करते रहे हो तुम शक हम पर, तुमसे बेशक क्यों रहे।क्यों समझे हम तुमको पवित्र, तुमसे वफ़ा क्यों रहे।।करते रहे हो तुम शक---------------।।सच बयां करती है हमको,यह हरकतें चाल तुम्हारी।तुमको नहीं जब शर्म हमारी,
गलती एक नहीं हजार हुईं मुझसे एक तो मोहब्बत दूसरा चांद सेतीसरा हर बार हुई उससेगलती एक नहीं हजार हुईं मुझसे ।वो जिसके काबिल ही नहीं था मैं,उससे दिल लगा बैठा।अधूरी रह गई मेरी इबादत,मैं एक पत्थर
चार दिन की ज़िन्दगी में, तीन दिन अब ख्वाब हैं,ख्वाब में बीते दिनों की, यादों के असबाब हैं।यादों की बस्ती मे कुछ गलियां हैं दिन, कुछ रात सी,दिन कुहासे से
यह सच आज मुझको, मालूम हो पाया।मेरे दुःख में किसने, मेरा साथ निभाया।।वैसे तो हमेशा मुझसे, करते थे बातें सब।आज मेरी मुसीबत में , किसने वादा निभाया।।यह सच आज मुझको----------------।।रिश्तें मुझसे जोड़े सबन
हमारे नगर में छठ पर्व की रौनक भगवान सूर्य के प्रति श्रद्धा में लिप्त छठ महापर्व पूर्वांचल वासियों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है ।श्रद्धा में भक्त भूख प्यास को भूल छठ मैया की पूजा में पूर्णतय
इतना तो सह लिया है, इसको भी सह लूंगा।मुझे चाह नहीं किसी की, अकेला जी लूंगा।।लेट्स मि लिव एलोन, लेट्स मि लिव एलोन।इतना तो सह लिया है---------------------।।अपनों ने साथ छोड़ा, मजबूरी देखकर मेरी।यारों ने
भाई-बहिन का त्यौहार है भाईदूज।भाई- बहिन का प्यार है भाईदूज।।नहीं भूल जाना मेरे भाई यह त्यौहार।भाई- बहिन का सम्मान है भाईदूज।।भाई- बहिन का त्यौहार -----------------।।नहीं भूल जाना भाई, अपनी बहिन को।देन
चांद भी क्या खूब है, न सर पर घूंघट है, न चेहरे पे बुरका, कभ
स्त्री का प्यार सबके नसीब में नही होता वो जीवन में सिर्फ़ एक ही मर्द से दिल से प्यार कर पाती हैं , वो मर्द उसका प्रेमी हो या फिर पति वो टूट क़र जीवन में एक बार ही किसी मर्द को चाहती हैं।
आवो हम इस दीपावली पर।कुछ ऐसा करके दिखाये।।भूखे प्यासे जो हैं मानव।उनके घर हम दीवाली मनाये।।आवो हम इस --------------------।।भेद मिटाकर छोटे बड़े का हम।सबको बांटे अपनी खुशी हम।।कोई नहीं हो निराश और उदास।
क्या है अच्छा धर्म, क्या है बुरा धर्म।यह बताता है हमको, हमारा कर्म।।हम जीये और जीने दे सबको यहाँ।करें अच्छे कर्म, यही हमारा है धर्म।।क्या है अच्छा धर्म------------------।।इंसानों से नफरत, सिखाये जो हम
मतलब नहीं इससे हमको,कौन कैसा है यहाँ।दुनिया हमारी अलग ही है, कैसे हैं लोग यहाँ।।मतलब नहीं इससे हमको-----------------।।देख लिया है हमने, मोहब्बत यहाँ करके भी।निकले सभी मतलबी, मिला नहीं हमको कुछ भी।।हो
अब तक मैं मानता था,तुमको मेरा सच्चा प्यार,इसीलिए जता रहा था मैं,तुम पर मेरा अधिकार,और निभा रहा था मैं,तुमसे वफ़ा और वादें।अब तक मैं समझता था,तुमको अपनी इज्जत- शान,नहीं करता था पसंद मैं,तेरी बदनामी किसी
लोग कहते हैं कि,जहाँ नहीं पहुंचे रवि,वहाँ पहुंच जाता है,अपनी कलम से कवि।एक भेदी होता है कवि,कर देता है राज बेपर्दा,नहीं रहती सच्चाई छुपकर,सत्य को खोज ही लेता है कवि,नहीं होता वचनबद्ध किसी से,नहीं होता
मैं ज़मीन से जुड़ा, अकिंचन, अविरत हूं, अनुप्रास नहीं हूं,जैसा हूं अक्षरशः वैसा, अनुपूरक सम्भाष नहीं हूं।।कर्मण्येवाधिकारस्ते, में
मुझको नहीं मालूम,कि तुझमें क्या विशेष है,कि हटता नहीं है सच में,मेरा दिलो- दिमाग सोचने में,किसी और के बारे में कभी,क्यों सोचता हूँ मैं इतना,सिर्फ तेरे ही बारे में हमेशा।इसका कारण क्या होगा,शायद तेरी ख
तेरा साथ है तो, है हर मोड़ मंजिल,ये राहों के कंकड़ सताते नहीं हैं।जो है हाथ में हाथ तेरा सफर में तो, कभी दुःख के बादल भी छाते नहीं हैं।।न मैं दे सका तुझको जीवन सुनहरा,न तू
कसम खुदा की, नहीं होगी गलती ऐसी मुझसे।पहुंचे चोट तुमको जिससे, दर्द हो तुमको जिससे।।कसम खुदा की --------------------------।।करुंगा तुमसे बातें वही,जिनसे मिले खुशी तुमको।खिले रहे ये लब तेरे, नहीं हो तुम
रविवार... ?रविवार के सुखद पलों का आनन्द ले रहे हैं न।कैसा मौसम है आपके शहर- गाँव का।बरसात के क्या समाचार हैं।यहाँ केकड़ी में तो आज धूप खिली हुई है।गर्मी तो लग रही है लेकिन खिली हुई धूप अच्छी लग रही है
पढ़ीं किताबें कितनी हमने, पढ़े पत्र,अखबार,सब के सब निर्जीव,न पाया कुछ जीवन का सार।तुम पुस्तक हो ऐसी, जिसमें है जीवन संचार,तुम्हें पढ़ा तो पाया, बाकी सब कुछ था बेकार।।...मेरे सा