यह किताब एक हिदीं कविताओं का संग्रह होगी जिसमें आप को हर तरह की भावनाओं पर आधारीत कविता मिलेगी , जिसे पढकर आप खुद को मेरी कविताओं से रिलेट कर पायेगें, आशा है मेरा लिखा आपको पसंद आयेगा!
आत्म-विकास के साथ-साथ लोक-कल्याण अर्थात मानव-कल्याण ही जयोतिष विद्या के विकास के मूल में विद्यमान माना गया है। इसमें माना गया है कि ग्रह वास्तव में किसी जातक को फल-कुफल देने के निर्धारक नहीं हैं बल्कि वे इसके सूचक अवश्य कहे जा सकते हैं। यानि ग्रह किस
I want to say something about my love and for those boys who belong to middle class family nd from small town nd theylove to any girl but couldn't express their feelings this is the story of that type of boys to get their love because who are bond w
अभागा, निशानी, हाथ का बुना स्वेटर, लूट का माल एवं नील पदम् लिखित अन्य कहानियाँ
मुक्तक-संसार के अटूट पथ पर कुर्सी कंचन कामिनी"मुक्तक संग्रह" एक अदना से कंकण के समान पथ समृद्धि में अपना योगदान दे और समस्त मानव इसके आनन्द-सागर से कुछ संग्रहित कर सके इस हेतु एक छोटा सा प्रयास आपकी सेवा में। आपका गिरिजा शंकर तिवारी "शाण्डिल्य"
क्या आप ने किसी को देखा हैं की किसी पर हाथ रखें और उस इंसान का दर्द ठीक हो जाएं ! यह अगर आप ने देखा हैं तो दिमाग मान कर भी नहीं मानने देता होगा क्यूंकि उसे कुछ तर्क चाहिए ! तो में आप को इसमें बताऊँगी की ऐसा क्यों होता हैं ! यह मेरी रेकी प्रथम
नवम्बर माह के लेख जिसका मुझे अनुभव इस माह हुआ है।कलम की स्याही से उतारने का प्रयास किया हूँ ।
मैला आँचल फणीश्वरनाथ 'रेणु' का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तर-पूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ट रूप से
कामिनी भाग 1 कामिनी एक अजीब दास्तां कुछ पाने के लिए कुछ करना पड़ता है और सब कुछ पाने के लिए सब कुछ करना पड़ता है पर मैं आज आपको एक ऐसे गांव में ले चलता हूं जहां सब कुछ पाने के लिए केवल 20 साल का होना पड़ता है। लाल टेकरा नाम के इस गांव में जो यु
माँ की लाड़ली, पिता के ह्रदय की कली , बैठाई गई पलकों पर सदा, सँवरी,निखरी,नाजों से जो पली ,पर स्त्री हूँ ना तो कभी होना पडा़ शोहदों की फब्तियों का शिकार, कभी सहनी पडी़ एक तरफा प्यार के तेजाब की धार , कभी ससुराल में तानों और उलाहनाओं का हार पहनाया गया,
गद्रष्टा, क्रांतिकारी और सक्रिय सामाजिक चेतना से संपन्न कथाकार यशपाल की कृतियाँ राजनितिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आज भी प्रासंगिक हैं | स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान और स्वातंत्रयोत्तर भारत की दशा-दिशा पर उन्होंने अपनी कथा-रचनाओं में जो लिखा, उसकी म
लिखना मेरा पैशन है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए लिखती हूं। लिखना मेरी पहचान है। मेरे दैनिक लेख मैं इस किताब में संग्रहित करूंगी।
दैनिक जीवन में तकनीक ने क्रांति ला दी है। क्या हम इसका उपयोग अपने को विकसित करने पृथ्वी को बचाने व जागरुकता लाने में कर सकते है। हमारे पास नये नये खोजो से चलने वाले यन्त्र है जो आज तीव्र गति से पैर पसार चुके है जिसके हम आदि है और हमारी धरती जो हरी भर
किस्सा है अमरावती का, वैसे अमरावती अभी तो 72 वर्ष की है पर यह घटना पुरानी है।
एक औरत अपने पति से झगड़ा कर रही थी और उससे पैसे मांग रही थी । वो कह रही थी कि तुम्हारे कामाने से क्या फायदा । रोज तो तुम दारू पीकर और जुआ खेल कर पैसा बरबाद कर देते हो । घर में कुछ भी नहीं हैं , मैं अपने बच्चे को क्या खिलाऊंगी । कम से कम उस बच्चे के ब
शब्दार्थ:- मेरे मन के .... मेरी किताब प्रेरक लेखों का संग्रह है।मेरा विश्वास है कि प्रिय पाठक इन लेखों को पढ़ने के बाद अपने पूरे मन से कहेंगे कि..... जिंदगी चेतना को वापस पाने का नाम है। धन्यवाद्
प्रस्तुत पुस्तक एक ग़ज़ल संग्रह है जिसमें स्वरचित ग़ज़लें संग्रहित हैं। ग़ज़ल ऐसी विधा है जो वर्तमान में अधिक पसंद की जा रही है जिसके माध्यम से कठिन बातों को भी आसानी से कहा जा सकता है