सर ने बडे़ सर को फिर मेरे स्नानागार में बाँध कर रखा और फिर अगले दिन उन्हें लुधियाना जाने वाली बस में बैठा दिया ,, बडे़ सर इस घटना से इतना टूट चुके थे कि उन्होने बिना कोई क्रिया,प्रतिक्रिया किए लुधियाना जाना स्वीकार कर लिया और वो लुधियाना चले गए।
श्रीनिवास पूरी बात बताकर फर्श पर सिर रखकर बिलखने लगा था - मैंने विवश होकर सर का साथ दिया,,, मैं क्या करता!!हूंऊऊऊं हांआआआं
अर्पिता ये सब सुनकर खडे़ खडे़ गिरते हुए बची ,, उसे शिवा ने सँभाला और कुर्सी पर बैठाया और पानी लाकर दिया ।
"गोलू ,मुझे पापा जी के पास ले चलो। " अर्पिता ने आँखों में आँसू भरे हुए शिवा से कहा ।
"हाँ माँ , हम सब बाबा के पास जाएंगे और उन्हें वापस यहाँ लाकर उनको उनका स्थान दिलाएंगे माँ।"
शिवा ,अनन्या को फोन मिलाते हुए बोली।
"हम सब !!सब में और कौन है गोलू ?"अर्पिता ने पूछा ।
श्रीनिवास अपने दोनों हाथ अपने सिर पर रखे रोए जा रहा था और कहे जा रहा था -मुझे क्षमा कर दो मैडम,क्षमा कर दो गोलू बिटिया,, मैंने अपनी इच्छा से कुछ न कियाआआ ,,,
" माँ हम सब में गीतिका बुआ भी हैं ना !!"शिवा ने कहा तब तक अनन्या ने फोन उठा लिया और बोली -हाँ शिवा ,श्रीनिवास ने कुछ कहा !!
"हाँ अनन्या ,श्रीनिवास सब उगल चुका है ,पीछे से उसके रोने का स्वर तो सुन ही रही होगी ,अब मेरी बात ध्यान से सुनो ,अभी के अभी गीतिका बुआ को लेकर लुधियाना के लिए निकलो ,इधर से मैं माँ को लेकर लुधियाना पहुँच रही हूँ ,बाबा को वापस घर लाना है ।
हाँ शिवा पर माँ से क्या कहूँ !अभी पूरी बात मुझे ही न पता तो उन्हें क्या बताऊँ ,,, अनन्या ने पूछा ।
अरे गीतिका बुआ से कह दो कि तुम्हें उन्हें सर्प्राइज़ देना है ,,ऐसा सर्प्राइज़ जिसको पाकर वो खुश हो उठेंगी ,,
शिवा ने कहा ।
हाँ ये सही रहेगा ,मैं माँ को लेकर निकलती हूँ ,, अनन्या ने कहकर फोन रख दिया ।
"श्री तुम भी चलो मेरे साथ क्योंकि अगर तुम यहाँ रहे और पापा आ गए तो तुम उनके सामने सब बक दोगे और वो भी हमारे पीछे आकर फिर कुछ करने का प्रयास करेंगे।"शिवा ने कहा और फिर तीनों लोग लुधियाना के लिए निकल लिए ।
अनन्या व गीतिका भी लुधियाना के लिए निकल ली थीं ।गीतिका बार बार पूछ रही थी -"अनु तुम मुझे लुधियाना क्यों ले जा रही हो ?वहाँ कैसा सर्प्राइज़ है ? वहाँ कहीं कोई लड़का तो न पसंद कर लिया !!"
गीतिका प्रश्न पर प्रश्न किए जा रही थी और अनन्या उन्हें कहती जा रही थी -"अभी कुछ मत पूछो माँ ,वहाँ जाकर सब पता चल जाएगा ।"
इधर से शिवा,अर्पिता और श्रीनिवास लुधियाना पहुँच चुके थे और शिवा रुककर अनन्या व गीतिका बुआ के पहुँचने की राह देख रही थी ।
अनन्या व गीतिका लुधियाना बस अड्डे पर उतरीं और गीतिका की नज़र सामने खडी़ अपनी भाभी अर्पिता पर पडी़ ।गीतिका दौड़ कर अर्पिता के पास आई और "भाभी"कहते हुए उसके गले लगकर फूट फूट कर रोने लगी ।अर्पिता भी अपनी ननद गीतिका को बाहों में समेटे हुए रोए जा रही थी।
" बस,, बस,, आप दोनों एक दूसरे से मिल चुकी हों तो चलें !" शिवा और अनन्या एक साथ बोलीं ।
श्रीनिवास अपराधबोध से ग्रस्त सिर झुकाए खडा़ था ।
अनन्या ने एक नज़र उस पर डाली मगर स्थिति को देखते हुए कुछ कहा नहीं ।
"तो तुम मुझे भाभी से मिलाने लाई थीं ! तुम भाभी को कैसे जानती हो ? अब कहाँ चलना है ?" गीतिका ने अनन्या से नए प्रश्न करने शुरू कर दिए ।
"असली जगह तो अब चलना है गीतिका बुआ। " शिवा ने अभिवादन में हाथ जोडे़ हुए गीतिका से कहा ।
गीतिका ने शिवा की तरफ एक स्नेह भरी नज़र डालकर उसका माथा चूम लिया और बोली -"असली जगह !!मैं समझी नहीं !!"
"चलिए तो सब समझ आ जाएगा !!"अनन्या ने अपनी माँ से कहते हुए एक आटो रुकवाया और सब निराली बस्ती के लिए निकल लिए ।
सब निराली बस्ती पहुँच चुके थे ।शिवा ने आटो रुकवाया और सब आटो से उतरे और शिवा व अनन्या उन सबको लेकर बाबा के कच्चे घर के पास तक ले गईं ।
"ये कहाँ ,कैसी बस्ती में लेकर आई हो तुम लोग !" गीतिका ने नाक व मुँह सिकोड़ कर कहा ।
" अभी सब पता चल जाएगा गीतिका बुआ , सुनिए आप लोग यहीं बाहर रुकिए और जब मैं या अनन्या आवाज देंगे तभी आप सब भीतर आएंगे ।" शिवा ने गीतिका की बात का उत्तर देते हुए कहा और फिर वो अनन्या के साथ सुबोध चंद्र राव से मिलने उनके कच्चे घर के भीतर गई ।
भीतर सुबोध चंद्र राव सूखी रोटी ,प्याज व नमक लिए हुए खा रहे थे और पास ही छमिया बैठी पंखा झल रही थी ।
अपने बाबा व नाना को सूखी रोटी ,प्याज,नमक खाते देख शिवा और अनन्या का ह्रदय भर आया था ।
सुबोध चंद्र राव ने अकस्मात शिवा और अनन्या को देखा तो वो उठकर खडे़ हो गए और आश्चर्य से बोले -"अरे बिटिया लोग आप यहाँ !!आपलोगों की तो छुट्टियां हो गई थीं और आप लोग तो घर चली गई थीं !!"
शिवा और अनन्या दोनों सुबोध चंद्र राव की बात का कोई उत्तर न देकर दौड़ कर उनके सीने से लिपट गईं और बिलख बिलख कर रोते हुए कहने लगीं --"बाबा,मेरे बाबा,, नाना जी ,मेरे नाना जी ,,, "
"अररेए ये आप दोनों क्या कर रही हैं और आप लोग रो क्यों रही हैं !!और ,, आप मुझे नाना जी क्यों संबोधित कर रही हैं !!"
सुबोध चंद्र राव शिवा और अनन्या को अपने सीने से लगे देखकर पूछने लगे ।
"सब पता चल जाएगा नाना जी , एक मिनट !"कहते हुए अनन्या ने आवाज लगाई -"आप सब अंदर आ जाइए ।"
आवाज सुनकर अर्पिता,गीतिका और श्रीनिवास भीतर गए।
अपनी बहू,बेटी व नौकर को देखकर सुबोध चंद्र राव हैरान रह गए ,, उनसे कुछ कहा न गया ।
" पापा जी ,, " कहते हुए गीतिका सुबोध चंद्र राव से लिपट कर रोने लगी और अर्पिता वहीं खडे़ खडे़ आँसू बहाने लगी ।श्रीनिवास सुबोध चंद्र राव के पैरों में गिर कर गिड़गिडा़ने लगा -"बडे़ सर ,मुझे क्षमा कर दें ,मैंने अपनी इच्छा से कुछ न किया,, बडे़ सर मैं विवश था ,,, ।".......शेष अगले भाग में।