यह कहानी एक साधरण सी लड़की की है उसके सपने और जज्बे कि है । जो खुद पूरी तरह टूटने के बाद भी उसने अपने जज्बे को टूटने नहीं दिया और वो किया जो वो करना चाहती थी ।
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 अंदाज -ए - जिंदगी बदल गई रंगों की अहमियत बदल गई ! हुआ करती थी रंग बिरंगी दरवाजे जो रिश्तो में हजारो रंग भर जाती थी ! अब शीशे के दिलों की तरह दरवाजे भी शीशे के हो गए ! एक ठोकर क्या लगी रिश्ते - दरवाजे दोनों टूट गए ! शीशे के
चुप्पी कुछ लोगो की जो इस समाज के डर से एक कोने में बैठे रहते है आखिर क्या कहेगा समाज
स्त्री आज की गुम हो गई है। वह पहले वाली नहीं रही। उसके नाम बदल गए हैं उसके काम बदल गए हैं उसके राम बदल गए हैं।
नमस्ते दोस्तों 🙏🙏 ऊपर वाले ने सबकी किस्मत में हम सफर का साथ नहीं लिखा कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिसमें हाथों में हाथ नहीं होते हर कदम पर हम सफर का साथ नहीं होते बिछड़ जाते हैं अधूरे सफर पर साथ छूट जाता है राही बिछड़ कर भी जीना नहीं छोड़ता क्य
राष्टीय महिला दिवस के अवसर पर भारत की महिलाओ को हार्दीक बधाई एवं शुभकामना समर्पित करता हुँ ! भारत महिला राजपाल सरोजनी नायडु जी के जन्म १३फरवरी १८७९को हुई ! उन्होने बचपन से ही कविता लिखा करती !उन्होने कविता को बहुत ही मधुर स्वर में कविता कहा करती थी
एक स्त्री के जीवन की विडंबना और सच्चाई से रुबरू कराती हुई कुछ कहानियाँ 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
इस शीर्षक के साथ मैं अपनी कुछ चुनिंदा कहानियों की एक शृंखला का प्रकाशन मैं कर रहा हूँ जो मेरे दिल के बेहद करीब है । ये कहानियाँ समाज को संदेश देती है नारी के सम्मान के प्रति । आशा है पाठकों को संदेश देगीं और समाज को एक नई दिशा ।
ये कहानी है धरा की.. किस प्रकार उसने अपने माँ बाप को खोया और किस तरह उसे प्यार मे धोखा मिला.. और एक दिन उसकी मुलाक़ात होती है अनय से कौन है ये अनय और क्या दोनों का मिलना बस एक इत्तीफाक है या बदलने वाली है, धरा की ज़िन्दगी.. पढ़ने के लिए फॉलो करें..
पहला प्रेम कुछ शिशुवत होता है ,जिस प्रकार एक शिशु के लिए उसकी माँ से अत्यधिक कुछ और महत्वपूर्ण नही होता ठीक उसी तरह जब एक लडकी प्रेम मे होती है तो उसके लिए उसके प्रिय से अत्यधिक महत्वपूर्ण और कुछ नही होता , वो उसको ही आधार मानकर स्वयं निराधार हो जाती
मेरे प्यारे अलबेले मित्रों ! आप सबका हार्दिक स्वागत है💐💐🙏🙏 भारतीय संस्कृति को दरकिनार कर, पश्चिमी संस्कृति को आत्मसात कर, अपने प्यारे भारत महान में आजकल, अनोखे ढ़ंग से जन्मदिन मनाया जाने लगा है ! इस अनोखे जन्मदिन के उत्सव में, मौज-मस्ती,हर्षोल्लास
कुछ परेशानियां हैं जिन्हें खत्म करना चाहती हूंँ कुछ उलझनें हैं जिन्हें सुलझाना चाहती हूँ ! कुछ बिताएं तेरे संग जो पल है उन्हें फिर से जीना चाहती हूँ ! क्या क्या ख्वाहिश है इस दिल में उसे फिर से पूरा करना चाहती हूँ ! कुछ अपने हैं जो खफा हो गए है
यह कहानी निलिमा सक्सेना के जीवन की कहानी है,जो इस समाज की एक इकाई है,नारी जाति पर अनेक कहानियाँ लिखी गयी हैं और लिखी जाती रहेंगी किंतु हर नारी के जीवन का एक अलग ही पहलू उभरकर आता है,जो एक कहानी बन जाता है।ऐसी एक नारी है "निलिमा सक्सेना " जो एक मध्यमव
हर चेहरा कुछ ना कुछ कहानियों को संजोता है ,हमारे आसपास बिखरी पड़ी है कुछ कहानीयों की महक ,हमारी यादो से निकल संवरतीं हैं ,कुछ कहानियां । आसपास कितनी अनकही कहानियां ,उनको शब्दों में पिरोने की छोटी सी कोशिश है मेरी। कहानियों के सफर में मेरे सहयात्री ब
परियां होती बेटियां जानने के लिये आगे पढ़ते रहें.. परियां आपको आसमां के सैर कराते मिलेगी.. औऱ आप आसमां में खोते... हुये.. 🌸🌸