए लफ्ज़ वो बात कहते ही नहीं आंखों से जो बया हो जाए

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6 अगस्त 2022
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बेला

'बेला' की रचनाओं की अभिव्यक्तिगत विशेषता यह है कि वे समस्त पदावातली में नहीं रची गयीं, इसलिए 'ठूँठ' होने से बाख गयी हैं ! इस संग्रह में बराबर-बराबर गीत और गजलें हैं ! दोनों में भरपूर विषय-वैविध्य है, यथा रहस्य, प्रेम, प्रकृति, दार्शनिकता, राष्ट्रीयता

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मेरी अधूरी कहानी

मेरी अधूरी कहानी वह अन्य घर से बचपन वह नन्हे से पल कहां गुम हो गए बस क्यों क्यों क्यों यह मेरी अधूरी कहानी बचपन में खो गई क्यों क्यों क्यों यह पूछता है मन की यह मेरी अधूरी कहानी क्यों रह गई अधूरी इसके पीछे कौन है जिम्मेदार मैं या मेरी किस्मत यह मेरी

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1 फरवरी 2022
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सह - शिक्षा

सह शिक्षा से लाभ और हानी

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20 अगस्त 2022
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कौन थी वो...

एक अनसुलझी.... अनसुनी.... बेहद ही रोचक.... लेकिन डरावनी कहानी....।।।।

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अपरा

निराला के काव्य में बुद्धिवाद और हृदय का सुन्दर समन्वय है। छायावाद, रहस्यवाद और प्रगतिवाद तीनों क्षेत्रों में निराला का अपना विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय प्रेरणा का स्वर भी मुखर हुआ है। छायावादी कवि होने के कारण निराला का

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सिंहासन बत्तीसी

सिंहासन बत्तीसी/सिंघासन बत्तीसी एक लोककथा संग्रह है। प्रजा से प्रेम करने वाले,न्याय प्रिय,जननायक, प्रयोगवादी एवं दूरदर्शी महाराजा विक्रमादित्य भारतीय लोककथाओं के एक बहुत ही चर्चित पात्र रहे हैं। उनके इन अद्भुत गुणों का बखान करती अनेक कथाएं हम बचपन से

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खिलते एहसास।

प्रिय पाठकगण सुधिजन व मित्रगण, जयश्रीकृष्ण,, आप सब को मेरा सादर नमस्कार। प्रियवर " खिलते एहसास " का एहसास सहसा ही मस्तिष्क मे उभरा।कई बार हम कई विशेष परिस्थितयों के अधीन बंधे महसूस करते है।वो भी तब जब कोई आस या कामना सामने खडी होती है ।और ऐसे

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12 अगस्त 2024
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Rakesh mishra की डायरी

जीएससीएचजेके एचडीएफआईआई जीडीसीजेके उद्धी एचएफसीएचके एचजीएफसी जगक हफशिक यूडीएसडीएचजेके जेडीसीबीके

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7 जनवरी 2022
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मानसी

कवि कहता है कि इन्हें देखकर मेरे हृदय में यह उत्साह हमेशा भरा रहता है कि मैं इस विशाल विस्तृत और महान सागर रूपी घर के कोने-कोने में जाऊँ और इसकी लहरों में बैठकर जी भर कर इसमें घूमूँ। निकल रहा है जलनिधि-तल पर दिनकर-बिंब अधूरा। कमला के कंचन-मंदिर का म

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79 अध्याय
17 अगस्त 2022
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डॉ. कुँवर बेचैन जी की  ग़ज़लें

हिंदी ग़ज़ल और गीत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर डाॅ.कुंवर बेचैन का जन्म उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के उमरी गांव में हुआ। डाॅ.कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। मसलन कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे। डाॅ. कुंवर बेचैन की

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70 अध्याय
25 अगस्त 2022
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आराधना

आराधना के गीत निराला काव्य के तीसरे चरण में रचे गए हैं, मुख्यतया 24 फरवरी 1952 से आरंभ करके दिसम्बर 1952 के अंत तक। इन गीतों से यह भ्रम हो सकता है कि निराला पीछे की ओर लौट गए हैं। वास्तविकता यहा है कि धर्म-भावना निराला में पहले भी थी, वह उसमें अंत-अं

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18 अध्याय
7 मई 2022
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संभाजी राजे

*शिवविचार प्रतिष्ठान* *१६ आॅगस्ट इ.स.१६६२* "अण्णादी दत्तो प्रभूणीकर" हे वाकनिशी करत होते, त्यांना छत्रपती शिवरायांनी सुरनिशीचा हुद्दा सांगितला. *१६ ऑगस्ट इ.स.१६८१* आतापर्यंत केवळ मराठी मुलखाचीच नासधूस करणारा सिद्दी १६ ऑगस्ट पासून इंग्रजांनाही त्रास द

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2 अध्याय
21 अगस्त 2022
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लव सेंस

यह भी एक छोटी सी कहानी है, जो कि आज के समय को परिभाषित करती है। आज-कल जिस प्रकार से युवा परिवारिक रिश्ते को महत्व नहीं देते और अलग रहने की कोशिश करते है। आज-कल जिस प्रकार से हमारे समाज में लव का मतलव सिर्फ और सिर्फ कामनाओं की पुर्ति रह गया है और जिस

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21 सितम्बर 2022
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श्री कान्त वर्मा  की प्रसिद्ध  कविताएँ

श्रीकान्त वर्मा की कविताओं में कवि के अनुभव आज के जीवित संस्कारों से सीधे टकरा रहे हैं। कवि को मालूम है कि राजनीति के घुसपैठियों ने शब्दावली बदल-बदल कर लम्बे-चौड़े वादों से जनता को बहकाया है और जनता मूर्खों की तरह उस तरफ आशा लगाए बैठी है। श्रीकान्त

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82 अध्याय
20 अगस्त 2022
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दैनन्दिनी

अपने विचार और जीवनी आप सभी के साथ साझा करने का एक छोटा सा प्रयास...।

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37 अध्याय
31 मार्च 2022
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बबंडर

यह कहानी आज के शिक्षित युवाओं की मनो व्यथा को दर्शाता है। वैसे तो यह कहानी लंबी नहीं है, परन्तु.....इसमें समाज में फैले हुए वैमनस्यता एवं उसके कारणों को समाहित किया गया है। साथ ही यह भी दिखाने की कोशिश की गई है, कि आज का युवा चाहे, तो कुछ भी कर सकता

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1 अध्याय
21 सितम्बर 2022
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सांध्य काकली

निरालाजी की ये अंतिम कविताएँ अनेक दृष्टियों से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं । उनके विचारों, आस्थाओं ही के सम्बन्ध में नहीं, उनके मानसिक असन्तुलन की उग्रता के सम्बन्ध में भी लोगों में बड़ा मतभेद है । उनकी इन अन्तिम कविताओं से इन विवादग्रस्त विषयों पर विचा

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राम नरेश त्रिपाठी की प्रसिद्ध कविताएँ

कविता, संस्मरण, साहित्य सभी पर उन्होंने कलम चलाई। अपने जीवन काल में उन्होंने ग्राम गीतों का संकलन करने वाले वह हिंदी के जिसे 'कविता इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन्होंने गांव-गांव जाकर, रात-रात भर घरों के पिछवाड़े बैठकर सोहर और विवाह गीतों को सुना और च

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52 अध्याय
28 अगस्त 2022
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