अंशू पांच साल की हो गई और काफी समझदार हो गई। खेलना ही खेलना काम है। पढ़ने लिखने से कोई मतलब नहीं।
अंशू का पांचवां जन्मदिन धूमधाम से मनाया। वो बहुत खुश थी। उसने जब मोमबत्ती फूंकी तो उछल पड़ी। केक काटते ही खाने के लिए बेताब हो गई।
अंशू का छोटा भाई आ गया है । अक्सर देखा गया है कि पहला बच्चा दूसरा बच्चा आने के बाद चिड़चिड़ा हो जाता है उसे बर्दाश्त नहीं कर पाता है । लेकिन अंशू ऐसी नहीं है। अंशु अपने भाई को बहुत प्यार करती है। उसे खिलाती है। उसका ख्याल रखती है ।जब भी रोता है तो मुझे आवाज लगाती है। मम्मी भैया रो रहा है । उसे गोदी में लेने की कोशिश करती है । लेकिन उसको उठा नहीं पाती है लेकिन फिर भी नहीं मानती है और उसे उठाती है। गिरा भी देती है।
अब अंशू का एडमिशन दूसरे स्कूल में हो गया है ।स्कूल ,अरे हां फिर से चैंज हुआ है । मजे की बात है कि पांच साल की उम्र में अंशु का यह चौथा स्कूल है ।
है ना मजेदार बात है। उसका ढ़ाई साल की उम्र में प्ले स्कूल में एडमिशन करवाया। वहां उसने प्री नर्सरी कंप्लीट की। उसके बाद हमने रूम चेंज किया। उस रूम से स्कूल दूर पड़ता था । इस कारण से स्कूल चेंज किया । इस स्कूल में वह मात्र छः महीने पड़ी और उसको फिर एक बड़े स्कूल में इंटरव्यू दिलवाया। इंटरव्यू में पास हो गई तो उसका उस बड़े स्कूल में एडमिशन हो गया । छः महीने वह उस स्कूल में पढ़ी।
फिर अंशू के पापा का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया। तो फिर से अंशू का एडमिशन दूसरे शहर के स्कूल में कराया। इस तरह पांच साल में उसका यह चौथा स्कूल था। अभी तो शुरुआत है स्कूल बदलने का सिलसिला जारी रहेगा ।