Devendra Kumar Chaubey
अनजान, यह शब्द शायद किसी के लिए भी नया ना हो, परंतु इसके मर्म से बहुतेरे वाकिफ ना होंगे। उसी मर्म को तलासने की कोशिश है ये अनजान...
ममता कालिया
‘बेघर’ ममता कालिया का पहला उपन्यास और उनकी दूसरी पुस्तक है। यह कृति अपनी ताजगी , तेवर और ताप से एक बारगी प्रबुद्ध पाठकों और आलोचकों का ध्यान खींचती है
Paperback
₹ 150
निक्की तिवारी
घर का भेदी, लंका ढाये, अपने घर कि बात, हर घर जाकर बताएं, मंदिर से जाकर शंख बजायें,
दो गज़ की दूरी' वरिष्ठ कहानीकार ममता कालिया का नवीन कहानी-संग्रह है।इन कहानियों की विशेषता इनकी सहजता और सरलता है। ये अपनी संवेदनात्मक संरचना में से हो
₹ 199
मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं। यों तो उनके साहित्यिक जीवन का आरंभ १९०१ से हो चुका था पर बीस वर्षों की इस अवधि
रबीन्द्रनाथ ठाकुर
‘गीतांजलि’ महान् रचनाकार नोबल पुरस्कार विजेता कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर का प्रसिद्ध महाकाव्य है। एक शताब्दी पूर्व जब इसकी रचना हुई; तब भी यह एक महाकाव्
₹ 125
Dolly Prasad
इसमे स्त्री की विमर्शता एवं मन के भावो को अपनी क़लम के माध्यम से व्यक्त किया हैं.
यशपाल
युगद्रष्टा, क्रांतिकारी और सक्रिय सामाजिक चेतना से संपन्न कथाकार यशपाल की कृतियाँ राजनितिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आज भी प्रासंगिक हैं | स्वतंत्रत
₹ 395
महादेवी वर्मा
श्रीमती महादेवी वर्मा हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। उन्हें आधुनिक मीरा भी कहा गया है। महादेवी वर्मा जी हिंदी साहित्य में 1914
‘गाँधी की शव परीक्षा ’ में शोषण में निरीहता , अहिंसा और दरिद्रनारायण की सेवा आदि सिद्धान्तों का मूल्यांकन करते हुए कहा गया है कि ‘गाँधी वाद’ जनता की म
₹ 110
विवेक त्रिपाठी
पुस्तक में पश्चिमी सभ्यता और भारतीय संस्कृति की विरोधाभासी समानता का मनोरंजक वर्णन है।
Rajeev Namdeo Rana lidhorI
"दस्तक" राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र) का तीसरा दोहा संग्रह है जिसमें उनके ताज़ा तरीन हिंदी दोहे पेश है। जो कि विभिन्न विषयों पर रचे गए हैं
Dinesh Dubey
यह एक लघु कथा है , जो यह दर्शाता है कि इंसान जो दिखता है वैसा अंदर से भी होगा यह सही नहीं है, बुरा आदमी भी अंदर से अच्छा होता है,
Ãviñaåsh Rãj
छोड़ो ना❤️ ये सफेद बालों की फ़िक्र कोई तो होगा, जो तुम्हारी सिर्फ माथे की बिंदी पर मरता होगा. छोड़ो ना बढ़ते हुए वज़न की फ़िक्र। कोई तो होगा, जो सिर्फ त
गीत चतुर्वेदी
यूँ तो गीत चतुर्वेदी की पहली कविता 1994 में छप गई थी, जब उनकी उम्र 17 वर्ष थी, लेकिन कविताओं की पहली किताब बनाने में उन्होंनें अगले 16 साल और लगा दिए।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'
आध्यात्मिक रचनायें
2017 में प्रकाशित गीत चतुर्वेदी का दूसरा कविता संग्रह, जिसमें 2010 से 2014 तक की 63 कविताएँ शामिल हैं। स्पंदन कृति सम्मान से सम्मानित ‘न्यूनतम मैं’ गी
गीत चतुर्वेदी के गद्य में उनकी कविता की ख़ुशबू है। ‘अधूरी चीज़ों का देवता’ उनके जादुई गद्य का ताज़ा उदाहरण है। साहित्य, सिनेमा, कला, संगीत, कविता, कित
काव्यान्जलि
Ashim shivay shiv
इश्क ही इबादत इश्क ही खुदा है, इश्क के परिंदे हम हमारी बात ही जुदा है। प्यार मोहब्बत की कविताएं और शायरी पढ़ने की अगर आप शौकीन हैं तो यह किताब आपके लि