अनन्या ने कहा और शिवा ने फोन रख दिया और सुबोध चंद्र राव के कमरे के सामने जाकर खडी़ हो गई।
श्रीनिवास को होश आया तो वो हड़बडा़कर कमरे से निकलते हुए बाहर आया तो देखा कि शिवा बडे़ सर के कमरे के बाहर ,हाथ में कमरे की चाभी लिए हुए खडी़ थी।
"गोलू बिटिया ,ये सब क्या था !!मुझे कमरे की चाभी दे दो।" श्रीनिवास ने शिवा से कहा ।
"क्यों ! ये चाभियां तुम्हें ही रखने का अधिकार प्राप्त है क्या ?? " शिवा ने क्रोध से घूरकर श्रीनिवास की तरफ देखकर कहा ।
"गोलू बिटिया ये चाभी मेरे पास ही रहती हैं मुझे दे दो ।" श्रीनिवास ने शिवा से विनय की ।
"दे दूँगी ,पहले बताओ कि बाबा कहाँ हैं ?" शिवा ने पूछा जिससे श्रीनिवास घबराकर बोला -"ये क्या पूछ रही हो बिटिया !!मुझे कुछ नहीं पता !!"
" सच में तुम्हें कुछ नहीं पता है श्री ??" शिवा क्रोध में भरकर चीख कर बोली जिससे अर्पिता की नींद खुल गई और वो बरामदे में आई और शिवा से पूछा -" क्या बात है शिवा ! कैसा शोर मचा रखा है !!"
शिवा ने माँ अर्पिता की बात का कोई उत्तर न देते हुए श्रीनिवास से फिर कहा -"मैं तुमसे कुछ पूछ रही हूँ श्री !बाबा कहाँ हैं ?"
"गोलू ये क्या तरीका है श्रीनिवास से बात करने का ! वो लगभग तुम्हारे पापा की उमर के हैं और कल ही तो तुम्हें सब बताया था तो आज श्री से ये क्या पूछ रही हो ?" अर्पिता ने शिवा की तरफ देखकर कहा ।
"आपने जो बताया था वो अधूरा सच था माँ !!"शिवा ने अर्पिता से कहा और फिर श्रीनिवास से कहा -"देखो श्री मुझे क्रोध मत दिलाओ , और सीधे सीधे सारा सच बताओ ,बताओ मुझे कि बाबा कहाँ हैं ?"
"गोलू तुम होश में तो हो !क्या एक ही बात बार बार श्रीनिवास से पूछ रही हो जबकि मैं तुम्हें कल बता चुकी हूँ कि तुम्हारे बाबा गुजर गए !!" अर्पिता ने शिवा से तल्खी से कहा ।
" मैं आपको बरगलाया गया है ,, बाबा जीवित हैं ,उनका देहांत नहीं हुआ है !!" शिवा ने अर्पिता से कहा ।
"क्या पागलों जैसी बात कह रही हो ,, पापा जी की पार्थिव देह घर आई थी ,उनका अंतिम संस्कार किया गया था और तुम कह रही हो कि पापा जी जीवित हैं !! " अर्पिता ने शिवा से कहा ।
वही तो ! जो पार्थिव देह घर आई थी वो बाबा की नहीं थी ,, बाबा जीवित हैं माँ ।" शिवा ने कहा ।
"किस आधार पर तुम ये कह रही हो भला !!"अर्पिता ने शिवा से प्रश्न किया ।
"क्योंकि मैं उनसे मिल चुकी हूँ ,उनसे बात की है मैंने और वो जिस स्थिति परिस्थिति में हैं वो देख कर मुझे बहुत रोना आ रहा है माँ !!" अपनी माँ अर्पिता को बताते हुए शिवा का गला रुंध गया ।
"क्याआआ !!ये कैसे हो सकता है !!"अर्पिता ने आश्चर्य से आँखें फैलाकर कहा ।
श्रीनिवास ने ये सब सुना तो उसके पसीने छूट गए और वो थर-थर काँपने लगा ।
वही तो हमें श्री बताएगा ,, श्री अपना प्रश्न थोडा़ बदल रही हूँ ,अब तुम मुझे ये बताओ कि बाबा के साथ कैसे और क्या हुआ था !!" शिवा ने अर्पिता से कहते हुए श्रीनिवास से पूछा ।
श्रीनिवास की घिघ्घी बंध गई और वो घबराकर कंपित स्वर में बोला -"ममममुझे कुछ नहीं पता,,,ककुछ नहीं पता,,,, ।
"देखो श्री मुझे वो करने पर मजबूर मत करो जो मैं करना नहीं चाहती,,, सीधे सीधे सब बताओ ।"शिवा ने क्रोध में भरकर तेज स्वर में कहा ।
"श्रीनिवास शिवा जो कह रही है वो सच है तो सारी बात बताओ इसके पहले कि इसके पापा आकर तुम्हें अपने साथ ले जाएं ।"अर्पिता ने श्रीनिवास से कहा ।
"मैं कुछ नहीं जानता,,मुझे कुछ नहीं पता,,, नहीं पताआआ ,,,"कहते कहते श्रीनिवास रोने लगा ।
"तुम्हें सब पता है श्री बताओ मुझे !!" शिवा चीखी ।
" सर मुझे नहीं छोडे़ंगे ,, वो मेरी चमडी़ उधेड़ देंगे,, मुझसे कुछ मत पूछो,भगवान के लिए कुछ मत पूछो,, मैं कुछ न बता पाऊँगा,,, सर मुझे नहीं छोडे़ंगे ,,, " श्री निवास फर्श पर बैठकर दोनों हाथ जोड़कर शिवा के सामने गिड़गिडा़ने लगा ।
"ठीक है ,तुम्हें मुझे नहीं बताना है ना ,, कोई बात नहीं ,मैं अभी पुलिस को फोन करके उन्हें सब बताती हूँ फिर वो अपने तरीके से तुमसे सब उगलवा ही लेगी और एक बात जान लो कि पापा तो सारा दोष तुम पर मढ़कर बच निकलेंगे फँसोगे तुम ,,, खाल तुम्हारी ही उधेडी़ जाएगी ,, अगर तुम मुझे सारा सच बता दो तो मैं तुम्हें बचा सकती हूँ। मैंने देखा है तुम्हारी आँखों में नमी,चेहरे पर उदासी ,, तुमने जो भी किया पापा के कहने पर किया होगा ,, अब अपने किए पर पश्चाताप करने का एक ही अवसर है उससे मत चूको और तोते की तरह शुरू हो जाओ ।"शिवा ने श्रीनिवास से कहा ।
श्रीनिवास को आगे कुआँ तो पीछे खाई नज़र आ रही थी ।वो सोचने लगा कि सच न बताऊँ तो शिवा बिटिया मुझे नहीं छोड़ने वाली है और अगर सब बक दिया तो सर मुझे कच्चा चबा जाएंगे ,, दोनों ही हालत में मेरा मरण है तो बता ही दूँ और उसने कहा -"बताता हूँ ,सब बताता हूँ,,
उस शाम बडे़ सर और सर के मध्य बहुत तीखी बहस हुई थी फिर बडे़ सर अपने कमरे में चले गए थे उसके बाद सर मेरे कमरे में आए और मेरे कमरे में पडी़ कुर्सी पर बैठते हुए क्रोध में कहने लगे -- कहते हुए श्रीनिवास उन्हीं पलों में पहुँच गया ---
ये बुड्डा अपनी सारी चल व अचल संपत्ति उस गीतिका के नाम करेगा !! मुझे फूटी कौडी़ भी न देगा ,,, वो बुड्डा तय कर चुका है ,पर मैं ऐसा नहीं होने दूँगा ,,मैं भी देखता हूँ कि जो मेरा है वो गीतिका को कैसे मिलता है ,, मैं उस बुड्डे को उसने जो सोचा है वो करने ही न दूँगा ,,वो बुड्डा जानता नहीं है कि मैं क्या चीज़ हूँ ,,
उसको बताना पडे़गा ,,,,,श्रीनिवास अभी के अभी उस बुड्डे के कमरे में जाओ और उससे कहो कि बडे़ सर मेरे कमरे के अंदर जो एक दरवाजा बाहर सड़क पर खुलता है वो दरवाजा तोड़ कर कोई मेरे कमरे में घुस आया है ,, मैं किसी तरह उससे बचकर इधर से दरवाजा बाहर से बंद करके आया हूँ शीघ्र चलिए ,,, ।
सर आप करने क्या वाले हैं ??.........शेष अगले भाग में।