मेरा नमस्कार,सभी पाठकों को 🙏 instagram : real_rahul_rishidev whatsapp : 9672562598 ph : 9982400946
ये कहानी शुरू होती है एक बड़े से बंगलो से जिस के बाहर एक नेम प्लेट लगा हुआ था। जिस पे सिंघानिया निवास लिखा हुआ होता है।बंगलो के बाहर बहुत सी रंग बिरंगी महंगी महंगी गाड़िया लगी होती थी। नौकर चाकर अपने अपने काम में व्यस्त थे, कोई कार साफ कर रहा था ,तो
Ye kahani do aese logo ki hai jo ek dusre se bilkul alag hai ,,,,,,alag desh alag mohol alag duniya fhir bhi kismat unko mila deti hai
खुद से खुद तक का खुद्दारी भरा सफर ही जीवन है। : : अमोद विद्यार्थी +91 9431404240 ~~~~~~~~~~~~~ Founder Director Academy of Moral Education
यह कहानी है , श्रीधि और ध्रुव की जो एक दूसरे से गलत फहमी के वजह से मिले और दोनो को एक दूसरे से प्यार हो गया ।पर ध्रुव एक बहुत बड़े बिजनेस मैन होने के साथ साथ एक काले दुनिया का बेताज बादशाह भी था।पर एक दिन वो अपने ही प्यार श्रीधि को मौत की नींद सुला द
आदिती ने ये तय कर लिया था ,की वो अब खामोशी की चादर के साये मे ही अपनीपूरी बिता देगी ? वो स्वयं खामोश हो गई थी या फिर हालात ने।उसे खामोश कर दिया था ।ये हम उसकी जीवन की गहराइयों मे जाकर देखेंगे ?क्या गुनाह कर बैठी थी भुमी जो। उसकी आँखो मे लेखिक
"कुंवारी रात"शब्द इन पर प्रकाशित होने वाली यह मेरी नौंवी कविता संग्रह है,जिसकी पृष्ठभूमि 10जनवरी 2024को एक अस्पताल में तैयार हुई और 21फरवरी 2024को पूर्ण हुई।आज ही मेरी कविता संग्रह "बस! इतना सा" पूरी हुई है। कुंवारी रात की पहली कविता ही सार है इस कव
एक लड़का अपने ऑफिस की एक लड़की को पसंद करता है ,उसे लगता है कि वह भी उसे चाहती है ,पर कहानी कुछ और निकलती हैं,
रोजमर्रा की शब्दांजली। आपके रूबरू। मौलिक रचनाकार, संदीपशर्मा।।
इस किताब में मैने अपने एक स्टोरी को एक किताब का रूप दिया उमीद है आपको पसंद आये इस किताब को कही से कॉपी नही किया गया है इसमें दो बिछड़े प्रेमियों की कहानी है जो मिलकर भी नही मिल पाए और राह गयी उनकी मोहोब्बत अधूरी मेरे इस रचना को
सपना में तुम! ************ © ओंकार नाथ त्रिपाठी "सपना में तुम" 'शब्द इन'पर आन लाइन प्रकाशित होने वाली मेरी बारहवीं पुस्तक कविता संग्रह के रुप में है।अब तक आनलाइन प्रकाशित होने
रोमांटिक पोएट्री दिल के कुछ जज्बात
और वो हो तुम ************* ओंकार नाथ त्रिपाठी अशोक नगर बशारतपुर गोरखपुर "और वो हो तुम" 'शब्द इन' पर प्रकाशित होने वाली मेरी चौदहवीं पुस्तक है।यह मेरी
ये किताब कुछ प्रेम कहानियों का संग्रह है। जिसमे प्रेम के अलग-अलग रूप को दर्शाया गया है।
उम्र का एक ऐसा दौर जहां जिंदगी हर रोज बदलती है।