किताब एक गांव में रहने वाले भगत जी के इर्द गिर्द घूमती है। इसमें उनके जीवन में घटी घटनाओं और उनके बांसुरी के प्रेम को दिखाया गया है।तो कौन हैं ये भगत........ आइए जानते हैं
समाज की उपेक्षित और तिरस्कृत महिलाओं पर विविध विषयों से संबंधित कहानियां
दिल...... तुम्हारा दिल भी मेरी याद में, धड़कता तो होगा । जाने अंजाने में कभी , याद हमे भी करता तो होगा।। दिल में है यादों का पहरा , आंखों में बस एक ही चेहरा । ज़
सारे जग से प्यारी होती है मां, बचपन में हम सबका सहारा होती है मां, मां की ममता का कोई मोल नहीं होता, मां के जैसा इस दुनिया में कोई और नहीं होता।
मुलायम सिंग बहुत ही कडक स्वभाव के पोलिस अधिकारी थे। उनके पुत्र संजय सिंग व पुत्री नेहा सिंग उनसे बेहद डराते थे। संजय क्रिकेट का बेहतरीन खिलाड़ी था पर उनके पिता उन्हें क्रिकेट खेलने से मना करते थे वहीं पुत्री नेहा सिंग नृत्य सीखने पूना जाना चाहती थी
किसान का परिश्रम विफल होने से उसका जिंदगी को देखनेका नजरिया बदल जाता है । उसकी कुछ जानी कुछ अन्जानी गल्तियोंसे उसका जिवन तीतर बितर हो जाता है । रोजी-रोटी के चक्कर में शहरमें कारखानोंमें काम करते करते उसकी तकदीर बदल जाती है । वो शराब के अधिन हो जाता ह
ले चल मुझे इस दुनिया से दूर कही जहां बातें हो बस तेरी मेरी यादें हो सब तेरी मेरी तुझ में मैं खो जाऊं मुझ में तू की जाए दुनियां से क्या लेना हमको बस तू मैं और मै तू हो जाए।।।
कहते हैं अगर जेब में पैसा है तो सब कुछ अच्छा लगता है । लेकिन क्या हो जब पैसा इतना हो कि संभाला भी न जाए और किसी को दिया भी न जाए ? विराट जिसकी पहचान थी दुनिया के सामने नकली । आखिर क्या थी उसकी असली पहचान ? और क्यों छुपी हुई थी उसकी असली पहचान । जानने
(कॉलेज गोइंग लड़कियां) यह कॉलेज गोइंग लड़कियां! कितनी बेलौस, बेतरतीब ,बे खौफ! चलती नहीं, उड़ती है! अपने तमन्नाओं के पंख पर बेहिसाब। आंखो में सैंकड़ों ख़्वाब। परम आधुनिका। हाथों में लिए स्मार्ट फोन पर उंगलियां फिराती, अधखिली-सी! हंसती, मुस्काती। राह च
"मेरा बाप ही मेरा दुश्मन हो गया मेरे बाप ने मेरे साथ जो किया नहीं जानती हूं मेरी जगह कोई और होती तो स्वयं आत्महत्या करने की अथवा अपने बाप का गला दबा देती।" इतना कहकर रमला बुरी तरह रोने लगी।
मेरी किताब का "नाम ख़ुद की तराश" है। ख़ुद की तराश किताब में मैंने कुछ कविताएं लिखी हैं। मैं यह नहीं कहती कि मैं बहुत अच्छी कावित्री हूँ। मैंने अभी कविताएं लिखना शुरू किया है और मैं कविता लिखना सीख रही हूँ। यह कविताएं मेरी छोटी सी पहल हैं। मैंने अपनी
इस किताब में सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं को दर्शाया गया है।मानव विकास तो कर रहा है,मगर रिश्तों की अहमियत को भूल रहा है।
अपनों की दुनिया में भी अजीब सा मंजर होता है, जिन्हें निहत्था समझें अक्सर उन्हीं के पास खंजर होता है, घाव तो इतना गहरा देते हैं जितना की समुंदर भी नहीं होता है, फिर भी मुस्कुराकर जो विपरीत धाराओं का रुख मोड़ दे वही तो सिकंदर होता है,
ऐ पृथ्वी के मानव तुम , तेरी आवाहन मैं करती हूँ | सदा हमें सम्भाल कर रखना , तुम्हें हमेशा कहती हूँ | मैं स्वस्थ्य तो तुम स्वस्थ्य हो , तुमसे स्वस्थ्य पुर्ण संसार होगा | कर मदद सदा दुखियों का , प्रसन्न मन शांति तुम्हारा उपहार होगा | जल,वायु,आकाश,अग्नि
लोग सिर्फ भूत-पिसाच या बुरी आत्मा नहीं डरते। कई बार उस डर से भी भयभीत रहते हैं, जो हमें यह एहसास करवाता है कि हमारे अंदर कोई कमी है। श्यामबाबू पेशे से प्रोफेसर है, वह सुख भोगना तो चाहते है, मगर उन्हें लगता है, उनके बस की कुछ नहीं है। एक कष्टदायक
बात उन दिनों की है जब लक्ष्मण सिंह पैदावार ले रहे थे , उनके पास उनके सबसे बड़े साले के उससे छोटे भाई का फोन आया, फोन उठाया ,उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, वेसे ये बात उनकी पत्नी गंगा देवी को पता नहीं थीं। वेसे बात ये थीं कि उन्होंने बताया था कि उनकी भ
एक पिता के संघर्ष भरी कहानी जो अपने डाक्टर बनाना चाहता
इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।