प्रस्तुत है क्षेमिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण :-
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आचार्य जी ने रशिया यूक्रेन विवाद की चर्चा में बताया कि भारत का अमरत्व झलकता है आचार्य जी के उन्नाव वाले घर में कभी मृतप्राय हो गया कटहल का पेड़ आज बहुत फलफूल रहा है अमरत्व सर्वत्र दिखाई दे सकता है कई प्रकार की नस्पतियां हैं जिनमें अमरत्व दिखाई देता है महाभारत अठारह पर्वों में लिखा एक महाकाव्य है इसे पंचम वेद, पुराण भी कहा जाता है इसमें ईश्वरवाद धर्म दर्शन राजनीति विधि व्यवस्था न्याय है इस ज्ञानमय कोश में पृथ्वी की उत्पत्ति का भी वर्णन है महाभारत में विदुर नीति भी है अद्भुत ग्रंथ है महाभारत इन्हीं सब को देखते हुए इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं लगती कि भारत एक अद्भुत देश है जो भविष्य की चिन्ता करता हुआ आदिकालीन व्यवस्थाओं का मन्थन करता हुआ वर्तमान में जीवित रहने की शिक्षा देता है आत्म का ज्ञान होने पर ही हम आत्मविश्वासी हो सकते हैं मन और आत्मा के भेद को शरीर और मन के संबंधों को मन बुद्धि चित्त अहंकार को जानने पर हम व्याकुल नहीं रह सकते हम लोग आत्मवादी हैं मत्स्यावतार कूर्मावतार की चर्चा में आचार्य जी ने बताया कि मनुष्य ही तो पहले से हैं मानवीय चिन्तन विध्वंस भी करता है इस जगह पर मानव अबोध और दुष्ट दिखता है इससे इतर हम शिष्ट विचारशील संयमी चिन्तनशील स्वाध्यायी हैं राष्ट्र के माध्यम से परमात्मा का चिन्तन करते हैं |