लोग कहते हैं कि,
जहाँ नहीं पहुंचे रवि,
वहाँ पहुंच जाता है,
अपनी कलम से कवि।
एक भेदी होता है कवि,
कर देता है राज बेपर्दा,
नहीं रहती सच्चाई छुपकर,
सत्य को खोज ही लेता है कवि,
नहीं होता वचनबद्ध किसी से,
नहीं होता उसका कोई धरातल,
लोग कहते हैं कि कवि,
ऐसे ही निश्चिंत होते हैं।
करता है कभी वह,
राम की बुराई तो,
कभी रावण की तारीफ,
कभी देता है राम को दर्द ,
तो कभी कहता है सीता को निर्दोष,
लोग कहते हैं कि कवि,
नहीं होता किसी से वफ़ा।
नहीं होता उसका कोई परिवार,
चलाता है वह अपनी कविता की दुकान,
नहीं होता उसका कोई वतन,
वह चलता हुआ एक पुर्जा है,
लोग कहते हैं कि कवि
बेखबर , आज़ाद होता है।
नहीं माफ करता है खुद को,
सजा देता है खुद को भी,
अगर उसको महसूस हो कि,
उसने गुनाह किया है सच में,
लोग कहते हैं कि कवि,
होते हैं एक अबूझ पहेली।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847