"हाँ यही करती हूँ फिर तुझे बताती हूँ ,अब सो जा बहुत रात हो गई है ,,
शिवा ने कहा और फोन रखकर स्वयं से कहने लगी श्री से कुछ भी करके उन दोनों कमरों की चाभियां लेकर कमरे खोलकर देखूँगी ,,
आज ही सुबह चार बजे ये काम करूँगी ,, पर कैसे !! शिवा सोचने लगी तभी उसे कुछ याद आया और वो मुस्कुराकर सोने का प्रयास करने लगी।
सुबह के सीढे़ तीन बजे थे ।शिवा सही से सो न पाई थी ,उसने घडी़ देखी फिर उठकर रसोंई के बगल वाले कमरे में जाकर बैठ गई और श्रीनिवास की राह देखने लगी।
ठीक चार बजे श्रीनिवास अपने एक हाथ में पोछा और दूसरे हाथ में बाल्टी लेकर कमरे का दरवाजा खोल कर भीतर आया तो उसने वहाँ शिवा को बैठा पाया ।
"गोलू बिटिया ,तुम यहाँ इस समय क्या कर रही हो ?"श्रीनिवास ने पूछा ।
शिवा ने खडे़ होते हुए अपने दोनों हाथों की मुट्ठी बनाकर अपने वक्षस्थल पर करके फिर उन्हें फैलाते हुए कहा -"श्री मुझे नींद न आ रही थी तो यहाँ आ गई " और अपने एक हाथ में छुपाई हुई क्लोरोफार्म की शीशी श्रीनिवास की नाक के सामने खोल दी।
कमरे की लाइट बंद होने की वजह से श्रीनिवास उसके हाथों में कुछ है ये देख ही न पाया था ।
नाक में महक जाते ही श्रीनिवास मूर्छित होते हुए वहीं लुढ़क गया और उसकी कमर में लगे उन कमरों की चाभी के गुच्छे को शिवा निकाल कर मुस्कुराती हुई बोली - वाह , अनन्या के साथ बाजार जाते हुए यूँ ही हँसी हँसी में खरीदा गया क्लोरोफार्म प्रयोग आ ही गया और वो बरामदे में दाएं तरफ बने उन दो कमरों के पास आकर पहले का ताला खोलने लगी ।
पहले कमरे का ताला खोलकर जब वो अंदर गई और मोबाइल की रोशनी से कमरे के अंदर लगे स्विचबोर्ड से कमरे की लाइट जलाई तो उसे वहाँ एक बडी़ सी ड्रार वाली मेज पर एक फोटो फ्रेम दिखा जिसमें गीतिका की फोटो लगी हुई थी ।
अरे ये तो गीतिका बुआ का कमरा है !इसका मतलब वो दूसरा वाला कमरा बाबा का है ,उसे खोलकर देखूँ ..... स्वयं से कहती हुई शिवा ने जल्दी से गीतिका के कमरे में ताला डाला और दूसरे कमरे का ताला खोला और मोबाइल की रोशनी से कमरे में स्विचबोर्ड से लाइट जलाई।
कमरे में रोशनी होते ही शिवा ने जो देखा उसे देखकर वो अवाक रह गई !
कमरे में सामने की दीवाल पर एक बडा़ सा फोटो लगा हुआ था ,उसे देखकर शिवा बुदबुदाते हुए बोली -ये,ये तो रिक्शेवाले बाबा की फोटो है !!
इसका मतलब रिक्शेवाले बाबा मेरे अपने बाबा हैं !! अनन्या के नाना हैं !!
मेरे बाबा जीवित हैं तो माँ कैसे कह रही है कि तुम्हारे बाबा की दुर्घटना में मृत्यु हुई !!उनका शव घर आया था !!
ये कैसे हो सकता है !!
कुछ तो गड़बड़ है मगर क्या !!
बाबा लुधियाना में रिक्शा खींच रहे हैं और यहाँ ये पता चलता है कि बाबा की मृत्यु हो गई !!
ये चक्कर क्या है !!
कुछ तो झोल है ,,
कमरे में सामान देखूँ शायद कुछ मिले !! शिवा सोचते हुए कमरे का सामान देखने लगी पर कुछ न मिला ।
कमरे में एक बडी़ सी लकडी़ की अलमारी थी , शिवा उसकी चाभी खोजकर उसे खोलकर देखने लगी तो उसमें उसके बाबा सुबोध चंद्र राव के सार्टीफिकेट्स और महाविद्यालय के कागजात इत्यादि के अलावा और कुछ नहीं था ।उसने अलमारी बंद की और कमरे में ताला डालकर उसकी चाभी साथ लिए अपने कमरे में आकर सोचने लगी कि इस समय अनन्या को फोन करना सही होगा क्या !!
कर ही लेती हूँ फोन ,,,, वो भी सही से सो न पाई होगी ,, कहते हुए शिवा ने फोन मिलाया और अनन्या ने फोन उठाते ही पूछा --कुछ पता चला क्या !!
तू भी सो न पाई थी क्या जो मेरे फोन मिलाते ही उठा लिया?
शिवा ने अनन्या से पूछा ।
हाँ मैं तो जरा भी न सो पाई ,फोन सिरहाने रखे हुए थी तभी तुरंत उठाया ,तू बता ना !!अनन्या अधीर होकर बोली।
हाँ बहुत बडा़ सच पता चला है अनन्या !! शिवा ने कहा ।
अरे तो बता ना !क्यों धड़कनें बढा़ रही है !!
अनन्या ने बिस्तर से उठकर पलथी मार कर बैठते हुए पूछा।
अरे तू सुनेगी तो हैरान रह जाएगी अनन्या ,,, वो जो रिक्शेवाले बाबा हैं ना ,,, वही मेरे असली बाबा व तेरे नाना हैं !! शिवा ने कहा ।
क्याआआआ !! अनन्या हैरानी से आँखें फैलाकर बोली।
हाँ मैंने जैसे ही कमरा खोला वैसे ही सामने की दीवार पर बडी़ सी फोटो देखी ,, देखते ही मेरे होश उड़ गए !!
पर ये कैसे हो सकता है !! मामी ने तो तुझे बताया था कि तेरे बाबा की दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी !!
अनन्या ने कहा तो शिवा बोली --वही तो !!
कुछ क्षण बाद जैसे साँस लेकर शिवा ने फिर कहा - अनन्या मेरी वकीली बुद्धि कुछ सोच रही है और वो ये कि बाबा के कमरे की चाभी श्री के पास रहती थी ,जब से मैं आई तब से देख रही हूँ कि पापा जब भी घर आते हैं तब श्री को अपने साथ ही लगाए रहते हैं ,श्री का अपने कमरे में कुर्सी के सामने बैठकर रोते हुए वो सब कहना,,, हो न हो श्री पापा के साथ मिला हुआ है और उसे अंदर की बात पता है !!
हाँ तो श्री को धर दबोचो और उससे सच उगलवाओ तुम ,,, अनन्या ने शिवा से कहा ।
हाँ वही मैं भी करने को सोच रही हूँ ,पर मैंने श्री को जब भी देखा उसके चेहरे पर एक उदासी देखी ,और उस दिन तो वो पापा की मालिश करते हुए रो भी रहा था ,, जिससे ये लग रहा है कि श्री को पापा ने अवश्य धमकाया होगा तभी वो विवश होकर पापा के साथ मिला होगा जैसा कि वो कह रहा था कि मैं विवश था ,नौकर हूँ ना !!
शिवा बोली।
हाँ, जैसा कि तुमने मामा जी के बारे में बताया उससे तो यही लगता है कि वो दबंग आदमी हैं तो उन्होने श्री को धमकाया होगा मगर श्री ने नाना जी का नमक खाया तो उसे धमकी से भयभीत न होकर मामा के साथ मिलना तो न चाहिए था ,, खैर तुम उसकी हवा टाइट करो फिर देखो वो क्या उगलता है ,, ..........शेष अगले भाग में ।