एक कहानी जो आज भी गांव की गलियों में दहशत के साथ सुनी जाती है
उत्तरा : एक खंडकाव्य उत्तरा विश्व प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत का एक उपेक्षित स्त्री पात्र है l इस खंडकाव्य में उसके जीवन चरित्र के संबंध में कुछ उपेक्षित तत्वों को उकेरा गया है l उत्तरा महापराक्रमी अर्जुन की शिष्या के रूप में प्रस्तुत की गई l किन्तु
पति पत्नी का रिश्ता एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जिसकी डोर प्यार और विश्वास से जुड़ी होती है। जिस रिश्ते में प्यार और विश्वास नहीं होता वो रिश्ता मात्र शरीरिक सुख और भोग विलास से जुड़ा होता है। और ऐसे रिश्तों में अक्सर दरार पड़ जाती है। ऐसे रिश्तों कि उ
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आम गृहणी के जीवन से जुड़ी कुछ खट्टी मिठ्ठी बातें....।
ये स्त्री की जागरूक के लिए कुछ कहानियाँ हैं जो आरतों के मान सम्मान के लिए लिखी गई हैं। इन किताबों को किसी प्रकार से किसी को ठेस नहीं पहुंचाई गई हैं।
पुराने पड़ते धर्मों में तमाम ऐसी कुरीतियां और परंपरायें मौजूद हैं जिन्हें बदले या सुधारे जाने की जरूरत है लेकिन धार्मिक जड़ता आड़े आ जाती है, खास कर औरतों से सम्बंधित मसलों पर। जहां मर्द का हाथ फंस रहा हो, वहां कोई न कोई गुंजाइश निकाल ही ली जाती है ल
इस कहानी संग्रह में आप अपने आप को व समाज में निरंतर घट रही घटनाओं के साथ जोड़ पायेंगे तथा हर कहानी आप को कुछ प्रेरणा ज़रूर देगी |
यह कहानी प्रत्येक की जिंदगी से जुडी है यह जैसे जैसे आप उपन्यास के पन्नों में आगें बढेगें स्पष्ट होता जायेगा। कहानी के सूत्रधार के रूप में मुख्य किरदार और लेखक है जिनसे जुडे उन तमाम किरदारों से रूबरू होगें जो जीवन में अलग अलग संघर्ष का सामना करते मिले
एक नारी के आत्मसम्मान को जब ठेस लगी तो उसने किस प्रकार अपना प्रतिशोध लिया.....
💃तुम तो ठहरे परदेसी , साथ क्या निभाओगे .... आंखों में हजार सपने देकर , कल को चले जाओगे ....! 🕺आए हैं बहार बनकर , तुझे भी ले जाएंगे .... थोड़ा सब्र कर , तुझे दुल्हन हम बनाएंगे...! 💃 ऐसी ख्वाब ना दिखा... कि टूट जाए ... ऐसी बातें ना बना ....कि हम लुट
मन के आवेगो को पंक्ति बद्ध करने की कोशिश...
एक ऐसी किताब है जो हर औरत को एक बार जरूर पढ़ न चाहये क्यो की वो दर्द है जो न जाने कितनी लड़कियां रोज सहन करती है और न जाने कब तक सहन करे गी
सारी नादानियों पर लग गया ताला , बेफिक्री का पीछे रह गया जमाना ! कभी एक चोट पर पूरा घर , सिर पर उठा लिया करते थे ! आज हर दर्द को हंसी में , छुपा लिया करते हैं ! कल अपनी जिद्द मनवाना आता था , आज दूसरों की जिद्द पर झुक जाना पड़ता है ! दर्द से हर रिश्ते
मन में अनेकों विचार समय समय पर उठते रहते हैं ,वही विचार कविता के रूप में प्रस्फुटित होते हैं
मैं विचलित , मेरा मन विचलित, कैसे संभालू खुद को, मेरी जिंदगी एक सुनसान सड़क जहां किसी का आना ,जाना वर्जित!
अर्ज किया है : " फुर्सत के पल तेरे साथ बिताए बहुत पर दिल चाहता है, ये वक्त आज यहीं ठहर जाए मोहब्बत भरी नजरों में तेरे बस मैं यूं ही डूब जाऊं मांगू खुदा से तेरे चेहरे की खुशी और काश ! तू मेरा हो जाए "....✍️ धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐