shabd-logo

सामाजिक की किताबें

Social books in hindi

विभिन्न विषयों पर सामाजिक पुस्तकों को पढ़ें Shabd.in पर। हमारा यह संग्रह समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है। इस संग्रह की मदद से हम पारिवारिक रिश्ते, जात-पात, अमीर-गरीब, दहेज, रंग भेद जैसे कई मुद्दों पर समाज को रौशनी दिखाने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा भी भौगोलिक स्थिति के वजह से हाशिये पर रहे समाज की स्थिति पर भी हम समीक्षा देते हैं। तो चलते हैं समाजिक पहलुओं पर चेतना जगाने Shabd.in के साथ।
प्रकृति का सन्देश

ऐ पृथ्वी के मानव तुम , तेरी आवाहन मैं करती हूँ | सदा हमें सम्भाल कर रखना , तुम्हें हमेशा कहती हूँ | मैं स्वस्थ्य तो तुम स्वस्थ्य हो , तुमसे स्वस्थ्य पुर्ण संसार होगा | कर मदद सदा दुखियों का , प्रसन्न मन शांति तुम्हारा उपहार होगा | जल,वायु,आकाश,अग्नि

0 पाठक
0 अध्याय
16 फरवरी 2022
अभी पढ़ें
निःशुल्क


ताप- परिताप ( उपन्यास)

आमुख "ताप-परिताप"उपन्यास उदय नामक एक ऐसे लड़के की कहानी है जो स्कूली अवस्था से ही दिग्भ्रमित होकर बुरी संगति में पड़ जाता है। माता पिता के बहुत समझाने पर भी उसे कोई असर नहीं होता है। उदय के लिए उसके दोस्त माता-पिता से ज्यादा महत्व रखते हैं। थक हार कर

3 पाठक
1 लोगों ने खरीदा
12 अध्याय
27 मई 2022
अभी पढ़ें
67
ईबुक

अधुरी

खो गयी हूंँ मैं, हूंँ इसी जमीं पर , पर अपनों के बीच खो गयी हूं मैं!

अभी पढ़ें
निःशुल्क

वापसी

एक ऐसी लड़की की कहानी जो अपने प्रेमी संग घर से भाग जाती है लेकिन उसके प्रेमी का परिवार उसको नहीं अपनाता न ही उसका प्रेमी।....पर वक्त सारे पासे पलट कर रख देता है अचानक से।

0 पाठक
1 लोगों ने खरीदा
0 अध्याय
5 अक्टूबर 2022
अभी पढ़ें
40
ईबुक

अब्दुल जागा है

एक आतंकिय घटना से प्रभावित कहानी। कुछ उपद्रुवियों क् कारण समाज की कैसी दशा हो जाती है और मानवता अपाहिज। अब्दुल के बहाने उसी समाज को यह कहानी सामने लाती है।

अभी पढ़ें
निःशुल्क

प्रकृति प्रेम

बर्षा रानी बर्षा रानी, आती हो तुम कितनी प्यारी। छम छम करती डम डम करती, उछल पुछल तुम दिन भर करती। अपने आंचल में तुम सबको भरती, प्रेम सदा तुम सबको करती। सबका खयाल सदा तुम रखती, प्रकृति के आंचल को ढकती। किसानों के खुशी की मुस्कान तुम बनती, फसलों की सि

0 पाठक
0 अध्याय
अभी पढ़ें
निःशुल्क

श्यामबाबू एंड सेक्स

लोग सिर्फ भूत-पिसाच या बुरी आत्मा नहीं डरते। कई बार उस डर से भी भयभीत रहते हैं, जो हमें यह एहसास करवाता है कि हमारे अंदर कोई कमी है। श्यामबाबू पेशे से प्रोफेसर है, वह सुख भोगना तो चाहते है, मगर उन्हें लगता है, उनके बस की कुछ नहीं है। एक कष्टदायक

57 पाठक
51 अध्याय
7 अगस्त 2024
अभी पढ़ें
निःशुल्क

अनसुलझी पहेली

बात उन दिनों की है जब लक्ष्मण सिंह पैदावार ले रहे थे , उनके पास उनके सबसे बड़े साले के उससे छोटे भाई का फोन आया, फोन उठाया ,उनकी आँखों से आँसू बहने लगे, वेसे ये बात उनकी पत्नी गंगा देवी को पता नहीं थीं। वेसे बात ये थीं कि उन्होंने बताया था कि उनकी भ

0 पाठक
0 अध्याय
13 फरवरी 2022
अभी पढ़ें
निःशुल्क

एक पिता अपने बेटे को डाक्टर बनाने का अधुरा सपना

एक पिता के संघर्ष भरी कहानी जो अपने डाक्टर बनाना चाहता

1 पाठक
2 अध्याय
16 अगस्त 2024
अभी पढ़ें
निःशुल्क

मेरे एहसास

इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।

2 पाठक
6 अध्याय
20 अगस्त 2024
अभी पढ़ें
निःशुल्क



बहदुर52

ए खुदा किसी एक का तो नसीब बदल दे, चाहे उसे मेरा या मुझे उसका कर दे !!

1 पाठक
15 अध्याय
अभी पढ़ें
निःशुल्क

Mithi

तिच्या मिठीत रात्रं, मस्त निघून जाते........ . चंद्र चांदणी लपून छपून, आमचं प्रेम पहाते......

0 पाठक
0 अध्याय
अभी पढ़ें
निःशुल्क

जरूरत के रिश्ते

यह एक एक भिखारिन की कहानी है लोग उसका उपयोग कैसे करते हैं

अभी पढ़ें
निःशुल्क

राजकुमार कहानी प्रथम क़िश्त

राजकुमार एक बिगडैल रईस जादा है। रैश ड्राइविंग उसका शगल है। जिसके कारण वह कई लोगों को घायल कर चुका है। पर वह अपने पैसों के बल पर कानूनी कार्यवाही से बचा हुआ है। एक रात जब वह क्लब से नस्जे की हालात पर घर आ रहा था की उसकी कार से एक रिक्शा वाले को चोट

0 पाठक
3 अध्याय
14 फरवरी 2022
अभी पढ़ें
निःशुल्क

सामाजिक विवशताएं

हमारे समाज में कुछ भ्रांतियां फैली हुई है। जिन्हें मैं इन लघु कहानियों के रूप में बयां करना चाहती हूं। बहुत से लोगों ने कहीं न कहीं ऐसी विवशता का सामना किया होगा। और वो अपने आप को इनसे जुड़ा पाएंगे।

11 पाठक
4 अध्याय
22 अगस्त 2024
अभी पढ़ें
निःशुल्क

मैंने चोरी नहीं की

मेरी ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में एक व्यक्ति जिसे अपने पिता की दी हुई अंगूठी से अत्यधिक लगाव होता है ,उसकी वो अंगूठी चोरी हो जाती है और वो अंगूठी चोरी का इल्ज़ाम घर की नौकरानी जिसका नाम कमला है ,उसे जेल भिजवा देता है। क्या सच मे

7 पाठक
2 अध्याय
1 सितम्बर 2024
अभी पढ़ें
निःशुल्क

 समय का चक्र

समय का चक्र जिस पर चलता है उसका बर्बादी निश्चित है !ऐसे भी कहा गया है "-समय का मारा क्या करे बेचारा ,बुद्धि छीन हो जाता है, कोई भी सहारा न कर पता है !एक कहानी सत राजा हरिश्चंद्र का है -जिन्हे राजा होते हुए भी एक दिन ऐसा हुआ की डोम घर बिकना पड़ा था !

0 पाठक
0 अध्याय
1 मार्च 2022
अभी पढ़ें
निःशुल्क

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए