अंशू चार साल दो महीने की हो गई । इस बार उसका जन्मदिन थोड़ा अच्छे से मनाया ।
अंशू की पढ़ाई को लेकर बड़ी उलझन है । अभी वह संस्कार पब्लिक स्कूल में पढ़ती है क्योंकि रूम चेंज करने के बाद उसका पहले वाला स्कूल रूम से बहुत दूर था । उसको लाने ,ले जाने में बहुत मुश्किल होती थी । इसलिए उसे पास के स्कूल में एडमिशन करा दिया।
लेकिन इस स्कूल की पढ़ाई पहले वाले स्कूल से ज्यादा अच्छी नहीं है। वह जितना जानती थी उतना भी भूल गई थी। घर पर मैं उसकी पढ़ाई पर बहुत ध्यान देती लेकिन वह खेलने में मस्त रहती है
अगर उसे कोई साथ खेलने के लिए नहीं मिलता तो अकेले ही खेलती रहती है । खुद ही मम्मी बन जाती है, खुद ही पापा बन जाती है और खुद ही बेटी बन जाती है।
अगर कोई उसके साथ नहीं खेलता है तो तो हर कोशिश करती के साथ खेले ।
पूरे खिलौने भरकर ले जाती है । रोटी और यहां तक कि टमाटर ,शक्कर ,नमक भी ले जाती है ।
अगर मना करती हूं तो रोने लगती है। खेलना उसकी कमजोरी है ।
और हां खाना तो उसकी पहले से ही कमजोरी है। लेकिन खेल खेलने के आगे वह खाना भी भूल जाती है। इस समय में खेल में मस्त रहती है । मैं कितनी भी कोशिश करती उसे पढ़ाने के लिए बिल्कुल नहीं पढ़ती है। हम दोनों उससे बहुत परेशान है लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुझे समझ में नहीं आ रहा कैसे समझाऊं । पहले तो बहुत पढ़ती थी बस कॉपी लिए हुए पूरे दिन उसमें कुछ ना कुछ लिखती रहती थी । लेकिन अब उसका मन खेलने में लग गया है।
टीवी नहीं देखती है टीवी देखने के लिए बोलो तो मना कर देती है ।
उसे तैयार करने की जरूरत नहीं पड़ती है। नहा कर खुद ही तैयार हो जाती है। बालों में क्लिप लगा लेती है और मुंह पर पाउडर और छोटी सी बिंदी भी लगा लेती है।
और मौका मिलते ही चुपके से मेरी लिपस्टिक पर भी हमला बोल देती है । चुन्नी को लपेट कर घूंघट डालकर ,पापा के सामने खड़ी हो जाती है। और वो उसे देख कर मुस्कुरा देते हैं।