अंशु अब छः साल की हो गई। धीरे-धीरे पढ़ने में रुचि लेने लगी । लेकिन खेलना कम नहीं हुआ था । और वह टीवी भी खूब देखने लगी थी। अपने भाई से वो खूब प्यार करती है। टीवी देख देख कर थोड़ा बहुत डांस करना सीख गई। और उसे ड्राइंग करना बहुत अच्छा लगता था। चित्र बना बना कर कागज को दीवार पर चिपका दिया करती। स्कूल के प्रोजेक्ट को खूब मन लगाकर बनाती थी उसमें खूब चित्रकारी करती।
छठवीं सातवीं तक आते-आते वो पढ़ने में खूब होशियार हो गई।
अब मैं उसे पढ़ाने का टाइम नहीं दे पाती थी । लेकिन जब भी उसको पढ़ाती थी। तो सबसे पहले उसका शुरुआत से शुरू करती । उसका टेस्ट लेती -A,B,C,D,E... 1,2,3,4.... अ,आ,इ ,ई ...। पूरा बेसिक का टेस्ट।
जब-जब मैंने उसका टेस्ट लिया तब तब उसने हंसकर टेस्ट दिया। मैं उसके नर्सरी क्लास से आगे नहीं बड़ी। उसका वही बेसिक दोहराया। उसका नतीजा यह है कि उसका बेसिक अच्छे से क्लियर हो गया।
अरे हां मैं स्कूल बदलने के सिलसिला के बारे में बता रही थी स्कूल बदलने का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ था । और हर बार स्कूल चेंज करने का कारण कोई मजबूरी नहीं थी। बल्कि कभी ऐसा भी हुआ कि कहीं स्कूल पसंद नहीं आया , स्कूल की पढ़ाई पसंद नहीं आई तो चेंज कर दिया । बार बार स्कूल चेंज करने से पढ़ाई पर असर पड़ता है लेकिन अंशू के साथ ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ क्योंकि उसकी पढ़ाई को लेकर ही स्कूल चेंज किए थे कभी ऐसा लगता कि अरे जैसा वह पढ़ रही है उसके हिसाब से स्कूल अच्छा नहीं है और कभी बच्चों की संगत के कारण भी स्कूल को चेंज किया। अगर पढ़ाई का देखा जाए तो पढ़ने में वह हर क्लास में टॉप रहती ।
खेलने में भी उसको बहुत रुचि है । उसका पसंदीदा खेल खो खो है। और खो खो के खेल में वह नेशनल तक खेली है । कई बार टीम की कैप्टन भी बनी है। खो खो के साथ-साथ उसने संभाग स्तर पर शतरंज भी खेला है।
मेकअप करने का शौक उसे अभी भी है। उसे लंबे बाल पसंद है लेकिन मैं उसके बाल हर बार कटवा देती हूं क्योंकि मेरा मानना है जब तक छोटी है तो अपने आप से संभाल नहीं पाएगी और मुझे ही उनका ध्यान रखना पड़ेगा। छोटे बाल मैनेज करने में ज्यादा प्रॉब्लम नहीं आती।