गीतिका में संकलित अधिकांश गीतों का विषय प्रेम, यौवन और सौन्दर्य है, जिसकी अभिव्यक्ति के लिए निराला कहीं नारी को सम्बोधित करते हैं तो कहीं प्रकृति को, लेकिन आर्द्ध की चरम अवस्था में नारी और प्रकृति का भेद ही मिट जाता है और तब नारी तथा प्रकृति एकमेक हो
'दो बैलों की कथा' प्रेमचंद द्वारा लिखित रचना है। प्रेमचंद अपनी रचनाओं के माध्यम से संदेश देने में माहिर हैं। समाज को अपनी रचनाओं के माध्यम से कैसे जगाया जाए, यह उन्हें बहुत अच्छी तरह आता है। यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या
मुम्बई के स्ट्रगलर साइड एक्टर विहान और अपने शहर कानपुर से डबिंग आर्टिस्ट बनने मुम्बई आई शिवाक्षी की दिल को छू लेने वाली प्रेम कहानी।
सुबह की पहली झंकार हो तुम वो बारिश की सुहानी शाम हो तुम मेरी उलझनों भारी ज़िन्दगी में किसी सुलझे धागे समान हो तुम... अश्क भले हो नैन में पर मेरे चेहरे की मुस्कान हो तुम यूं तो चल देती मैं कब के यहां से पर मेरे रुकने का एक ठहराव हो तुम मेरी इस खाली-सु
कविता- संग्रह १. ‘खिड़की मेरे कमरे की' एक लड़की की राह काटती खिड़की मेरे कमरे की . उसकी मेरी ऐसी चाहत फूल से जैसे भँवरे की... . विषधर नागिन सी लहराती काली-काली सी अलकें, आमंत्रित करती सी आँखे- खुले-द्वार जैसी पलकें , पागल कर देती है मुझको
कभी खिली कभी मुरझाई है ज़िन्दगी हर पल में कुछ नया लाई है जी लो ज़िन्दगी जी भर कर जाने किस मोड़ पे किसकी अंतिम बिदाई आई है खुशियाँ हो या गम सब आने जाने है खुशियाँ हो या गम सब आने जाने है एक ही थाली में रोज अलग पकवान सजाने है एक जैसे पकवान जब रोज
रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाए टूटे से फिर ना जुड़े जुड़ गांठ पर जाय ये। दोहे h
मुझे लगता है के मुझे हमें देश के लिए एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है ठीक वैसा ही जैसा अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतन्त्रता संग्राम के समय हमारा था। उस समय राष्ट्रवाद की भावना बहुत प्रबल थी। भारत को एक विकसित राष्ट्र से बदलने के लिए आवश्यक यह दूसरा दृष्टि
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि में उनकी कहानियों के अनेक रंग देखने को मिलते हैं। मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहा
निराला के काव्य में बुद्धिवाद और हृदय का सुन्दर समन्वय है। छायावाद, रहस्यवाद और प्रगतिवाद तीनों क्षेत्रों में निराला का अपना विशिष्ट महत्त्वपूर्ण स्थान है। इनकी रचनाओं में राष्ट्रीय प्रेरणा का स्वर भी मुखर हुआ है। छायावादी कवि होने के कारण निराला का
'बेला' की रचनाओं की अभिव्यक्तिगत विशेषता यह है कि वे समस्त पदावातली में नहीं रची गयीं, इसलिए 'ठूँठ' होने से बाख गयी हैं ! इस संग्रह में बराबर-बराबर गीत और गजलें हैं ! दोनों में भरपूर विषय-वैविध्य है, यथा रहस्य, प्रेम, प्रकृति, दार्शनिकता, राष्ट्रीयता
रूद्र और शरण्या की एक ऐसी कहानी जो आपको प्यार पर विश्वास करने पर मजबूर कर दे
एक औरत अपना पूरा जीवन अपने पति और परिवार के लिए समर्पित कर देती है फिर भी उसको वह मान-सम्मान और प्यार प्राप्त नहीं होता जिसकी वह अधिकारी होती है इस बात की चुभन उसके दिल को हमेशा घायल करती है वह अपने मनोभावों को दुनिया समाज के सामने व्यक्त भी नहीं कर
समाज की उपेक्षित और तिरस्कृत महिलाओं पर विविध विषयों से संबंधित कहानियां
नमस्कार साथियों , जैसा कि आप ने इस पुस्तक का शीर्षक पढ़ा होगा "संक्षिप्त कहानियां" तो आप हमारी इस पुस्तक में पढ़ेंगे संक्षिप्त कहानियां जिनमे से कुछ मेरे खुद के जीवन का अनुभव होंगी और कुछ काल्पनिक । परंतु आशा करती हूं की आपको मेरी यह पुस्तक पढ़कर आपक
निरालाजी की ये अंतिम कविताएँ अनेक दृष्टियों से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं । उनके विचारों, आस्थाओं ही के सम्बन्ध में नहीं, उनके मानसिक असन्तुलन की उग्रता के सम्बन्ध में भी लोगों में बड़ा मतभेद है । उनकी इन अन्तिम कविताओं से इन विवादग्रस्त विषयों पर विचा