विधान~[ जगण नगण भगण सगण नगण जगण गुरु]( १२१ १११ २११ ११२ १११ १२१ २)१९वर्ण ४ चरण यति५ ५ ५ ४ वर्णों पर दो दो चरण समतुकांत
"वरुथिनी छंद"
महान तुम महान हम महानतम जुबान हो
दुलार पन जवान पन हितायतन बखान हो
किसी डगर किसी शहर सुआस मन बनी रहे
पुकार सुन दहाड़ गुन प्रभाव तन जगी रहे।।
महातम मिश्र गौतम गोरखपुरी