उसने सुनील को मिलने के लिए कॉल किया तो सुनील कुमार रॉय ने मिलने के लिए दीदी को पहाड़ी के पीछे बुलायादीदी के पीछे पीछे मैं भी चल दिया,मुझे ये सब देख कर विश्वास नहीं हुआ ........उसने मेरी आंखों के सामने
राघव तुम्हारी महबूबा को तुमने हलाल क्यों नहीं किया ?उसे मेरी महबूबा नहीं विधि रॉय कहिए मेरे नौजवानों ।विधि का नशा झट से उतर गया ये सब सुन कर विधि ने कोशिश की उठने की तो खुद को लहूलुहान पाया .....
विधि नशे में बेहोश हो गई , उसे कुछ एहसास नहीं हुआ उसके साथ क्या हो रहा है?सुबह जब विधि की आंख खुली तो कुछ साफ नहीं दिख रहा था........पास में बहुत लोगों की आवाजें आ रही थी ,कोई कहता आज की रात तो जन्नत
दोनों बैठ कर खाना खाते हैं जस्ट चिल बेबीमैं तुम्हारी जान की आसानी से नहीं लूंगा तुम्हें तड़पा तड़पा कर मारूंगा........मेरी मोहब्बत में बोलकर प्यारी सी स्माइल दे दी ।विधि राघव की बाहों में जाकर लि
विधि की आंखों को अपने हाथ से दबाया और अंदर ले जाकर बेड पर बैठा दिया ।विधि मन ही मन , कुछ ठीक नहीं है मन बहुत घबरा रहा है ।राघव के फोन पर मैसेज आया राघव ने उसे इग्नोर कर दिया राघव के फोन पर बार-बार मैस
नाथ शब्द का अर्थ होता है स्वामी। कुछ लोग मानते हैं कि नाग शब्द ही बिगड़कर नाथ हो गया। भारत में नाथ योगियों की परंपरा बहुत ही प्राचीन रही है। नाथ समाज हिन्दू धर्म का एक अभिन्न अंग है। नौ नाथों की परंपर
दूसरा अध्याय - सुख सागर की संक्षिप्त परिभाषा | जीने की राह | Writer- Sant Rampal Ji Maharaj सुख सागर अर्थात् अमर परमात्मा तथा उसकी राजधानी अमर लोक की संक्षिप्त परिभाषा बताई है:-शंखों लहर मेह
रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है।1. रामायण राम के
लंका में महा बलशाली मेघनाद के साथ बड़ा ही भीषण युद्ध चला. अंतत: मेघनाद मारा गया. रावण जो अब तक मद में चूर था राम सेना, खास तौर पर लक्ष्मण का पराक्रम सुनकर थोड़ा तनाव में आया.रावण को कुछ दुःखी देखकर रावण
मृत्यु क्या है? एक सत्य है, जो बिन मांगे, हर किसी को मिलती है, कोई हंसकर लेता है, कोई रो के लेता है, कोई पास बुलाता है, कोई दूर भगाता है, हे मृत्यु जब तू आती है, जीवन के सत्य का मंज़र दिखाती है, तब कि
दुख की क्या परिभाषा है? कोई जान नहीं पाया, मन को दुख कब होता है, कोई पहचान नहीं पाया, हर मानव के मन की पीड़ा, भिन्न, भिन्न हो जाती है, मानव मन के सागर में, कितने दुख के मोती हैं, मानव खुद ना जान सका,
मतवाले है हम आजादी के, सदा चाहते आजादी, जोर जुर्म से टक्कर लेते, हम निडर साहसी, नहीं डरेंगे, डटे रहेंगे आजादी की राह पे हम, मिली हुई इस अनमोल आजादी को, नहीं जाने देंगे कभी, दाग न लगने देंगे
जरत सकल सुर बृंद बिषम गरल जेहिं पान किय।तेहि न भजसि मन मंद को कृपाल संकर सरिस॥भावार्थ:-जिस भीषण हलाहल विष से सब देवतागण जल रहे थे उसको जिन्होंने स्वयं पान कर लिया, रे मन्द मन! तू उन शंकरजी को क्
जहाँ भागवत कथा होती है वह स्थान तीर्थ स्वरूप हो जाता है। तद् गृहं तीर्थ रूपम्।महर्षि वेद व्यास ने चार श्लोकों का विस्तार 18 हजार श्लोकों में किया इसीलिए उनका नाम कृष्ण द्वैपायन से महर्षि वे
एक स्त्री थी जिसे 20साल तक संतान नहीं हुई।कर्म संजोग से 20वर्ष के बाद वो गर्भवती हुई और उसे पुत्र संतान की प्राप्ति हुई किन्तु दुर्भाग्यवश 20दिन में वो संतान मृत्यु को प्राप्त हो गयी।वो स्त्री हद से ज
स्वास्तिक का चिन्ह किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर उसकी पूजा करने का महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य सफल होता है। स्वास्तिक के चिन्ह को
संतजन अपनी कथाओं में एक प्रसंग सुनाते हैं मेघनाथ के अयोध्या आने की और श्रीलक्ष्मणजी द्वारा उसे बंदी बना लेने की। तुलसीबाबा एक चौपाई लिखते हैं उसके आधार पर ही संभवतः यह प्रसंग बनता है. आज आपके सामने वह