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शापित संतान भाग -6

18 जून 2023

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इंसान अपने भीतर किसी बात का बोझ लेकर कैसे चल लेता है ,,, मन की गाँठें किसी से तो खोलकर अपने मन का बोझ हल्का कर सकता है ,, उसे करना चाहिए वरना उस बोझ के तले सबकुछ दबकर रह जाता है ,, होंठों की हँसी,आँखों की चमक, चेहरे की ताजगी ,, सब कुछ 

"बस!!बस!!मुझे यहीं उतरना है ,, "शिवा ने आटो वाले से कहा और पर्स से रुपए निकाल कर आटो वाले को देती हुई सड़क पार कर नानी के घर की तरफ चली ।
नाना जी घर के बाहर बने छोटे से लाॅन में पौधों को पानी दे रहे थे ।
उसे देखते ही बोले -"आ गई मेरी शिवा ,, चलो भीतर चलो , तुम्हारी नानी तुम्हारी ही राह देख रही थी ।"और वो हल्का सा मुस्कुराकर नाना से हाथ जोड़कर अभिवादन करती हुई घर के भीतर गई और आँगन में लगे चापाकल पर हाथ -मुँह धोने लगी ।
आँगन में ही बने रसोंई घर से  मामी बुदबुदाते हुए निकलीं -आ गईं मेरी छाती पर फिर मूँग दलने !! 
नानी के छोटे से घर में बस आँगन ही थोडा़ सा बडा़ था बाकी  पतले से बरामदे में  खुलते घर के चारों कमरे छोटे ही थे ।
आँगन में नानी  अपने कमरे के सामने चारपाई डाले हुए आरती करने के लिए रुई की बाती बना रही थीं ।वो मामी का बुदबुदाना सुन न पाईं और उसे देखकर बोलीं -" आजा मेरे पास बैठ आकर "और मामी से बोलीं -चेतना अब चाय और नाश्ता ले आओ ,मैं अपनी नातिन का ही रास्ता देख रही थी कि वो आ जाए तो उसके साथ ही चाय ले लूँ "और बाती एक तरफ रखकर उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं -"कोई दिक्कत तो न हुई आने में !!तेरे मामा किसी काम से बाहर गए तो तुझे लेने न आ पाए !"
"नहीं नानी ,कोई दिक्कत न हुई " शिवा कहते हुए नानी के कमरे में अपना बैग रखने चली गई।

अनन्या बरेली पहुँच गई थी ।
बरेली में उसका भी घर मुख्य सड़क पर था ।उसके पिता विद्युत विभाग में थे ,अच्छी-खासी आमदनी थी तो घर भी बडा़ और अच्छे तरीके से बनवाया था ।स्टेशन पर उसके पिता उसे लेने आए थे और अपने पिता की गाडी़ से वो अपने घर पहुंची थी । घर पहुँचने पर दरवाजा अनन्या की माँ गीतिका राव ने खोला था । लम्बी ,छरहरी काया की गीतिका देखने में आकर्षक व्यक्तित्व की थी और उसने अनन्या के मनपसंद धानी रंग की साडी़ पहने हुए मुस्कुराकर दरवाजा खोला था ,और बोली थी -" आ गई मेरी लाडो अब इन दो चार दिनों में हम माँ और बेटी खूब मजे करेंगे ।" 
अनन्या माँ के चेहरे पर उसके आने की खुशी देख रही थी।
वो अंदर आते -आते सोचने लगी कि माँ उससे प्यार तो बहुत करती हैं पर उसे इतना भी नहीं बता सकतीं कि वो कभी मायके की चर्चा क्यों न करती हैं !! 
कितनी ही बार तो उसने माँ को छुपकर आँसू बहाते देखा था जिससे स्पष्ट था कि उन्हें अपने घर की याद आती है मगर वो कह क्यों न पातीं हैं ये उसकी समझ से परे था ।
"कहाँ खोई हुई हो लाडो ??" अनन्या के हाथ से उसका बैग लेते हुए उसकी माँ गीतिका ने पूछा मगर अनन्या ,"कुछ नहीं " कहकर चुप हो गई ।

शिवा मायूस हो गई थी कि इस बार मामा के घर पर न होने से इस बार वो मामा से पूछ ही न पाएगी कि माँ उसे उसके घर कानपुर क्यों न आने देती हैं !!

देखते ही देखते दोनों की छुट्टियां खत्म हो गई थीं और अगले दिन दोनों को वापस लुधियाना जाना था ।मामा के न होने से शिवा का पूछना न बन पाया था और अनन्या को तो माँ से पूछने का समय ही न मिला था ,जब भी उसने पूछना चाहा था तब तब या तो माँ को कोई काम याद आ गया था या अनन्या से मिलने ही उसकी कोई न कोई सहेली आ गई थी ।कुल मिलाकर दोनों के हाथ निराशा ही लगी थी और अगले दिवस दोनों वापस लुधियाना के लिए निकल ली थीं और नियत समय पर लुधियाना शुभ्रा काकी के घर भी पहुँच गई थीं ।
दोनों ही सफर की थकान की वजह से अपने अपने बिस्तर पर आराम करने लगी थीं ।अगले दिवस फिर काॅलेज जाना था।


सफर की थकान के कारण दोनों को ही बिस्तर पर पड़ते ही गहरी नींद आ गई थी और सीधे सुबह चिडियों की मधुर चहचहाहट से ही उनकी आँख खुली थी ।दोनों नहा-धोकर नाश्ता करके ,तैयार होकर काॅलेज के लिए जाने को कमरे से बाहर आ गई थीं जहाँ रिक्शेवाले बाबा अपना रिक्शा लिए उन्हीं की प्रतीक्षा कर रहे थे ।वे दोनों रिक्शे पर बैठकर काॅलेज के लिए चल दीं ।शिवा बहुत चुप थी जैसे उसके मन में कुछ चल रहा हो ।अनन्या ने उसे चुप देखकर कहा -"शिवा ,तू क्या सोच रही है !! कल तो इतनी थकावट थी कि एक दूसरे का हम हाल-चाल ही न पूछ पाए ,,, हा !हा!हा! " और हँसने लगी ।

"हाँ वही तो !!" शिवा बोली ।

"चल कोई बात नहीं अब बता ,कुछ पता चला तुझे !!" अनन्या ने उससे पूछा ।

शिवा मायूस होकर बोली -"नहीं यार ,, इस बार तो निराशा ही हाथ लगी ,तू बता तू पूछ पाई अपनी माँ से !!" 

"नहीं ना ! जब भी पूछने चलती मेरी कोई न कोइ नासपीटी सहेली आ धमकती  थी और मेरा उनसे  पूछना रह ही जाता था!!"अनन्या ने कहा ।

" इस बार हो गया अनन्या ,अगली बार मैं मामा के साथ कानपुर जा कर ही रहूँगी !" शिवा ने अनन्या से दृढ़ निश्चय करते हुए कहा ।

"कककानपुर,,, रिक्शेवाले के मुँह से निकला और रिक्शा चलाते उसके हाथ यकायक थम गए

शिवा और अनन्या ने एक दूसरे की तरफ देखते हुए रिक्शेवाले बाबा की तरफ देखा और शिवा ने हैरानी से रिक्शेवाले बाबा से पूछा -"क्या बात है बाबा !आप कानपुर का नाम सुनकर ऐसे चौंक क्यों गए !!"
"नननहीं ,, कुछ नहीं बिटिया !!" रिक्शेवाले बाबा ने कहा और पुनः रिक्शा चलाने लगे ।
शिवा और अनन्या दोनो एक बार फिर एक दूसरे को देखने लगीं और अपने अपने मन में सोचने लगीं कि कुछ तो बात है ,, जो रिक्शेवाले बाबा कानपुर का नाम सुनकर चौंक गए और उनका रिक्शा चलाना रुक गया ।
दोनों का काॅलेज आ गया था और वे रिक्शे से उतर कर अंदर जाने लगीं ।
"शिवा देख मैंने तुझसे कहा था ,, पक्का कानपुर में कुछ भूतिया है ,,, देखा नहीं रिक्शेवाले बाबा कानपुर का नाम सुनते ही कैसे चौंक गए ! " अनन्या ने शिवा से कहा।............शेष अगले भाग में।

Papiya

Papiya

बहुत सुंदर

21 सितम्बर 2023

BBL

BBL

शानदार भाग

18 जून 2023

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रचनाएँ
शापित संतान
5.0
मैं आप लोगों के लिए एक नई कहानी लेकर आई हूँ -'शापित संतान '।मेरी ये कहानी पूर्णतः काल्पनिक है । एक पिता अपनी संतान के लिए हर त्याग करता है मगर जब उसकी संतान गलत राह पकड़ ले तो उसका सुख ,चैन छिन जाता है ,ऐसी संतान शापित संतान ही होती है ।ऐसी ही शापित संतान अपने पुत्र से त्रस्त पिता को क्या क्या सहना पड़ता है वो पढ़कर एक पिता की पीडा़ महसूस करिए मेरी कहानी -'शापित संतान'पढ़कर ।
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शापित संतान --भाग 1

16 जून 2023
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भोर के नौ बजने वाले थे और भगवान भास्कर अपने प्रचण्ड रूप में आकर ग्रीष्म का कहर बरपा रहे थे।शिवा और अनन्या धूप से बचने को अपने अपने सिर दुपट्टे से ढ़के ,रिक्शे के लिए सड़क के किनारे बने फुटपाथ पर खडी़

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शापित संतान -भाग 2

17 जून 2023
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"अच्छा वो सब छोड़ ,,,सुन न शिवा,हमको मिले छह महीने हो गए और हम अभी एक दूसरे के बारे में कुछ न जानते हैं सिवाय इसके कि तू कानपुर और मैं बरेली से हूँ,चल पहले तू अपने बारे में बता फिर मैं अपने बारे में त

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शापित संतान -भाग 3

17 जून 2023
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,,,,, मुझे छोटे से ही जयपुर के हाॅस्टल डाल दिया गया ,जयपुर जहाँ मेरा ननिहाल है , मुझे धुँधला -धुँधला याद है वहाँ माँ मिलने आती थीं और मुझसे मिलने मेरे बाबा भी आते थे ,,,, वहीं मेरी सारी शि

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शापित संतान भाग -4

18 जून 2023
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"वो,,, शिवा अनन्या की तरफ देखकर कहते हुए रिक्शेवाले बाबा से बोली -" बाबा आज वापसी में हमें लेने न आइएगा , हमें काॅलेज में आज समय लगेगा ,कब वापसी हो पाएगी !कह न सकती तो आपको कितने समय बुलाऊँ !!तो हम वा

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शापित संतान -भाग 5

18 जून 2023
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दोनों के मन में प्रश्न थे पर उन्होने उस रिक्शेवाले बाबा से कुछ भी पूछना उचित न समझा ।शिवा ट्रेन में बैठी जयपुर जा रही थी ।जितना ट्रेन आगे बढ़ रही थी उतना ही उसका मन उसको पीछे की ओर खींच रहा था। उसका म

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शापित संतान भाग -6

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इंसान अपने भीतर किसी बात का बोझ लेकर कैसे चल लेता है ,,, मन की गाँठें किसी से तो खोलकर अपने मन का बोझ हल्का कर सकता है ,, उसे करना चाहिए वरना उस बोझ के तले सबकुछ दबकर रह जाता है ,, होंठों की हँसी,आँखो

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शापित संतान भाग 7

19 जून 2023
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"कुछ भी !! पर मुझे तो लगता है कि रिक्शेवाले बाबा का कानपुर से कुछ तो नाता है ,, वरना वो ऐसे चौंकते नहीं पर वो कुछ बताते भी तो नहीं !!"शिवा ने कहा और दोनों अंदर प्रवेश कर गईं ।" अनन्या ,शुभ्रा काकी को

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शापित संतान भाग 8

19 जून 2023
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"नहीं ,वो नहीं मैं सोच रही थी कि रिक्शेवाले बाबा कितनी मेहनत करते हैं ,दिन रात रिक्शा खींचते हैं तब जाकर उनके घर चूल्हा जलता होगा ।"अनन्या ने कहा।"हाँ वो तो है पर हम कर भी क्या सकते हैं !!"शिवा बोली।"

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शापित संतान भाग 9

19 जून 2023
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कितनी भीड़ है लोगों की !!मैं कैसे ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दूँगी !!उस आदमी ने सुना तो मेरे पास आकर बोला कि आप मरना क्यों चाहती हैं !! मैंने रोते हुए सब बताया तो वो सुनकर उदास होकर आँसू ब

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शापित संतान भाग 10

19 जून 2023
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शिवा चुपचाप सिर झुकाकर मामा के साथ घर के अंदर चली गई ।नानी उसको देखकर खुश भी हुई और कुछ सोचकर उनकी आँखों के कोर भी भीग गए थे ।वो याद करने लगी - जब वो पिछली बार नानी के घर आई थी तब एक दिन मामा के

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शापित संतान -भाग 11

20 जून 2023
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शिवा की आँखों में धुंधली सी यादें तैरने लगीं-- गोलू,,,, उधर सीढियों की तरफ नहीं,,, उधर गिर जाओगी ! इधर आओ इधर ,,, गोलू ,,, तुमसे से चापाकल न चलेगा ,,, हा हा हा ,,, आ जाओ इधर ,,,, शिवा के मा

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शापित संतान -भाग 12

20 जून 2023
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श्रीनिवास आया और चाय व नाश्ते के जूठे बर्तन ले जाने लगा ।"माँ मैं जाकर पूरा घर देखकर आती हूँ ।"शिवा ने कहा और वो अपने कमरे से निकलकर रसोंईघर देखकर फिर रसोंईघर के बगल वाले कमरे में गई। विशाल रसोंई के ब

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शापित संतान -भाग 13

20 जून 2023
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" माँ बस अभी ही तो आई ! पापा से नमस्ते करने को हाथ जोडे़ मगर पापा ने तो मुझे स्नेह से देखा तक नहीं !! अपनी बेटी से मिलकर लगता है पापा को खुशी न हुई !!" शिवा ने ये प्रकट करते हुए कहा जैसे उसने कुछ सुना

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शापित संतान -भाग 14

21 जून 2023
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शिवा स्नान करके अपने कमरे में आई ही थी कि उसके फोन की घण्टी बजी ।शिवा ने फोन उठाकर कहा -" हाँ अनन्या ,कैसी है तू ?" उधर से अनन्या की आवाज आई -"मैं सही हूँ तू बता तुझे कारण पता चला कि तेरी माँ तुझ

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शापित संतान -भाग 15

21 जून 2023
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शिवा पलटी तो देखा कि पीछे माँ खडी़ थीं और उनके चेहरे पर घबराहट थी ,तभी शिवा को याद आया कि उसने रसोंई के बगल वाले कमरे के भीतर वाले दरवाजे की कुण्डी़ बंद कर दी थी वो अभी खोली नहीं !!"एक मिनट माँ !"कहती

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शापित संतान -भाग 16

21 जून 2023
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मैंने अपने घर में बात की तो तुम्हारे नाना,मामा तैयार हो गए और तुम्हें उनके यहाँ पढ़ने भेज दिया गया ,तब तुम्हारे मामा का विवाह न हुआ था पर तुम्हारे मामा के विवाह होते ही ,चेतना ने साफ कह दिया कि मैं कि

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शापित संतान-भाग 17

22 जून 2023
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सोचते हुए शिवा ने श्रीनिवास के कमरे की तरफ देखा - नित्य की तरह श्रीनिवास के कमरे का दरवाजा उड़का हुआ था और उसके कमरे की लाइट जल रही थी ।ये श्री कमरा बंद कर लाइट जला कर कुछ करता है या इसकी लाइट जलाकर स

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शापित संतान-भाग 18

22 जून 2023
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"हाँ यही करती हूँ फिर तुझे बताती हूँ ,अब सो जा बहुत रात हो गई है ,, शिवा ने कहा और फोन रखकर स्वयं से कहने लगी श्री से कुछ भी करके उन दोनों कमरों की चाभियां लेकर कमरे खोलकर देखूँगी ,, &

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शापित संतान -भाग 19

22 जून 2023
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अनन्या ने कहा और शिवा ने फोन रख दिया और सुबोध चंद्र राव के कमरे के सामने जाकर खडी़ हो गई।श्रीनिवास को होश आया तो वो हड़बडा़कर कमरे से निकलते हुए बाहर आया तो देखा कि शिवा बडे़ सर के कमरे के बाहर ,हाथ म

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शापित संतान -भाग 20

22 जून 2023
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गधे की औलाद, मुझसे प्रश्न करेगा!!चटाआक !! गाल सहलाना छोड़ और कान खोलकर सुन ले मैं जो करने जा रहा हूँ उसमें अगर मेरे साथ रहने में आनाकानी की तो तेरी चमडी़ उधेड़कर कुत्तों को खिला दूँगा,, अब

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शापित संतान -भाग 21

22 जून 2023
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सर ने बडे़ सर को फिर मेरे स्नानागार में बाँध कर रखा और फिर अगले दिन उन्हें लुधियाना जाने वाली बस में बैठा दिया ,, बडे़ सर इस घटना से इतना टूट चुके थे कि उन्होने बिना कोई क्रिया,प्रतिक्रिया किए लुधियान

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शापित संतान - भाग 22 अंतिम भाग

22 जून 2023
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छमिया ये सब देखकर समझ गई कि ये सब भाऊ के घरवाले हैं और भाऊ किसी वजह से अपना घर छोड़कर आए थे और ये लोग उन्हें मनाने आए हैं ।वो बैठे बैठे सब सुनने लगी।"उठो,उठो,उठो,श्रीनिवास।" श्रीनिवास को उठाते हुए सुब

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