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संस्मरण

hindi articles, stories and books related to Sansmaran


माइकल मधुसूदन दत्त, बंगाली साहित्य के क्षेत्र में एक ऊंचा प्रतिष्ठित व्यक्ति, 19वीं सदी के साहित्यिक परिदृश्य में रचनात्मकता और नवाचार के प्रतीक के रूप में खड़े हैं। उनके कविता, नाटक और भाषा पुनर्जीवन

रित्विक घाटक, भारतीय सिनेमा में एक प्रत्याशी चित्रकला के प्रति अपने अद्वितीय योगदानों के लिए प्रसिद्ध है। एक दृष्टिकोणी सिनेमाई, घाटक के काम एक विशिष्ट भावनात्मक तीव्रता, एक गहरे-रूढ़ सामाजिक जागरूकता

"तितास एकटी नदीर नाम" एक साहित्यिक उपन्यास है जो पाठकों को एक दुखद और मोहक यात्रा पर ले जाता है, बांगलादेश में तितास नदी के किनारे स्थित एक दूरस्थ गांव के निवासियों के जीवन के माध्यम से। प्रसिद्ध बंगा

भारतीय सार्वजनिक संबंध सोसायटी (पीआरएसआई), कोलकाता चैप्टर, ने 23 जुलाई, 2023 को ऐतिहासिक कलकत्ता टाउन हॉल में आयोजित एक शानदार कार्यक्रम में राजा राममोहन रॉय की 251वीं जन्म जयंती की स्मृति की, जिन्हें

कादंबरी देवी, 14 जुलाई 1858 को, 19वीं सदी के भारतीय बंगाल के साहित्यिक और सांस्कृतिक मंजर में एक रहस्यमय और प्रभावशाली महिला थीं। वह मशहूर बंगाली लेखक और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ ठाकुर की भाभी

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गर्व था मुझे मेरे, मन के विश्वामित्र पर, अभिमान था मुझे मेरे, चित्त के स्थायित्व पर, स्वच्छंद मृग सा घूमता था, डोलता था हर समय, स्वयं के ही अंतर्मन से, खेलता था हर समय। पर उसी क्षण द्वार पर, म

मुझे लेखक और लेखिकाओं की एक बात समझ नही आती। नायक नायिका की तारीफ करते रहो तो वे फूले नहीं समाते और अगर उनमें कमी निकाल दो या फिर खलनायक की किसी खूबी की तारीफ कर दो तो वे ना जाने क्या क्या कहने लगते ह

   भजन मंडली ने एक भजन छेड़ रखा था | रात मे खेत में पानी लगाते रामू के कानों में शब्द किसी रस की भांति प्रवेश कर रहे थे |                                   "  कहत कबीर सुन है  साधो  पाप लगे यहाँ आध

 प्यार से ही सदा पेश आओ  वैर नफरत न दिल में बढ़ाओ     दुश्मनी ये नहीं आग अच्छी  हो सके तो अगन ये बुझाओ     देख मौसम हुआ आशिकाना  आज नज़रों से नज़रे मिलाओ     तुम निगाहों से यूं तीर फेंको  हम

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डॉ. नरेन्द्र वाल्मीकि द्वारा संपादित 'ओमप्रकाश वाल्मीकि : व्यक्तित्व और कृतित्व' शीर्षक पुस्तक में विविध आयामों के अंतर्गत प्रतिष्ठित आलोचकों द्वारा जो विश्लेषणात्मक मूल्यांकन किया है वह हमें ओमप्रकाश

माँशाम के साढे़ छह..... पौने सात बजे का समय रहा होगा। एक अनीश नाम का लड़का, दुकान पर आता है, गांव का रहने वाला था, वह चतुर व चालाक था।उसका बातें करने का तरीका गांव वालों की तरह का था, परन्तु बहुत ठहरा

माँ : जिसके बिना हमारा अस्तित्व नहींमाँ एक मिश्री घुला शब्द है जिसकी व्याख्या नहीं हो सकती । वह एक ऐसी शख्सियत है जो हर कीमत पर संतान का साथ देती है। स्नेह और देखभाल का इससे बड़ा दूसरा उदाहरण देखने मे

आज चार महीने हो गये लेकिन लगता है कल की ही बात है... जैसे कोई हसीन खुशनुमा ख़्वाब था जो पल भर रहा और पल भर में ही गुज़र गया। बात है अक्टूबर के ट्रेन के उस सफ़र की जिस ने जिसने मेरी ज़िंदगी में एक अधूराप

               क्या जानना पर्वतों को कब पूजा जाएगा              जब जरूरत होगी उनको तब पूछा जाएगा।              रहो मौन ,स्थिर, शांत चित्त शिवाय सा होकर              जब विषपान का समय होगा तब पू

जिंदगी के अनुभव - मेरा एक दोस्त था उस के साथ मेरा पैसे का लेन देन चलता था , एक बार मेरे  पैसे उसके पास आ गए जो कि मेरे ही     थे, जो उस ने मुझे लौटाए नही , उसने कहा मेने पैसे किसी को दे दिये है,  वो

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जलियांवाला बाग हत्याकांड: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक दुखद मोड़ जलियांवाला बाग हत्याकांड, जिसे अमृतसर नरसंहार के रूप में भी जाना जाता है, एक दुखद घटना थी जो 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग,

कब मिले ,कब मित्रता ने अटूट अपनत्व धारण कर लिया, पता। न चला पर हमने मित्रता की डगर पकड ली ।स्कूल भी हमारा साथ रहा तो दोनों एक ही क्लास में तो मित्रता का रिश्ता और प्रगाढ हो गया ।जया के बारे में पूछने

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 विमल पूरे देश विदेश घूमने के बाद वह जब पहली बार अपने गाँव आया तो उसे लगा की उसने गाँव आने में देरी कर दी, उसका गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, सभी सुविधाएं जो गाँव मे होंनी चाहिए वह है, दो  दिन

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 विमल पूरे देश विदेश घूमने के बाद वह जब पहली बार अपने गाँव आया तो उसे लगा की उसने गाँव आने में देरी कर दी, उसका गांव अब सड़क से जुड़ चुका है, सभी सुविधाएं जो गाँव मे होंनी चाहिए वह है, दो  दिन

मेरा बचपन जिसको मैंने कभी भूला ही नहीं ,अपनी यादों में संजो कर रखा है ,जो मेरी सुनहरी यादों में कस्तूरी सा महकता रहता है ।हर समय यादों के झरोखों में बसने वाली मुझे  बचपन याद ना आए ऐसा हो नहीं सकत

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