संकल्पित जीवन सदा, मानव का शृंगार । मानव-जीवन ईश का, है अनुपम उपहार ।।
प्रस्तुत है श्वोवसीय आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण यदि नियमित रूप से किये जाने वाले अच्छे कार्य से बहुत लोगों को लाभ पहुंच रहा हो तो प्रयासपूर्वक उसका क्रमभंग नहीं होने देना चाहिए इसी तरह का अच्छा कार्य यह सदाचार संप्रेषण भी है जिसक लिए आचार्य जी नित्य परमात्मा से प्रार्थना करते हैं कि यह क्रम प्रतिदिन बना रहे | बहुत पहले जिस समय मन्दिरों की तोड़ फोड़ शुरू हुई राजा मात्र शौर्य के प्रदर्शन में संलग्न रहते थे आम जनमानस दुविधाग्रस्त था कि हमारा काम पूजापाठ तो सिर्फ पूजापाठ और लड़ाई झगड़े का काम सेना का उस समय से ही राक्षसी शक्तियां यही चाहती रही हैं कि वो जो चाहेंगी वही होगा आज भी राक्षसी शक्तियां यही चाह रही हैं आचार्य जी ने बताया कि इस समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में कुछ ज्यादा ही उथल पुथल की चर्चाएं हो रही हैं लेकिन ऐसी चर्चाओं से अपने विचार डांवाडोल न हो यह देखना चाहिए 1 अप्रैल 1889 को जन्मे हेडगेवार जी ने मात्र 51 वर्ष का जीवन पाया लेकिन गरीबी से उठकर उसमें बहुत सारे काम किये आचार्य जी ने मार्च 1940 में संघ शिक्षा वर्ग (OTC =Officer Training Camp )शिविर की चर्चा की जब हेडगेवार जी अपना इलाज करा रहे थे l प्रतिज्ञित गणवेशधारी तरुण का वर्णन करते हुए आचार्य जी ने कहा कि गणवेश संगठन का आधार है संगठन ऐसा हो कि दुष्ट उसे देखकर भयभीत हो जाए l अपने कर्तव्य के प्रति सजग व्यक्ति चरित्रवान् व्यक्ति राष्ट्र के प्रति समर्पित व्यक्ति राष्ट्र की सच्ची संपत्ति है l युगभारती भी बड़े सिंधु का एक छोटा बिन्दु है l अपने कार्यक्रम करते समय हमें अपना मूल उद्देश्य नहीं भूलना चाहिए संगठन त्यागसम्पन्न हो समर्पणसम्पन्न हो शक्तिसम्पन्न हो यह देखें |