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संस्मरण

hindi articles, stories and books related to Sansmaran


इतिहास में मीराबाई का नाम बड़े आदर और सत्कार से लिया जाता है मीराबाई मध्यकालीन युग की एक कृष्ण भक्त कवियित्री थी जिन्होंने श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए भक्ति मार्ग चुना और हमेशा भजन तथा कीर्तन के

रानी दुर्गावती का जन्म 5 अक्टूबर सन 1524 को महोबा में हुआ था. दुर्गावती के पिता महोबा के राजा थे. रानी दुर्गावती सुन्दर, सुशील, विनम्र, योग्य एवं साहसी लड़की थी. महारानी दुर्गावती कालिंजर के राजा कीर्त

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कि आज तुमसे तकरार हो मेरी,और कह दूं सारी बातें दिल की,ताकि तू खराब नहीं करें मेरा मूढ़,मगर तुम लगती हो बहुत प्यारी,करती है जब तुम वो शरारतें,जो पसंद है मुझको खराब मूढ़ में भी,और बदल जाता है मूढ़ मेरा।चाह

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कैसे कितने चेहरे बदलकर, लोग यहाँ रहते हैं।मुहँ में राम बगल में छुरी,लिये हुए मिलते हैं।।कैसे कितने चेहरे बदलकर-----------------।।स्वार्थ अपना देखकर लोग, छोड़ देते हैं अपनों को।करके खून रिश्तों का भी, प

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दुःखडा है सबका अपना अपना, तेरा दुःखडा कौन सुनेगा।अपना दुःखडा मत तू बता,दुःखडा तेरा  मजाक बनेगा।।दुःखडा है सबका अपना अपना-------------------।।कौन चाहता है आँसू बहाना, मुसीबत में खुद को फंसाना।बर्ब

ले के उम्मीदों की गठरी, चल  रहा  सारा  जहां  है,कुछ के हिस्से में जमीं है, कुछ के हिस्से आसमां है।दरमियां हैं इनके, कुछ अपने अहम,अपने  सलीके,सोचते हैं जो, असल में, वो कभी 

कभी स्कूल में जब पहली बार भूगोल की किताब पढ़कर ये बात पता चली कि पृथ्वी गोल है, तो कई दिन तक अपने आस-पास और चारों ओर घूम-घूम कर पता लगाने की कोशिश करती कि आखिर यह पृथ्वी कैसे गोल होगी, क्योँकि मुझे तो

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मेरे नसीब तुम,मेरे हमदर्द तुम,रहम कुछ मुझपे करो।मैं तेरी हूँ जीवनसाथी , जुल्म मुझपे ना करो ।।मेरे नसीब तुम----------------------।।बड़े अरमान से तुझको, बसाया है दिल में ।फूल मैंने बिछाये हैं तेरी राह और

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हे दिल तुझको किसकी तलाश है।क्यों तु उदास है , किसकी प्यास है।।हे दिल तुझको-------------------------।।नजरें उठाकर देख, फैली है रोशनी।झिलमिल सितारें हैं, फैली है चांदनी।।तूने चिराग क्यों जलाया नहीं है।क

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अवगुणों पर सद्गुणों की, जीत का प्रतीक है दशहरा।हम भी अवगुण अपने मिटाकर, आवो मनाये दशहरा।।अवगुणों पर सद्गुणों की-------------------।।पहला अवगुण पाप है, मन को पापी नहीं बनाओ।दूजा अवगुण घमंड है, मन में घ

लेखक परिचयमेरा नाम गणेश शर्मा हैं  मैं जयपुर शहर में निवास करता हूं मेरा जन्म राजस्थान की राजधानी जयपुर की तहसील सांगानेर के एक छोटे से गांव आशा वाला में हुआ है तथा मेरे पिताजी एक मध्यमवर्गीय किस

😘😚😍😊🌞सूरज की पहली किरण के जैसेगालों पे उसके लाली आयेजब जब वो मुझसे शरमाये🤗😚😘आँखे झुका कर और पलके उठाकर ..बात करने की उसकी वो तहजीब ..       हाय !मेरा दिल बेतहाशा धड़कता जाय

डियर काव्यांक्षी                      कैसी हो प्यारी🥰देखो फिर मिलने चली आई तुमसे , तुम ही तो सुनती हो मुझे बड़े आराम से तो तुम्हारे पास ही आऊंगी

एक स्त्री जब किसी को अपना समझती है तो अपने दिल की हार बात उसे बता देती हैं, दुख भी सुख भी, उसके सामने रो देती हैं, आसू बहा देती है, जी भरकर झगड़ा कर लेती है, नाराज हो जाती है,लेकिन जब वो देखती है कि स

एक तुम्हारा होना~तुमसे कही बातों का कोई अंत क्यो नही मिलता । हर बार कहकर सोचता हूँ अब आखिरी बात तो कह डाली मैंने , पर देखो न अंतिम दफा की कहन अपनी मेढ़ को तोड़कर बह चुकी है किसी ओर , और अब मैं इसे शब्द

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गलतफहमी है दोस्त यह तुम्हारी, उम्मीद ऐसी अब तुम मत करो।आऊँगा लौटकर तेरी दर फिर से, आशा यह अब तुम मत करो।।गलतफहमी है दोस्त यह ------------------------------।।क्या मुझको कभी तुमने इज्जत दी,याद तेरी मुझक

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ऐसा करने से पहले, याद वह कर लेते तुम।हंसी के वह पल अपने, प्यार की वह बातें तुम।।ऐसा करने से पहले-------------------।।इससे अब क्या मिलेगा, होगी बदनामी किसकी।कौन जीयेगा सुख से, होगी कम खुशियां किसकी।।कि

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रहना सम्भलकर यारों, आई है बाढ़ लुटेरों की।मुश्किल है इनकी पहचान, यारों इन लुटेरों की।।रहना सम्भलकर यारों----------------------।।रंगीन है इनकी दुनिया, चेहरे इनके सतरंगी है।रहते हैं बनकर ये नवाब,ये ऐसे क

तुम मिले ना मिले मुझे कोई गम नहीं — 2लेकिन मेरा तुझे चाहना होगा कम नहीं ...चाहे ये दुनिया .. दे मुझे सजा कोई ...फिर भी तुझे चाहना मै छोडूंगा नहीं ...मैं तेरा था ... ! बनूंगा किसी और का नहीं ...तेरे आं

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️मोहब्बत बेशुमार  थी तुमसेपर कभी खुलकर जताया नहीं ...तुमने कई दफा मुस्कुराने की ..वजह पूछी ...पर हमने कभी खुलकर बताया नहीं ..यकीन न हो तो ...एक बार मेरे दिल से आकर पूछ लो ...तुम्हारे

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