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रहस्य

hindi articles, stories and books related to Rahasya


मेरा क़ियाम “बटोत” में गो मुख़्तसर था। लेकिन गूनागूं रुहानी मसर्रतों से पुर। मैंने उसकी सेहत अफ़्ज़ा मुक़ाम में जितने दिन गुज़ारे हैं उनके हर लम्हे की याद मेरे ज़ेहन का एक जुज़्व बन के रह गई है जो भुलाये

एक का नाम मिसेज़ रिचमेन और दूसरी का नाम मिसेज़ सतलफ़ था। एक बेवा थी तो दूसरी दो शौहरों को तलाक़ दे चुकी थी। तीसरी का नाम मिस बेकन था। वो अभी नाकतख़दा थी। उन तीनों की उम्र चालीस के लगभग थी। और ज़िंदगी क

बासित बिल्कुल रज़ामंद नहीं था, लेकिन माँ के सामने उसकी कोई पेश न चली। अव्वल अव्वल तो उसको इतनी जल्दी शादी करने की कोई ख़्वाहिश नहीं थी, इसके अलावा वो लड़की भी उसे पसंद नहीं थी जिससे उसकी माँ उसकी शादी

दूसरा अध्याय - सुख सागर की संक्षिप्त परिभाषा | जीने की राह | Writer- Sant Rampal Ji Maharaj सुख सागर अर्थात् अमर परमात्मा तथा उसकी राजधानी अमर लोक की संक्षिप्त परिभाषा बताई है:-शंखों लहर मेह

रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है।1. रामायण राम के

लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण

मृत्यु क्या है? एक सत्य है, जो बिन मांगे, हर किसी को मिलती है, कोई हंसकर लेता है, कोई रो के लेता है, कोई पास बुलाता है, कोई दूर भगाता है, हे मृत्यु जब तू आती है, जीवन के सत्य का मंज़र दिखाती है, तब कि

दुख की क्या परिभाषा है? कोई जान नहीं पाया, मन को दुख कब होता है, कोई पहचान नहीं पाया, हर मानव के मन की पीड़ा, भिन्न, भिन्न हो जाती है, मानव मन के सागर में, कितने दुख के मोती हैं, मानव खुद ना जान सका,

मतवाले है हम आजादी के, सदा चाहते आजादी, जोर जुर्म से टक्कर लेते, हम निडर साहसी, नहीं डरेंगे, डटे रहेंगे आजादी की राह पे हम, मिली हुई इस अनमोल आजादी को,  नहीं जाने देंगे कभी, दाग न लगने देंगे

 जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥भावार्थ:-जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्

 जहाँ भागवत कथा होती है वह स्थान तीर्थ स्वरूप हो जाता है। तद् गृहं तीर्थ रूपम्।महर्षि वेद व्यास ने चार श्लोकों का विस्तार 18 हजार श्लोकों में किया इसीलिए उनका नाम कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वे

एक स्त्री थी जिसे 20साल तक संतान नहीं हुई।कर्म संजोग से 20वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी।वो स्त्री हद से ज

 स्वास्तिक का चिन्ह किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक के चिन्ह को

संतजन अपनी कथाओं में एक प्रसंग सुनाते हैं मेघनाथ के अयोध्या आने की और श्रीलक्ष्मणजी द्वारा उसे बंदी बना लेने की। तुलसीबाबा एक चौपाई लिखते हैं उसके आधार पर ही संभवतः यह प्रसंग बनता है. आज आपके सामने वह

इस संसार में ऋणानुबन्ध से अर्थात् किसी का ऋण चुकाने के लिए और किसी से ऋण वसूलने के लिए ही जीव का जन्म होता है; क्योंकि जीव ने अनेक लोगों से लिया है और अनेक लोगों को दिया है । लेन-देन का यह व्यवहार अने

सूरदासजी जन्मांध थे उनके कोई गुरु भी नहीं थे, फिर भी कृष्ण भक्ति रस की ऐसी वर्षा, जो 'मैं' को भिगो दे.. उन्हें कैसे मिली, जब भी कभी वो किसी गड्ढे में गिरते या नदी खाई में या झरने में गिराने वाले रहते

हमेशा विदेशियों के निशाने पर रहा यह पवित्र सोमनाथ मंदिर1 .12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथमसोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है, जिसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में

नर्मदा नदी से निकलने वाले शिवलिंग को ‘नर्मदेश्वर’ कहते हैं। यह घर में भी स्थापित किए जाने वाला पवित्र और चमत्कारी शिवलिंग है; जिसकी पूजा अत्यन्त फलदायी है। यह साक्षात् शिवस्वरूप, सिद्ध व स्वयम्भू (जो

भाद्रपद शुक्ल अष्टमी चन्द्रवार (सोमवार) को मध्याह्न के समय अनुराधा नक्षत्र में श्रीराधा का प्राकट्य कालिन्दीतट पर स्थित रावल ग्राम में ननिहाल में हुआ। प्राकट्य के समय अकस्मात् प्रसूतिगृह में एक ऐसी द

1. मनुष्य के शरीर में सूर्य ग्रह-आँख, ह्रदय, हड्डी2. चन्द्र- मन, फेफड़ा, जल, रक्त3. मंगल- माँस, मज्जा4. बुध- बुद्धि, आवाज5. गुरु- मेदा, चर्बी6. शुक्र- आँख, वीर्य7. शनि- घुटना, नस8. राहु- हिंसक जन्तु, घ

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