शिवा पलटी तो देखा कि पीछे माँ खडी़ थीं और उनके चेहरे पर घबराहट थी ,तभी शिवा को याद आया कि उसने रसोंई के बगल वाले कमरे के भीतर वाले दरवाजे की कुण्डी़ बंद कर दी थी वो अभी खोली नहीं !!
"एक मिनट माँ !"कहती हुई शिवा रसोंई के बगल वाले कमरे में गई और उसके बाहर जाने वाले दरवाजे की कुण्डी खोल दी और फिर माँ के कमरे में आकर बोली -" महत्वपूर्ण ये नहीं है माँ कि मुझे आपके वार्डरोब की चाभी कैसे मिली ?महत्वपूर्ण ये है कि आप मुझसे क्या छुपा रही हो और क्यों ??
आज तक मुझे मेरे ही घर से दूर रखा गया ,,मेरा आपके कमरे में आना आपको अच्छा न लगता है ,मेरे पापा ने मुझसे बात तक न की , मेरे पापा का कोई काॅलेज है ,, उन दो कमरों में ताला क्यों है ? सारे सवालों के उत्तर मुझे क्यों न मिल रहे हैं ,मुझसे क्या छुपाया जा रहा है माँ !!
मैंने तो सुना था कि एक माँ और बेटी सबसे अच्छी सहेली होती हैं मगर आप मुझसे ही मन न खोल पा रही हैं और अब ये फोटो !!
ये किसकी फोटो है माँ ,सबसे पहले तो यही बताइए मुझे !!
अर्पिता अपने बेड पर बैठ गई और रोआसी होकर बोली -"मुझसे कुछ मत पूछो गोलू ,,मैं तुम्हें कुछ न बता सकती हूँ क्योंकि सच सुनकर तुम टूट जाओगी,बिखर जाओगी और मैं अपनी बेटी को बिखरते हुए न देख सकती हूँ,,एक तुम ही तो हो जो मेरी सबकुछ हो गोलू ।"
"सच सुनकर चाहे मैं न बिखरूँ मगर इन रहस्यों से पर्दा न उठा तो अवश्य बिखर जाऊँगी माँ ,, मुझे अपने सभी प्रश्नों के उत्तर दे दीजिए ।"शिवा ने अर्पिता के घुटनों में बैठकर कहा ।
अर्पिता ने बिलखते हुए विशाल को फोन लगाया ।विशाल ने फोन उठाया -हेलो ।
हेलो विशाल, गोलू सब जानने की जिद बांध बैठी है ,, मैं क्या करूँ !!
अर्पिता ने रोते हुए फोन पर विशाल से कहा ।
दीदी , उसे सब बता दीजिए,मैंने पहले भी कहा था कि उसका अधिकार है सच जानना ,
विशाल ने कहा तो अर्पिता ने ठीक है कहकर फोन रख दिया और अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़ककर रोने लगी।
"माँ रोइए नहीं और मुझे बताइए ये फोटो किसकी है और मुझसे ये क्यों छुपा रही थीं आप ?"शिवा ने माँ के चेहरे से उनके हाथ हटाते हुए पूछा ।
"नहीं ,तुमसे नहीं छुपा रही थी ,तुम्हारे पापा से छुपा रही थी , तुम तो देख ही रही हो तुम्हारे पापा सुबह आते हैं तो दोपहर को चले जाते हैं और दोपहर को आए तो रात को चले जाते हैं ,उनकी नज़र इस फोटो पर पड़ गई तो आफत आ जाएगी ,वो मुझसे ये फोटो छीन कर जला देंगे !!" रोते हुए अर्पिता ने शिवा से कहा।
"पर ये फोटो किसकी है और पापा इसे आपके पास क्यों न देखना चाहते हैं ?साफ -साफ बताइए ना !"शिवा ने कहा और अर्पिता ने शिवा के हाथ से वो फोटो लेकर उसकी तरफ देखते हुए शिवा से कहा -" ये फोटो मेरी इकलौती ननद और तुम्हारी बुआ गीतिका की है । "
"मेरी बुआ की फोटो !!"शिवा के मुँह से निकला और वो मन ही मन कहने लगी -इसका तो ये अर्थ हुआ कि अनन्या मेरी बुआ की बेटी, मेरी बहन है !!
"माँ,पापा अपनी ही बहन की फोटो आपके पास क्यों न देखना चाहते हैं ?भाई और बहन में कुछ मनमुटाव हुआ था क्या ?माँ पूरी बात बताओ ना !"शिवा ने पूछा और अनन्या उससे मन की गाँठ खोलने लगी -" तुम्हारे पापा व तुम्हारी बुआ ,तुम्हारे बाबा के दो बच्चे हैं ।तुम्हारे पापा बहुत बिगडे़ हुए इंसान हैं , उन्होने कभी गंभीरता से पढा़ई भी न की , आवारागर्दी करना,जुआ खेलना, रात -रात भर घर न आना,सट्टा लगाना ,, ऐसा कोई कुकृत्य नहीं जो वो करते न हों ।
उनकी हरकतों से तुम्हारे बाबा बहुत तंग आ चुके थे तो उन्होने सोचा कि इसके कंधों पर घरगृहस्थी का भार डाल दूँ तो शायद ये सही राह पर आ जाए और उन्होने अपने बेटे,तुम्हारे पापा का विवाह मुझसे कर दिया मगर तुम्हारे पापा न सुधरे तो न सुधरे !
तुम्हारे बाबा को बहुत अपराधबोध था कि अपने आवारा बेटे का ब्याह कर मैंने एक लड़की का जीवन बरबाद कर दिया ।एक दिवस वो मेरे कमरे में आए और रोआसे होकर मुझसे क्षमा माँगने लगे कि बहू मुझे क्षमा कर दो ,मैं तो सोचता था कि ये विवाह के बाद सुधर जाएगा मगर मैं गलत था ।
मैंने कहा -पापा आप क्षमा मत माँगो ,जो मेरी नियति में था, मिलना तो मुझे वही था ना !! तुम्हारे बाबा एक बहुत सम्माननीय शिक्षक थे ।उनका बहुत आदर-सम्मान था।
तुम्हारे बाबा ने एक महाविद्यालय की नींव डाली थी -
' एस.सी. आर.महाविद्याल '
सुबोध चंद्र राव महाविद्यालय ,ये तुम्हारे बाबा के नाम पर था।
जिसमें बहुत योग्य शिक्षक व शिक्षिकाओं की उन्होने नियुक्ति की थी ,पर उन्हें लगता था कि मेरे बाद मैंने जो भी धनसंपत्ति अर्जित की है ,वो ये लुटा देगा ,, उनकी मेहनत की कमाई जुए में जाएगी और महाविद्यालय को भी ये ले डालेगा ! आए दिन उनकी अपने बेटे से इस बात को लेकर कहासुनी हो जाती थी कि आखिर तुम चाहते क्या हो ? क्यों मेरा नाम डुबाने पर तुले हुए हो !
जितना तुम्हारे पापा बिगडे़ हुए थे उतना ही तुम्हारी बुआ सुशील,संस्कारी,सह्रदय थीं ।तुम्हारे बाबा ने उनका विवाह बहुत अच्छे और संस्कारी इंसान से कर दिया जो विद्युत विभाग में कार्यरत हैं।
तुम्हारी बुआ गीतिका की मुझसे बहुत बनती थी ।हम भाभी -ननद कम सहेलियां ज्यादा थे मगर तुम्हारे पापा गीतिका से बहुत चिढ़ते थे क्योंकि तुम्हारे बाबा क्रोध में तुम्हारे पापा से कहा करते थे -"कुछ सीखो गीतिका से !वो कितनी सुशील है ,अपना घर-परिवार लेकर चलती है ,जिम्मेदार है मगर तुम !तुम तो बस खाना और उडा़ना जानते हो और कुछ नहीं ,,, मैं कहे देता हूँ कि मैं अपनी सारी संपत्ति गीतिका के नाम वसीयत में कर जाऊँगा ,,तुम्हें फूटी कौडी़ भी न दूँगा ,कान खोलकर सुन लो ।
तुम्हारे पापा की हरकतों को देखकर ही तुम्हारे बाबा ने मुझसे कहा था कि अपने माँ और पिता से बात कर लो गोलू स्कूल में दाखिला कराने लायक हो गई है और मैं न चाहता कि मेरे बिगडै़ल बेटे की छाया भी मेरी पोती गोलू पर पडे़ ,,, अतः उन्हें स्वीकार्य हो तो गोलू का उनके यहाँ दाखिला करा दो ,खर्चे के रुपए मैं यहाँ से भेजता रहूँगा और मेरे नालायक बेटे को भनक भी न लगनी चाहिए कि उसकी बेटी का दाखिला हमने कहाँ कराया है !.......शेष अगले भाग में।
शेष अगले भाग में ।