" माँ बस अभी ही तो आई ! पापा से नमस्ते करने को हाथ जोडे़ मगर पापा ने तो मुझे स्नेह से देखा तक नहीं !! अपनी बेटी से मिलकर लगता है पापा को खुशी न हुई !!" शिवा ने ये प्रकट करते हुए कहा जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं ।
अर्पिता ने राहत की साँस ली ये सोचकर कि गोलू कुछ सुन न पाई और वो बोली-"ऐसी बात नहीं है गोलू , तुम्हारे पापा बहुत व्यस्त रहते हैं ना ,, काम की व्यस्तता की वजह से वो ध्यान न दे पाए होंगे बाकी तुम्हारे पापा तुमसे बहुत प्यार करते हैं ।"
शिवा ने माँ की तरफ देखा ,, उनकी आँखें कुछ और कह रही थीं और उनके होंठ कुछ और ,,,,
वो हल्का सा मुस्कुराकर अर्पिता की कमर में बाहें डालकर बोली -"माँ कुछ खाने को बनाओ ना ! भूख लग रही है ।"
"हाँ अभी बनाकर लेकर आती हूँ ।"अर्पिता ने कहा और रसोंई में चली गई।
शिवा माँ को रसोंई में गया देखकर धीरे से रसोंई के बगल वाले कमरे में जाकर उसके अंदर बने दरवाजे को जरा सा खोलकर बाहर देखने लगी - बाहर उसके पापा बैठे हुए श्रीनिवास से अपने बदन में तेल लगवा रहे थे ।श्रीनिवास , शिवा के पापा की पीठ पर तेल से मालिश कर रहा था और उसकी आँखों से आँसू गिर रहे थे ।
" अबे गधे की औलाद, हाथों की ताकत क्या घास चरने गई है ! पूरी ताकत से मालिश कर ना !!" शिवा के पापा ने श्रीनिवास से कहा और वो -"जी सर ,करता हूँ "कहकर और जोर जोर से रगड़ने लगा ।
शिवा अंदर आ गई और अर्पिता के कमरे में बैठने ही जा रही थी कि रसोंई से अर्पिता आकर बोली -"गोलू,अपने कमरे में चलो ,नाश्ता वहीं लाती हो ना !यहाँ क्यों आ गईं !!"
ये माँ मुझे अपने कमरे में क्यों न बैठने देती हैं !! ऐसा क्या है इस कमरे में !! सोचती हुई शिवा अपने कमरे में चली गई ।
थोडी़ देर में अर्पिता शिवा के लिए चाय व नाश्ता उसके कमरे में लेकर प्रवेश करने ही वाली थीं कि शिवा के पापा ने उनसे आकर कहा -" ये क्या है सब ! खाना कितने समय तैयार होगा ,, मेरे और भी काम हैं ,, "
"जी , बस थोडी़ देर में खाना तैयार कर देती हूँ ।" अर्पिता ने कहा और शिवा के पापा श्रीनिवास को आवाज देते हुए घर के बाहर निकल गए और श्रीनिवास "आया सर !"कहता हुआ उनके पीछे दौड़ गया ।
रात हो गई थी ,अर्पिता ने शिवा के पापा को खाना खिला दिया था और वो श्रीनिवास को लेकर घर से बाहर चले गए थे ।
अर्पिता ने शिवा के साथ खाना खाया था मगर इस दौरान उन दोनों के मध्य कोई बातचीत न हुई थी ।शिवा महसूस कर रही थी कि उसकी माँ उससे,उसके प्रश्नों से बचने प्रयास करने के कारण बहुत ही कम बोल रही हैं ।
शिवा ने खाना खाया और अपने कमरे में सोने चली गई।
ऊंह! ये कैसी खट की आवाज है !! शिवा ने स्वयं से कहते हुए घडी़ देखी तो सुबह का पौने चार था ।इतनी सुबह ये कैसी आवाज है !! शिवा ने सोचते हुए उठकर अपने कमरे की खिड़की का पर्दा खोला तो देखा कि श्रीनिवास पोछा और पानी की बाल्टी लेकर बरामदे के दाएं तरफ बने दो कमरों में से पहले कमरे के अंदर गया ।
ओह !तो इतनी सुबह इन कमरों की सफाई करने के लिए ताला खोला जाता है ,,, इसका मतलब इन दोनों कमरों की चाभी श्री के पास रहती है !!
शिवा ने स्वयं से कहा और सोचने लगी कि इसी समय इन कमरों के पास जाकर देखूँ कि इन कमरों में ऐसा क्या है जो इनमें ताला पडा़ रहता है !! किसके कमरे हैं ये ?
नहीं ,,, नहीं इस समय वहाँ गई तो उसकी आहट पाते ही श्री जल्दी से कमरे बंद कर चला जाएगा और वो सतर्क भी हो जाएगा और हो सकता है कि अगले दिन इनकी सफाई अंदर से बंद करके करे !!
कुछ और सोचना पडे़गा इन कमरों में जाने के लिए ,,किसी तरह श्री के पास से इनकी चाभी लेनी होंगी तभी भीतर जाकर देख मिलेगा कि इनमें क्या है और ये कमरे किसके हैं ,,,
शिवा सोचते हुए फिर अपने बिस्तर पर आ गई और लेट गई मगर नींद तो उससे कोसों दूर थी ।
भोर हो चुकी थी ।शिवा ने अपने कमरे से बाहर आकर माँ के कमरे का पर्दा सरकाकर भीतर झांका तो देखा कि माँ तो कमरे मे नहीं हैं !!
श्रीनिवास रसोंई के बगल वाले कमरे में सफाई कर रहा था।
माँ कहाँ गईं !! सोचते हुए शिवा गलियारे की तरफ गई तो वहाँ बाथरूम से पानी गिरने की आवाज आ रही थी ।
ओह !तो माँ नहा रही हैं ,,, यही अवसर है माँ के कमरे को अच्छी तरह देखूँ तो शायद कुछ ऐसा मिल जाए जो उससे छुपाया जा रहा है ,,, सोचते हुए शिवा दबे पाँव माँ के कमरे में गई पर उसे वहाँ ऐसा कुछ न दिख रहा था जो उससे छुपाया जा रहा हो ।
अकस्मात शिवा की नज़र वार्डरोब पर गई ।इसमें कुछ हो सकता है मगर इसकी चाभी ,,, इसकी चाभी कहाँ हो सकती है !! शिवा इधर- उधर देखते हुए सोचने लगी ।
" बिटिया तुम यहाँ ??कुछ चाहिए क्या ?" पोछे की बाल्टी लिए हुए श्रीनिवास ने आकर उससे पूछा ।
शिवा श्रीनिवास को देखकर सकपका कर बोली -"नहीं श्री ,वो माँ से कुछ काम था तो उन्हें देखने आई थी मगर वो तो यहाँ हैं ही नहीं !"
"मैडम स्नान करने गई थीं , निकल आई होंगी ,आप भी जाकर स्नान कर लो ।" श्रीनिवास ने कहा और शिवा मन मारकर अर्पिता के कमरे से निकलकर अपने कमरे में आ गई और अपनी तौलिया व कपडे़ लेती हुई सोचने लगी कि पक्का इस कमरे में कुछ है जो माँ न चाहतीं कि वो देखे तभी श्री ने भी आकर उसे टोक दिया ।
कोई बात नहीं , अगला प्रयास करूँगी ।.....शेष अगले भाग में।