एक पिता के संघर्ष भरी कहानी जो अपने डाक्टर बनाना चाहता
इस किताब में मैने अपने अंदर के एहसासों को कविताओं के रूप में ढाला है।
हमारे समाज में कुछ भ्रांतियां फैली हुई है। जिन्हें मैं इन लघु कहानियों के रूप में बयां करना चाहती हूं। बहुत से लोगों ने कहीं न कहीं ऐसी विवशता का सामना किया होगा। और वो अपने आप को इनसे जुड़ा पाएंगे।
मेरी ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में एक व्यक्ति जिसे अपने पिता की दी हुई अंगूठी से अत्यधिक लगाव होता है ,उसकी वो अंगूठी चोरी हो जाती है और वो अंगूठी चोरी का इल्ज़ाम घर की नौकरानी जिसका नाम कमला है ,उसे जेल भिजवा देता है। क्या सच मे
"काव्यांजलि " यह पुस्तक विभिन्न मनोभावों को लयबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का सतत् प्रयास करने की कोशिश की गयी है। प्रत्येक पलों को अनेक रंगों से सुसज्जित कर सभी रसों को एक साथ करने का प्रथम प्रयास है, मां सरस्वती को ध्यान कर लेखनी को गति देने का प्रय
बस यूं ही कुछ! --------------------- "बस यूं ही कुछ" मेरी 'शब्द इन' पर आने लाईन प्रकाशित होने वाली सत्रहवीं किताब तथा पंद्रहवीं कविता संग्रह है।जैसा शिक्षक है उसी के अनुरूप ही इस संग्रह में ऐसी रचनाएं, संग्रहित हैं जो मन में आये चृते
पेड़ों की सुरक्षा और उनकी देखभाल
राधिका पढ़ लिखकर एक अच्छा काबिल ऑफिसर बनना और अपने घर को चलाना यह बस एक ड्यूटी है पर जो प्रथाएं जो रूढ़ि वादियां यह सब चीज औरत पर ही डाली जाती है भलाई वह गलत हो या सही है राधिका भी उनमें से एक थी और उसके ऊपर भी यह सब चीज डाली गई संपूर्ण संपन्न जो हर
दिल में उठते हुए तूफ़ान को शब्दों में पिरोने की भरसक कोशिश पुराने फिल्मी गीतोंके सहारे अपनी बात आप तक पहुंचाने का प्रयास जिसके लिए मैं गीतकार, संगीतकार उससे जुड़े हुए प्रत्येक व्यक्ति का मैं आभार व्यक्त करतीं हूं।
मैं हूं आई ए एस कि कहनी बड़ी डिल्चप्स की कैसे पार्वती अपनी मंजिल को कैसे छुलेती हैं। दुनिया वालो के मुंह में ताला लगजाता है। आज का समाय ऐसा होगया की समाज को बदलना बड़ा जरूरी होगया है और यह कहानी समाज को बदलने की प्रेरणा है। आज कल हमारे समाज मैं कोई क
मैं आप सबके लिए एक नई कहानी लेकर आई हूं--'मां तुम ही हो'। मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मेरी इस कहानी में दिखाया गया है कि सौतेली मां भी सगी मां की तरह बच्चे को प्यार दे सकती है ये एहसास एक व्यक्ति को होता है । बहुत खूबसूरत कहानी आपको पढ़कर अच्
मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । मैंने इस कहानी में ये बताने का प्रयास किया है कि पति-पत्नी के रिश्ते की नीव विश्वास पर ही टिकी होती है और इस रिश्ते को निभाने के लिए विश्वास करना चाहिए।
मेरी स्वयं रचित कविताओं का संकलन जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने की कोशिश की है।
मित्रों ये किताब उस व्यक्ति विशेष को समर्पित है जिसके सद्चरित्र, अनुशाशन, ईमानदारी, शांतिप्रियता, कर्मठता और अपने राष्ट्र और राष्ट्जनो के प्रति अथाह प्रेम और समर्पण का कायल सम्पूर्ण विश्व है | आप में से बहुत लोग मेरे विचार से असहमत हो सकते हैं परन्
यह किताब एक मन की व्यथा को अल्फ़ाज़ों के साथ पिरोती हुई हमारे जीवन की वास्तविक परिस्थिति को प्रदर्शित करती हुई एक अनमोल रचना हैं।
इस पुस्तक के माध्यम से आपको ग्रामीण जीवन में वर्तमान में होने वाले जातिगत भेदभाव की स्थिति को दर्शाया गया है। क्या वास्तव में डूम ( दलित) जाति के लोग इस भेदभाव से बचना चाहते भी हैं या वे इसमें खुश हैं। देखिए एक झलक इस कहानी में, जहां आपको एक गांव के
प्रेम और बेवफाई से भरी रहस्यों से भरी कहानी
इन आभासी पन्नों के भीतर, तुम मानव हृदय के असंख्य रंगों का सामना करोगे - इसके कंपन, इसकी खामोशी और प्रेम हेतु इसकी अतृप्त प्यास। प्रत्येक कविता एक आत्मनिरीक्षण है, अनुभव है और जीवन की व्यर्थता की प्रतिध्वनि है। यह काव्य संग्रह (जो अभी ज़ेर-ए-तामीर है),