सोचते हुए शिवा ने श्रीनिवास के कमरे की तरफ देखा - नित्य की तरह श्रीनिवास के कमरे का दरवाजा उड़का हुआ था और उसके कमरे की लाइट जल रही थी ।
ये श्री कमरा बंद कर लाइट जला कर कुछ करता है या इसकी लाइट जलाकर सोने की आदत है !! झांक कर देखूँ क्या ?? एक बार देख ही लेती हूँ !!
शिवा सोचते हुए और स्वयं से कहती हुई श्रीनिवास के कमरे के समीप गई और दरवाजे की झीरी से कमरे के भीतर देखने लगी --
शिवा ने जो देखा वो हैरान कर देने वाला था ,,,
श्रीनिवास के कमरे के बीचो बीच एक मजबूत लकडी़ की कुर्सी रखी हुई थी और श्रीनिवास कुर्सी के सामने फर्श पर बैठा ,कुर्सी पर दोनों हाथ रखे रोते हुए कह रहा था -मुझे क्षमा कर दीजिए ,,मैं विवश था ,, नौकर हूँ ना !!
ये श्री कुर्सी के सामने बैठा किससे क्षमा माँग रहा है !! कमरे में तो और कोई है भी नहीं !!
ये सब क्या है !! शिवा बहुत रहस्य है ,,सोचते सोचते तो तेरा भेजा फ्राइ हो जाएगा ,,, अनन्या को सब बताती हूँ ,अब सब बताने में कोई दिक्कत नहीं ,, वो तो मेरी बहन है ,,
शिवा सोचती हुई और स्वयं से कहती हुई अपने कमरे में आकर लेट गई और अनन्या को फोन मिलाने लगी --
"माँ ,बताओ ना कि तुम ननिहाल की बात भी क्यों न करती हो ??"अनन्या ने अपनी माँ गीतिका से सुबह से लेकर रात तक सातवीं बार पूछा था जिससे गीतिका झल्लाकर बोली थी -" क्या सुबह से ननिहाल,ननिहाल लगा रखा है ,, क्या रखा है ननिहाल में !! कोई नहीं है वहाँ ,सब मर गए हैं तो क्या दीवारों से मिलने जाऊँ या तुमको ले चलूँ !!"
माँ के इस अप्रत्याशित उत्तर को सुनकर अनन्या रोते हुए अपने कमरे में जाने को मुडी़ ही थी कि उसके पिता ने उसे रोककर उसकी माँ से कहा -"गीतिका अपनी बेटी अब परिपक्व हो गई है ,जो भी है उसे बता दो ।"
"रहने दीजिए पापा , माँ मुझे क्षमा कर दें ,मैंने आपका मन दुखाया है ,,,, " अनन्या ने अपने पापा से कहते हुए माँ से कहा और अपने कमरे में चली गई ।
अनन्या अपने कमरे में आकर लेटी ही थी कि शिवा का फोन आ गया और उसने फोन उठाकर कहा -हाँ शिवा ,कैसी है तू ?
मैं सही हूँ ,तू बता ,, तेरी आवाज रोई रोई क्यों लग रही है ? शिवा ने फोन पर अनन्या से पूछा ।
यार वो माँ से ननिहाल के.. वो सबछोड़ तू बता ,तुझे कुछ पता चला !! अनन्या ने शिवा से पूछा ।
हाँ पता चला ,,
शिवा ने कहा ।
क्या पता चला बता ना ! अनन्या ने कहा ।
यही कि तू मेरी बहन है ,, शिवा बोली ।
अच्छा !तुझे मजाक सूझ रहा है तभी तू फोन मिलाई है !! अनन्या ने झुंझलाकर कहा ।
अरे नहीं ,मैं मजाक न कर रही हूँ ,मुझे पता चला है कि तेरी माँ मेरी बुआ हैं ,तू मेरी बुआ की बेटी है !!
शिवा ने कहा ।
क्या !! मतलब तू मेरे मामा की बेटी है !! अनन्या ने फोन पर हैरानी से कहा ।
वही तो ! शिवा बोली ।
अच्छा ये कैसे पता चला तुझे !! अनन्या ने जानने की उत्सुकता प्रकट की ।
अरे आज माँ मंदिर गई थीं ,उनकी अनुपस्थिति में मैंने माँ का वार्डरोब खोला तो उसमें मुझे मेरी माँ व तेरी माँ की साथ की फोटो मिली , तब तक माँ घर आ गई थीं क्योंकि उनका फोन रह गया था घर पर ,, उनसे जब हठ की और उन्हें लगा कि आज ये जाने बिना न मानेगी तब उन्होने मुझे बताया ।
शिवा ने बताया ।
इसका मतलब तो ये है कि तेरे यहाँ कुछ तो ऐसा हुआ जिसके कारण मेरी माँ ननिहाल का नाम तक न लेती हैं !! वो तुझे पता चला क्या ?
अनन्या ने पूछा और शिवा उदास होकर बोली - उसकी वजह मेरे पापा हैं ,, मैं अपने पापा की तरफ से तुझसे व गीतिका बुआ से क्षमा माँगती हूँ ,,, कहते कहते शिवा फोन पर रोने लगी ।
शिवा,,शिवा तू रो मत और मुझे पूरी बात बता !!
अनन्या ने शिवा से कहा और शिवा ने पूरा वाकया अनन्या से बताया ।
ओहहह तो ये बात है !!
हाँ अनन्या अब उन दोनों कमरों के दरवाजों पर पडे़ ताले का रहस्य खुलना बाकी है पर इस सबमें एक अजीब बात पता चली मुझे !!
शिवा ने अनन्या से कहा।
अच्छा !वो क्या !!
अनन्या ने हैरानी से पूछा और शिवा ने श्रीनिवास के कमरे में जलती लाइट और श्रीनिवास के कुर्सी के सामने बैठकर रोने व क्षमा माँगने वाली सारी बात बताई ।
शिवा नाना और मामा जी का झगडा़ हुआ और उसके दो दिन बाद मामा जी के द्वारा पता चलता है कि नाना जी घर छोड़कर चले गए !!
जबकि नाना जी तो अपना सबकुछ मेरी माँ के नाम करने का निर्णय ले चुके थे ,, मामा जी ने ही फोन कर बताया कि नाना जी के साथ दुर्घटना हो गई और नाना जी न रहे !!
नाना जी के कमरे में ताला ,,
शिवा तू बुरा न मानना पर मेरी वकीली बुद्धि कह रही है कि मामा जी ने ही तो नाना जी के साथ दुर्घटना न करा दी !! क्योंकि वे ही न चाहते थे कि नाना जी अपना सबकुछ अपनी बेटी के नाम करें और वे कंगले हो जाएं !!
अनन्या ने अपने मामा व शिवा के पापा पर अपना शक प्रकट करते हुए कहा।
हाँ यार हो सकता है !! पर इस बात का खुलासा कैसे हो !! मैं भी अपने घर के पीछे के परिसर में टहलते हुए यही सब सोच रही थी कि ये सब आखिर है क्या !!
शिवा ने करवट बदलते हुए अनन्या से कहा।
सुन ,श्रीनिवास के पास नाना जी के कमरे की चाभी रहती है ना ,तूने बताया तो कैसे भी करके श्रीनिवास से वो चाभियां लेकर नाना जी का कमरा खोल कर देख ,,हो सकता है कि नाना जी कुछ लिखकर रख गए हों और मामा जी न चाहते हों कि वो सबके सामने आए !!
अनन्या ने कहा ।...........शेष अगले भाग में।