मैं यह पुस्तक स्त्री की आत्मिक बेदना के बारे में लिख रही हूं। इस पुस्तक में मैंने स्त्री को बेबकूफ बनाये और कहे जाने के बारे में उनकी भावनाओं को व्यक्त करना चाहा है।
ये स्त्री की जागरूक के लिए कुछ कहानियाँ हैं जो आरतों के मान सम्मान के लिए लिखी गई हैं। इन किताबों को किसी प्रकार से किसी को ठेस नहीं पहुंचाई गई हैं।
कुछ अनकहे लफ्ज़
किस मिट्टी से तुझे बनाया , रब्ब दी कसम तुझे अपना बनाया ! बादल जैसी बाल तेरी हँसी तेरी अजब निराली , बड़ी फुर्सत से तुझे रब्ब ने बनाया , रब्ब दी कसम तुझे अपना बनाया ! गाल तोहर लाल ऐसी जैसे टमाटर लाल हो , मन करे काट कर खा जाऊ , मन मेरा तुझको पाया ,
पुराने पड़ते धर्मों में तमाम ऐसी कुरीतियां और परंपरायें मौजूद हैं जिन्हें बदले या सुधारे जाने की जरूरत है लेकिन धार्मिक जड़ता आड़े आ जाती है, खास कर औरतों से सम्बंधित मसलों पर। जहां मर्द का हाथ फंस रहा हो, वहां कोई न कोई गुंजाइश निकाल ही ली जाती है ल
मेरे बाबाजी ने मुझे अपने जज्बातों को शब्दों में ढालना सिखाया था और मैं उनकी याद में हृदय में उमड़ते घुमड़ते अक्षरों को शब्द बना लेखनी से अपनी आपके समक्ष प्रस्तुत कर देती हूं। यह पुस्तक मैं अपने बाबाजी के चरणों में और प्रत्येक कविता उनके प्यार के हरेक
जिंदगी कुछ खट्टी कुछ मिट्ठी सी
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सुन्दरी नाम की एक लडकी के जीवन की समस्त घटना का उल्लेख इस किताब में किया गया है। जो बहुत हीं सुंदर रहती हैं। जिस वजह से उसका नाम सुंदरी पड़ा है। क्या कारण है कि सुंदरी के पिता को नशे ने जकड़ लिया । आखिर सुंदरी के पिता क्यों सुंदरी को पसंद नहीं करते
💃तुम तो ठहरे परदेसी , साथ क्या निभाओगे .... आंखों में हजार सपने देकर , कल को चले जाओगे ....! 🕺आए हैं बहार बनकर , तुझे भी ले जाएंगे .... थोड़ा सब्र कर , तुझे दुल्हन हम बनाएंगे...! 💃 ऐसी ख्वाब ना दिखा... कि टूट जाए ... ऐसी बातें ना बना ....कि हम लुट
यह पहली पुत्री है। जैसे एक लड़की अपना घर छोड़कर दूसरे घर को रोशन करती है, वैसे ही उम्मीद करता हुं की ये कविताएं आपके मन को रोशन करें।
मन के आवेगो को पंक्ति बद्ध करने की कोशिश...
यह उपन्यास ग्रामीण आँचल से एक प्रेंम की विशुद्ध गाथा है, जिसका प्रारम्भ नाइक और नायिका के अचानक प्रथम बार आमना सामना होनें से होता है, दोनों एक दूसरे को देखकर सोचतें हैं कि वह दोनों तो पहिलें कभी मिलें हैं पर नायक किशोर अपनीं नायिका को देख कर अपनीं
मेरी कहानियां मेरे बच्चे हैं और क्या कहूं।
अर्ज किया है : " फुर्सत के पल तेरे साथ बिताए बहुत पर दिल चाहता है, ये वक्त आज यहीं ठहर जाए मोहब्बत भरी नजरों में तेरे बस मैं यूं ही डूब जाऊं मांगू खुदा से तेरे चेहरे की खुशी और काश ! तू मेरा हो जाए "....✍️ धन्यवाद दोस्तों 🙏🙏💐💐
तवायफ की जिंदगी को उजागर करतीं.... एक बेहद संवेदनशील और विचारणीय... कहानी....।।।। एक ऐसी लड़की की कहानी.... जो चाहतीं कुछ थी और मिला कुछ...।।।
यह किताब मेरी कुछ चुनी हुई कहानियों का संग्रह है । इस संग्रह में स्त्री विमर्श को लेकर कुछ कहानियां रची गयी है । आशा है यह संग्रह आपको पसन्द आएगा और सभी प्रिय पाठक मुझे उत्साहित करेंगे । धन्यवाद