सार छंद [सम मात्रिक]
महिमा गुरु की हो जाये तो
तट लग जाये नैया।
शुद्ध ज्ञान गीता से आये
जय हो कृष्ण कन्हैया।।-१
भगत भाव भगवान बहूते
नाचे ताता छैया।
वन बिन मोर ढेलनी कैसी
ये किन छवि है दैया।।-२
होगी कैसे शुद्ध भावना
करो जतन कुछ भैया।
मन को धन से दूर करो
जीधन है निर्मल गैया।।-३
महातम मिश्र 'गौतम' गोरखपुरी