"कुंडलिया"
पाया प्रिय नवजात शिशु, अपनी माँ का साथ।
है कुदरत की देन यह, लालन-पालन हाथ।।
लालन-पालन हाथ, साथ में खुशियाँ आए।
घर-घर का उत्साह, गाय निज बछड़ा धाए।।
कह गौतम कविराय, ठुमुक जब लल्ला आया।
हरी हो गई गोंद, मातु ने ममता पाया।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी