मैं शून्य हूँ तुम श्वाँस हो मेरे दशा की न्यास हो। तुम ज़िंदगी तुम बंदगी सुरभित समर उछ्वास हो।। मेरे दशा की न्यास हो।। उल्लास तुमसे आजकल कंचन धनक में रंग है। औचक महक कर देह संदल कर रहा हिय दंग है। मुश्किल बहुत है प्रेम में लेकिन सुगम मलमास हो। मे
प्यार - हमारे जीवन का अस्तित्व है। यह एक एहसास है जो दिमाग से नहीं दिल से होता है। सच्चा प्यार वहीं होता है जो अच्छे - बुरे सभी हालातों में हमारा साथ दे। प्यार इंसान को बदल देता है। उसके अंदर एक निर्मल और स्वच्छ भाव पैदा करता है। दुनिया में लोगों ने
प्रेम और यौवन के धूप-छाँही रंगों में अतृप्त का रस घोलकर उन्होंने जिस उच्छल काव्य-बदिरा का आस्वाद अपने पाठकों को पहले कराया था, वह इन कविताओं तक आते-आते पर्याप्त संयमित हो गया है और सामाजिक यथार्थ के शिला-खण्डों से टकराते युग-मानव की व्यथा-कथा ही यहाँ
भूतनाथ बाबू देवकीनंदन खत्री का तिलस्मि उपन्यास है। चन्द्रकान्ता सन्तति के एक पात्र को नायक का रूप देकर देवकीनन्दन खत्री जी ने इस उपन्यास की रचना की। किन्तु असामायिक मृत्यु के कारण वे इस उपन्यास के केवल छः भागों लिख पाये उसके बाद के अगले भाग को उनके प
कहते है प्रेम की कोई भाषा नही होती। दुनिया के हर देश में हर शहर में हर गली में प्रेम की बस एक ही भाषा है और वो है मन की भाषा। इसको समझने के लिये आपको किसी भाषा विशेष की जानकारी होना आवश्यक नही है। इसे कहने के लिये ना तो अपको अपने होट हिलाने की जरूरत
यह कहानी एक टीनेज लड़का सुमित की है।
प्यार पर सब का हक है। फिर चाहे वो प्यार हमें किसी भी उम्र में क्यों ना मिले। आदित्य जी और मिनाक्षी जी बहुत अर्से बाद एक दूसरे से मिले। दोनों के पीछे एक अतीत था जिसका साया दोनों के जीवन को प्रभावित कर रहा था। पर क्या हुआ जब दोनों को उनके बच्चों ने एक
कहानी में भोला और गंगा के प्यार को दिखाया गया है भोला की सर्प काटने से मृत्यु हो जाती है इस तरह गंगा भोला के नाम का सिन्दूर भरके उसकी याद में दिन गुजरने लगती है
विरह गीतों का संग्रह है जिसमे मेरे द्वारा रचित विरह भाव को केंद्र में रखते हुए गीत रचे गए हैं।
उर्दू ग़ज़ल का ये पहला गुलदस्ता आप दोस्तों की महफ़िल में रखता हूँ इस उम्मीद के साथ कि आप हमारी हौसला अफ़जाई ही नहीं करेंगे बल्कि हमारी कमियों को भी ज़रूर बतायेंगे। वो गुलाबी होंठ आंखें ..झील सी गहरी नशीली, वो हसीं सरगोशियां कातिल नज़र बातें रसीली। आसमा के
दो टीन एज बच्चो का प्यार पर आधारित कहानी है,!
वह विस्मित होकर रुक गया. नील जलपटल की दीवारों से निर्मित शयन-कक्ष-द्वार पर झूलती फुहारों की झालरें और उन पर इंद्रधनुष की धारियां. रंग-बिरंगी आभा वाली कोमल शय्या और उस पर आसीन स्वच्छ और प्रकाशमयी वरुणबालिका. उसका गीत रुक गया और वह देखने लगा, सौंदर्य क
वह चंद मिनटों की मुलाक़ात और राजेश के कुछ शब्द गीत के दिलोदिमाग में घर कर गये । कई दिनों तक सोते जागते राजेश उसके दिलो दिमाग पर छाया रहा । एक दिन अपने कमरे बैठ कर वह एक पुस्तक पढ़ रही थी कि अचानक उसे राजेश की याद आने लगी। उसने सोचा कहीं उसे राजेश से प्
ये जीवन कितना अजीब होता है हर किसी के नसीब अलग अलग रंग में खिलता है जीवन की परतों में तलाशते है जिस रंग को एक वही रंग नहीं मिलता कभी कभी कोई नया रंग मिल जाता है किसी के जीवन को रंगीन तो किसी के जीवन का दाग़ बन जाता किसी को खूबसूरत लम्हों की दे जाता स
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' की प्रेम से सराबोर समकालीन 62 हिन्दी ग़ज़लें एक बार जरूर पढ़े । झलकियां- पुस्तक से कुछ शेर - यूं ही देखते रहो प्यार हो जायेगा। नज़रों ही नज़रों में खेल हो जायेगा।। *** जब हंसी होंठो पे आई होगी। अदा वो दिल में समाई होगी।।
न कोई था , न कोई है इश्क है जनाब मज़ाक थोड़ी है..🍂 🍁 SHIVSIDDH 🍁
मन के मोती किताब शेरों-शायरी का सुंदर संकलन है। इस किताब में संकलित शेरो केद्वारा मैंने प्यार महोब्बत ख़ुशी ग़म, इज़हार, इंकार, वफा, बेवफा, जीवन मरण रुठना, मनाना जैसे जिंदगी के हर रंग को लिखने की कोशिश की है।
ये कहानी है उस दौर के एक प्रेमी जोड़े की जब फ़ोन , इंटरनेट जैसी कोई सुविधा नहीं थी । ये वो दौर था जहाँ कागज़ ही अपने दिल का हाल बयान करने का एकमात्र साधन था । बेहरोज़ हॉस्टल से पढाई पूरी कर के अपने घर लौटता है । अचानक उसकी मुलाकात अपने ही इलाके की नाज़ से
"इश्क़ का ओटीपी" एक ऐसी कहानी प्रस्तुत करेगा, जो विश्वशनीय व सात्विक प्रेम को ना दरसा कर... प्रेम के बदलते स्वरूप अर्थात आधुनिक प्रेम को पेश करेगा। आज की तारीख का वह रिश्ता जिसकी शुरुआत दोस्ती से हो कर प्यार तक का सफ़र तय कर वापस दोस्ती के शुरुआती क
मानव प्रेम का बाजारीकरण के नए दृष्टिकोण पर आधारित उपन्यास.