प्रस्तुत है क्षेत्रविद् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण
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प्रतिदिन की यह सदाचार वेला आचार्य जी के अनुभवों पर आधारित है इसलिये हमें इसका श्रवण कर अधिक से अधिक लाभ लेने का प्रयास करना चाहिये वाणी विधान परमात्मा द्वारा मनुष्य को मिला अद्भुत वरदान है l सृष्टि की उत्पत्ति में ॐ की बड़ी महिमा है l स्वर की व्याप्ति सृष्टि की रचना करती है आधार का संस्पर्श करने पर कल्पनालोक का जब उत्थान होता है तो उसको अनुभूतियां होने लगती हैं साप्ताहिक विमर्श की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने स्वाध्याय और लेखन पर जोर दिया लेखन अपनी कल्पनामूर्तियों का संस्थापन है आपस में चर्चा करने का अपना अलग महत्त्व है जैसे हाल में प्रारम्भ हुआ साप्ताहिक विमर्श अत्यन्त उपयोगी और उपादेय है चार लोग सद्भाव से बैठें तो विषय अपने आप निकल आयेंगे विषय पहले से तय करने की आवश्यकता नहीं है सफल होने पर दम्भ न आये इसका हमें ध्यान रखना है |
जानकीसकी कृपा जगावती जीव, जागि त्यागि मूढ़ताऽनुरागु श्रीहरे ।
करि बिचार, तजि बिकार, भजु उदार रामचंद्र, भद्रसिंधु, दीनबंधु, बेद बदत रे ॥ १
मोहमय कुहु-निसा बिसाल काल बिपुल सोयो, खोयो सो अनूप रुप सुपन जू परे ।
अब प्रभात प्रगट ग्यान-भानुके प्रकाश, बासना, सराग मोह-द्वेष निबिड़ तम टरे ॥ २
भागे मद-मान चोर भोर जानि जातुधान काम-कोह-लोभ-छोभ-निकर अपडरे ।
देखत रघुबर-प्रताप, बीते संताप-पाप, ताप त्रिबध प्रेम-आप दूर ही करे ॥ ३
श्रवण सुनि गिरा गँभीर, जागे अति धीर बीर, बर बिराग-तोष सकल संत आदरे ।
तुलसिदास प्रभु कृपालु, निरखि जीव जन बिहालु, भंज्यो भव-जाल परम मंगलाचरे ॥ ४
का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने बताया कि हमें भारतवर्ष की भूमि पर आये विविध रूप भगवान् राम भगवान् कृष्ण
बुद्ध महावीर दीनदयाल हेडगेवार जाग्रत करते रहते हैं यही हमारे अन्दर की सतत जीवन्तता है इसकी अनुभूति गहन स्वाध्याय, योगमार्ग या सुसंगति से आती है शब्दानुशासन से हमारी भाषा बनती है भाव बनते हैं जैसे तुलसी का ब्दानुशासन हमें प्रभावित करता है सारे अनुशासनों (समय, शब्द, शरीर, परिवार, समाज, सृष्टि ) का संग्रहभूत स्वरूप भारतवर्ष में देखा जा सकता है विचार को पचाना और विकार को दूर करना समाज, चिन्तन, व्यवहार, आचरण की दृष्टि से हम विचारशील लोगों के लिये अत्यन्त आवश्यक है समाजसेवा में ही पूरी सृष्टि बंधी हुई है आचार्य जी विज्ञान और अध्यात्म का संयोजन करते हुए बोलते हैं हम किसी से प्रेरित होते हैं फिर हम किसी को प्रेरित करें यही सिलसिला चलता रहना चाहिये |