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सदाचार बेला (27-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022

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प्रस्तुत है प्रह्लादन आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 27/12/2021 (पौष कृष्ण अष्टमी ) { स्वामी विवेकानन्द द्वारा त्रिदिवसीय ध्यान का अन्तिम दिन (27 दिसंबर 1892 ) का सदाचार संप्रेषण ttps://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353  

कल रविवार दिनांक 26 दिसम्बर को युग भारती ने बैच 96 का रजत जयन्ती सम्मान समारोह आयोजित किया था यद्यपि यह स्वार्थमय संसार है लेकिन यदि हमें यह अनुभूति हो जाए कि (श्वेताश्वतरोपनिषद् के षष्ठोऽध्याय में एको देवः सर्वभूतेषु गूढः सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा। कर्माध्यक्षः सर्वभूताधिवासः साक्षी चेता केवलो निर्गुणश्च॥) मैं वही हूं जो आप हैं तो प्रेम आत्मीयता दिखने लगती है और आनन्द ही आनन्द आता है जैसा कल के कार्यक्रम में हुआ यह हमारी अमरता का प्रतीक है जब हम अपने को शरीर समझ लेते हैं तो परेशान होते हैं लेकिन शरीर समझना भी मजबूरी है आचार्य जी ने वेदान्त दर्शन ब्रह्म सूत्र (हरि कृष्ण गोयंका जी ) की चर्चा की इसमें सामान्य जनों को समझ में आ सकने वाली व्याख्या है वर्तमान में जीवित रहने का अभ्यास करना चाहिए वर्तमान यदि सहयोग चाहता है तो हमें सहयोग करना चाहिए संघर्ष चाहता है तो संघर्ष, ध्यान धारणा चाहता है तो ध्यान धारणा की ओर उन्मुख होना चाहिए | लेकिन यदि कर्म के लिए स्नान ध्यान धारणा त्यागने के लिए प्रेरित कर रहा है तो उसे त्यागना चाहिए शरीर हमारा साधन है और इसे सक्षम भी होना चाहिए कर्म कर्तव्य का ध्यान रखें कहीं मनुष्य का कर्तव्य सेवा है तो कहीं युद्ध कहीं ध्यान -धारणा,कहीं मनुष्य का कर्तव्य सेवा के विपरीत उस मनुष्य को नष्ट करने का है जो राष्ट्र विरोधी है ये दर्शन के सिद्धान्त हैं हमारा ग्रन्थागार अत्यधिक तात्त्विक है इस ओर रुझान करें युग भारती हम लोगों का उत्तम उत्पाद है जिस कारण से विद्यालय अस्तित्व में आया उसी तरह युगभारती भी अस्तित्व में आई क्योंकि बूजी ने कहा था एक दीनदयाल गया है मैं अनेक दीनदयाल बनाऊंगी दीनदयाल जी की तरह सादगी, संयम, शील,संकल्प, स्वाध्याय, विचार, त्याग आदि का हमारे अन्दर भी प्रवेश हो हमें परमात्मा से यही मांगना है इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया दीपक शर्मा जी( बैच 1981), भैया अमित गुप्त जी (बैच 1989), भैया मनीष कृष्णा (बैच 1988) की चर्चा क्यों की, वायु -भक्षण कौन करता है, किसने कहा था मूंछे लगा लगा कर आ जाते हो पहचानेंगे कैसे आदि जानने के लिए सुनें  

   

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रचनाएँ
सदाचार बेला (दिसम्बर 2021)
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नियमों के अनुकूल किया गया काम ही सदाचार कहलाता है, जैसे—सत्य बोलना, सेवा करना, विनम्र रहना, बड़ों का आदर करना आदि। ये उत्तम चरित्र के गुण हैं। जिस व्यक्ति के व्यवहार में ये गुण होते हैं, वह सदाचारी कहलाता है। ... इस तरह सदाचार का अर्थ है अच्छा व्यवहार सदाचारी व्यक्ति में गुरुजनों का आदर करना, सत्य बोलना, सेवा करना, किसी को कष्ट न पहुँचाना, विनम्र रहना, मधुर बोलना जैसे गुण होते हैं।
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सदाचार बेला (01-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है दृष्टसार आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने कल एक अद्भुत स्वप्न देखा - कई उच्च कोटि के विद्वान विचारक ज्ञानी तपस्वी चिन्तक अपने अपने ढंग से इस सृष्टि की संरचना पर विचार

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सदाचार बेला (02-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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हमको नकली भूगोल बदलना होगा प्रस्तुत है धौतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने आई आई टी कानपुर में भूतपूर्व प्रोफेसर और विद्यालय की प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य रहे धूपड़ जी का

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सदाचार बेला (03 -12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है निर्णिक्तमना आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी ने भैया श्री राजेश मल्होत्रा (बैच 1975) आदि के सहपाठी रहे भैया श्री राघवेन्द्र सिंह जी (बैच 1975) का परिचय दिया और उनके पित

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सदाचार बेला (04-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है सानुक्रोश आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी का कहना है कि हम प्रबुद्ध श्रोता दुर्गुणों को पचाएं और सद्गुणों को प्रचारित करें |   पापान्निवारयति योजयते हिताय गुह्यं निग

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सदाचार बेला (05-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है धूतगुण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आप किसी एक विषय पर अपने मानस को केन्द्रित कर लें चाहे वह वस्तु पर हो तत्त्व पर हो व्यक्ति पर हो या सिद्धान्त आदि पर हो तो ध्यान केन्द्रित क

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सदाचार बेला (06-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।   बयस न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।   प्रस्तुत है अद्वयायुधीय आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण हम मनुष्य संयमी, पराक्रमी, पुरुष

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सदाचार बेला (07-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान। सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान।   प्रस्तुत है इष आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कल आचार्य जी के बड़े भाई साहब का स्वास्थ्यएकदम से खराब हो गया तो भ

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सदाचार बेला (08-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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संकल्पित जीवन सदा, मानव का शृंगार । मानव-जीवन ईश का, है अनुपम उपहार ।।   प्रस्तुत है श्वोवसीय आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण यदि नियमित रूप से किये जाने वाले अच्छे कार्य से बहुत लोगो

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सदाचार बेला (09-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है क्षान्त आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण संसार है संसार में समस्याएं आती हैं और उनके समाधान के लिए प्रयत्नशील हुआ जाता है और अपने साथी सहयोगियों का सहयोग लेकर आगे फिर जीवनयात्रा प

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सदाचार बेला (10 -12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है प्रवण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण परमात्मा की अद्भुत लीला है कि मनुष्य के सामने अनेक बार विभिन्न प्रकार की उलझाव वाली परिस्थितियां सामने आ जाती हैं और कभी-कभी सब कुछ आनन्द मे

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सदाचार बेला (11-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है कृतविद्य आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण मनुष्य स्थूल और सूक्ष्म दोनों के सामञ्जस्य का सेतु है सूक्ष्म जितना अदृश्य है उतना ही शक्तिमान है स्थूल जितना दृश्य है उतना ही शक्तिशून्

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सदाचार बेला (12-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है निवृत्तकारण आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण कार्यक्रम एक आधार है एकत्र होने का, विचार को आगे बढ़ाने का, योजनाओं को व्यवहार में परिवर्तित करने का इसी तरह का एक कार्यक्रम कल सरौंहां

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सदाचार बेला (13 -12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है आर्च आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण शिक्षक को सतत सतर्क रहने की आदत पड़ जाती है कि कोई व्याकरणिक दोष न हो और यदि हम अपने को शिक्षक मानते हैं तो वाणी और व्यवहार का नियमन अत्यन्तआव

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सदाचार बेला (14-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है ससम्पद्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण आचार्य जी हम लोगों से भावनात्मक रूप से संपर्क करते रहें और हम लोगों का अधिक से अधिक मार्गदर्शन करें स्थूल से सूक्ष्म की ओर स्वयं चलते हुए

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सदाचार बेला (15-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है मैधावकशस्त्र आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण जिसे आचार्य जी ने भैया अरविन्द तिवारी जी( बैच 1978 हाई स्कूल )के आवास (लखनऊ ) से प्रेषित किया कल आचार्य जी न्यायमूर्ति श्री सुरेश गुप

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सदाचार बेला (16 -12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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प्रस्तुत है ध्यानयोगिन्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण सहजता को शक्ति, तत्त्व,भाव, विचार, क्रिया, व्यापार कहीं भी जोड़ सकते हैं अभ्यास होने पर क्रिया, व्यापार सब सहज लगने लगते हैं | सहजता भ

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सदाचार बेला (17-12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 करसि पान सोवसि दिनु राती । सुधि नहिं तव सिर पर आराती ॥   राज नीति बिनु धन बिनु धर्मा । हरिहि समर्पे बिनु सतकर्मा ॥4॥   बिद्या बिनु बिबेक उपजाएँ । श्रम फल पढ़ें किएँ अरु पाएँ ॥   संग तें जती कुमं

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सदाचार बेला (18 -12-2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है विपश्चित्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण ब्रह्मवेला, ब्राह्मी स्थिति,ब्रह्मानुभूति आदि शब्द सात्विक मन को बहुत बल देते हैं राजसिक लोगों को प्रेरणा देते हैंऔर तामसिक के लिए बोझ

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सदाचार बेला (19/12/2021) का उद्बोधन

9 मार्च 2022
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सह नाववतु। सह नौ भुनक्तु। सह वीर्यं करवावहै । तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः (ईश्वर हम शिष्य और आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करे। हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का

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सदाचार बेला (20-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है तेजस्वत् त्रपिष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण मनुष्य जीवन प्रयासों (कुछ सायास कुछ अनायास ) की एक प्रयोगशाला है यह सदाचार संप्रेषण अपने विकारों को दूर करने की एक उत्तम व्यवस

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सदाचार बेला (21-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है सुद्रविणस्आ चार्य श्री ओम शंकर जी का (चिल्ले कलां का प्रथम दिन ) का सदाचार संप्रेषण :- आचार्य जी डा तुलसीराम की पुस्तक 'भारत में अंग्रेजी क्या खोया क्या पाया 'की चर्चा प्रायः करते हैं :- भ

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सदाचार बेला (22-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रवाह -पतित न हों प्रस्तुत है विश्रम्भभूमि आचार्य श्री ओम शंकर जी का (MAN WHO KNEW INFINITYश्रीनिवास रामानुजन का जन्मदिवस /राष्ट्रीय गणित दिवस ) का सदाचार संप्रेषण https://sadachar.yugbharti.in/ http

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सदाचार बेला (23-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्। सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।   प्रस्तुत है श्रुतपारदृश्वन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का (पौष कृष्ण चतुर्थी ) सदाचार संप्रेषण < 23 दिसंबर 1921 क

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सदाचार बेला (24 -12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है व्युत्पन्न आचार्य श्री ओम शंकर जी (पौष कृष्ण पञ्चमी ) का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   रविवार दिनांक 26 दिसम्ब

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सदाचार बेला (25-12-2021) का उद्बोधन

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 प्रस्तुत है कृतागम आचार्य श्री ओम शंकर जी का (पौष कृष्ण षष्ठी ) {स्वामी विवेकानन्द द्वारा त्रिदिवसीय ध्यान का प्रथम दिन (25 दिसंबर 1892 ) कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य में स्थित चट्टान पर बैठ कर स्व

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सदाचार बेला (26 -12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है श्रितसत्त्व आचार्य श्री ओम शंकर जी का (पौष कृष्ण सप्तमी ) { स्वामी विवेकानन्द द्वारा त्रिदिवसीय ध्यान का द्वितीय दिन (26 दिसंबर 1892 ) कन्याकुमारी में समुद्र के मध्य में स्थित चट्टान पर बै

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सदाचार बेला (27-12-2021) का उद्बोधन

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प्रस्तुत है प्रह्लादन आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 27/12/2021 (पौष कृष्ण अष्टमी ) { स्वामी विवेकानन्द द्वारा त्रिदिवसीय ध्यान का अन्तिम दिन (27 दिसंबर 1892 ) का सदाचार संप्रेषण ttps://sadachar.

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सदाचार बेला (28-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है अर्घ्य आचार्य श्री ओम शंकर जी का (पौष कृष्ण नवमी) का सदाचार संप्रेषणhttps://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   आज कल राम कथाओं पर बहुत लोग चर्चा

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सदाचार बेला (29 -12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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प्रस्तुत है विनीतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण    https://sadachar.yugbharti.in/ , https://youtu.be/YzZRHAHbK1w , https://t.me/prav353   शब्द क्या है? किसी विचारक ने कहा सब तरह के

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सदाचार बेला (30-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है सावष्टम्भ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   आचार्य जी का यह प्रयास रहता है नित्य का यह संप्र

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सदाचार बेला (31-12-2021) का उद्बोधन

10 मार्च 2022
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 प्रस्तुत है आर्यशील आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण   https://sadachar.yugbharti.in/ https://youtu.be/YzZRHAHbK1w https://t.me/prav353   राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्त

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